हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रमकता को मिलेगा करारा जवाब, अमेरिका की धरती से जयशंकर भरेंगे हुंकार

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रमकता को मिलेगा करारा जवाब, अमेरिका की धरती से जयशंकर भरेंगे हुंकार

इज़रायल-ईरान युद्ध और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद अब वैश्विक राजनीति का ध्यान फिर से हिंद-प्रशांत क्षेत्र की ओर खिंचता नज़र आ रहा है. ऐसे में क्वाड (QUAD) यानी भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री एक बार फिर एक मंच पर जुटने जा रहे हैं. 1 जुलाई 2025 को अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन में होने वाली यह बैठक न केवल हिंद-प्रशांत की स्थिति पर निर्णायक चर्चा का मंच बनेगी, बल्कि इसमें चीन को लेकर साझा रुख भी स्पष्ट हो सकता है. भारत की ओर से विदेश मंत्री एस. जयशंकर इस बैठक में भाग लेंगे और ऐसा माना जा रहा है कि वे कई अहम संदेशों के साथ अमेरिका पहुंचने वाले हैं.

क्वाड के एजेंडे में फिर चीन शीर्ष पर

हालांकि अभी तक आधिकारिक एजेंडा सार्वजनिक नहीं हुआ है, लेकिन पिछली बैठकों और मौजूदा हालात को देखते हुए यह साफ है कि बैठक में चीन की बढ़ती आक्रामकता पर गंभीर चर्चा होगी. चाहे ताइवान हो या दक्षिण चीन सागर, चीन की एकतरफा नीतियों ने क्वाड देशों को एक बार फिर एकजुट होने को मजबूर किया है. ऐसे में जयशंकर किस रणनीतिक लहजे में भारत की भूमिका और स्थिति को पेश करेंगे, इस पर सभी की निगाहें हैं.

ट्रंप के सत्ता में लौटने के बाद दूसरा बड़ा मंच

यह बैठक ट्रंप प्रशासन की वापसी के बाद दूसरी क्वाड विदेश मंत्री बैठक होगी. अमेरिका की ओर से इसकी मेज़बानी विदेश मंत्री मार्को रुबियो करेंगे. ट्रंप के फिर से राष्ट्रपति बनने के बाद वैश्विक समीकरणों में हलचल है, और क्वाड का भविष्य ट्रंप के रुख पर भी निर्भर करेगा. अब जबकि मध्य पूर्व में हालिया संघर्षों का असर कुछ हद तक कम हुआ है, क्वाड की प्राथमिकता फिर चीन की ओर लौटती दिख रही है.

जयशंकर का दौरा और भारत का रुख

एस. जयशंकर ऐसे समय में अमेरिका का दौरा कर रहे हैं, जब हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ट्रंप के बीच फोन पर बातचीत चर्चा का विषय बनी थी. रिपोर्ट्स के मुताबिक, मोदी ने पाकिस्तान के साथ हुए सीजफायर का क्रेडिट लेने पर ट्रंप को खरी-खरी सुनाई थी. ऐसे में माना जा रहा है कि जयशंकर, वॉशिंगटन में अमेरिकी नेतृत्व के सामने भारत का स्पष्ट और कड़ा रुख पेश करेंगे—चाहे वो इज़रायल-ईरान संघर्ष हो, ऑपरेशन सिंदूर, या फिर हिंद-प्रशांत में चीन की नीति.

भारत में होगी अंतिम क्वाड शिखर बैठक

यह वॉशिंगटन बैठक को “सेमिफाइनल” की तरह देखा जा रहा है, क्योंकि साल के अंत में क्वाड का मुख्य शिखर सम्मेलन भारत में प्रस्तावित है. सितंबर-अक्टूबर के बीच होने वाली इस बैठक से पहले विदेश मंत्रियों की यह चर्चा एक तरह से रोडमैप तैयार करेगी. ब्लूप्रिंट अमेरिका में तैयार होगा और उसका राजनीतिक रूप भारत में आकार लेगा.

संभावना है कि ट्रंप, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज़ और जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा भारत की यात्रा कर सकते हैं. भारत, इस मंच का उपयोग केवल सुरक्षा और रणनीति के लिए ही नहीं, बल्कि अपनी वैश्विक स्थिति को मजबूत करने के अवसर के रूप में भी कर रहा है.

क्या चीन-पाक को मिलेगा कूटनीतिक संदेश?

जनवरी 2025 में हुई पिछली क्वाड बैठक में चारों सदस्य देशों ने चीन की गतिविधियों की खुलकर निंदा की थी. इस बार भी यह आशंका जताई जा रही है कि भारत इस मंच का इस्तेमाल एक साथ चीन और पाकिस्तान दोनों को कूटनीतिक संकेत देने के लिए कर सकता है. खासकर ऐसे समय में जब चीन ताइवान और दक्षिण चीन सागर में अपने प्रभुत्व को बढ़ा रहा है और पाकिस्तान फिर किसी नई चाल में लगा हुआ है.

जयशंकर की इस यात्रा से भारत क्या संदेश देना चाहता है? क्या क्वाड अब फिर से वही धार पकड़ पाएगा जो कुछ समय पहले तक दिख रही थी? और क्या चीन के बढ़ते दबदबे को रोकने के लिए यह बैठक कोई ठोस रणनीति तैयार कर पाएगी? इन सभी सवालों के जवाब 1 जुलाई को वॉशिंगटन में मिलने की उम्मीद है.


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