दुनिया के लिए सामरिक खतरा पैदा कर सकता है चीन, कई मुद्दों पर ड्रैगन को अमेरिका की लताड़
नई दिल्ली । चीन काफी समय से शिंजियांग प्रांत में रहने वाले उइगर मुस्लिमों पर किए जा रहे अत्याचारों को लेकर पूरी दुनिया के निशाने पर है। दुनिया के कई बड़े देश इस मुद्दे पर उसको कई बार लताड़ लगा चुके हैंं और अपने रवैये में सुधार को लेकर आगाह कर चुके हैं। इसके बाद भी चीन ने अपने में बदलाव नहीं किया है। यही वजह है कि अमेरिका एक बार फिर से इस मुद्दे पर अपना कड़ा रुख लेकर सामने आया है। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने चीन को खरी-खरी सुनाते हुए कहा है कि वो उइगर मुसलमानों का नरसंहार बंद करे। अमेरिक ने ये भी कहा है कि वो इस मुद्दे के हल होने तक अपनी आवाज हर मंच से उठाता रहेगा।
चीन को लेकर आंक्रामक रुख इख्तियार करने वालों में पेंटागन भी है। पेंटागन ने कहा है कि वो इस मुद्दे के हल होने तक अपनी आवाज हर मंच से उठाता रहेगा। चीन को लेकर आंक्रामक रुख इख्तियार करने वालों में पेंटागन भी है। पेंटागन की तरफ से चीन को 21वीं सदी का सबसे बड़ा खतरा बताया है। पेंटागन का कहना है कि चीन विश्व के लिए सामरिक खतरा पैदा कर सकता है। पेंटागन की तरफ से ये बयान अमेरिका हिंद प्रशांत क्षेत्र कमांड के प्रमुख एडमिरल फिल डेविडसन ने दिया है। उन्होंने ये भी कहा है कि चीन ने हाल ही में अपना रक्षा बजट बढ़ाया है जिसके जरिए वो दक्षिण चीन सागर में पांव फैलाना और अपनी ताकत को बढ़ाना चाहता है। इस बढ़ते खतरे से निपटने के लिए अमेरिका को भी तैयारी करनी होगी और हथियारों के लिए अपने रक्षा बजट को बढ़ाना होगा।
चीन को इस मुद्दे पर लताड़ लगाने वालों में सिर्फ ब्लिंकन ही शामिल नहीं है बल्कि प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नेंसी पेलोसी भी इसमें शामिल हैं। उन्होंने कहा है कि चीन लगातार तिब्बत के गौरवाशाली इतिहास और वहां की संस्कृति को नष्ट करने का काम कर रहा है। अमेरिका ने इन दोनों मुद्दों पर अपना रुख बेहद साफ किया है। अमेरिका का कहना है कि चीन लगातार अपने नेताओं, सरकार और सेना की मदद से न सिर्फ लोगों को अपने हक में करने का प्रयास कर रहा है बल्कि इसके लिए उन्हें डराया और धमकाया भी जा रहा है। वो लगातार अपनी ताकत का गलत इस्तेमााल कर रहा है। आपको बता दें कि पिछले वर्ष इनर मंगोलिया में चीन ने मैंड्रिन भाषा को अनिवार्य रूप से सीखने पर जौर दिया था। इसके बाद वहां पर चीन के खिलाफ कई विरोध प्रदर्शन किए गए थे। इसी तरह से तिब्बत में चीन द्वारा की जा रही कारगुजारियां किसी से छिपी नहीं है। यही हाल हांगकांग में है और ताइवान के साथ भी चीन का ऐसा ही रवैया पूरी दुनिया को दिखाई दे रहा है।
अमेरिका ने यहां तक कहा है कि उइगर, तिब्बत और हांगकांग के मुद्दे पर सिर्फ उसके आवाज उठाने से कुछ नहीं होगा। इसके लिए सभी देशों को एकजुट होकर चीन के खिलाफ आवाज उठानी होगी और उसपर दबाव बनाना होगा। अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद ही चीन के रवैये में परिवर्तन की उम्मीद की जा सकती है। ब्लिंकन का कहना है कि चीन को दबाव में लाने के लिए कई तरह के उपाय किए जा सकते हैं। चीन को उइगरों के नरसंहार और मानवाधिकार उल्लंघन का जिम्मेदार ठहराते हुए उस पर कई तरह की पाबंदियां लगाई जा सकती हैं। यदि चीन अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज करता है तो उसको संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में जांच को अनुमति देनी चाहिए। यदि वहां पर कुछ गलत नहीं है तो चीन को ऐसा करने से कोई गुरेज नहीं होना चाहिए।
चीन की तरफ से उइगरों को लेकर सामने आया अमेरिका का बयान काफी मायने रखता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अगले सप्ताह ही चीन और अमेरिका के शीर्ष अधिकारियों की बैठक होने वाली है। इससे पहले ही अमेरिकी सांसदों ने चीन द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन का मामला उठाकर बैठक से पहले ही माहौल को गरम कर दिया है। इस बैठक में अमेरिकी विदेश मंत्री के अलावा एनएसए जैक सुलिवान शामिल होंगे। वहीं चीन की तरफ से इसमें चीन की सत्तारूढ़ कम्यूनिस्ट पार्टी के विदेश मामलों के प्रमुख यांग जेइची और स्टेट काउंसलर और विदेश मंत्री वांग यी शामिल होंगे।