‘चीन और अस्थिर सीमाएं भारत और सेना के लिए सबसे विकट चुनौती’, CDS जनरल चौहान का बड़ा दावा

‘चीन और अस्थिर सीमाएं भारत और सेना के लिए सबसे विकट चुनौती’, CDS जनरल चौहान का बड़ा दावा

लंबे समय से ये बात उठती रही है कि भारत को पाकिस्तान को छोड़कर चीन को अपनी मुख्य चुनौती मान लेना चाहिए। आखिरकार भारत के सीडीएस ने भी ये बात स्वीकार ली है। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने सोमवार को चीन के साथ अस्थिर सीमाओं और चीन के उदय को सबसे विकट चुनौती बताया है। सीडीएस ने ये भी कहा है कि भारत और भारतीय सशस्त्र बलों को निकट भविष्य में चीन का सामना करना पड़ेगा।

सीडीएस चौहान सोमवार को सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय के रक्षा और सामरिक अध्ययन विभाग द्वारा आयोजित ‘चीन के उदय और विश्व पर इसके प्रभाव पर तीसरी रणनीतिक और सुरक्षा वार्ता’ कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे थे। यहां उन्होंने कहा कि आज हम जिस चुनौती का सामना कर रहे हैं वह अस्थिर सीमाएँ हैं। भारत की प्राचीन सीमाएँ आकार लेने लगी हैं। उन्होंने कहा कि हमें विवादित सीमाएं विरासत में मिलीं। चीन द्वारा तिब्बत पर कब्जे ने उन्हें एक नया पड़ोसी बना दिया और भारत के विभाजन ने एक नए राष्ट्र का निर्माण किया जो शत्रुता और हमारे प्रति नफरत पर पनपा।

कार्यक्रम में जनरल चौहान ने कहा कि आज भारत के दोनों पड़ोसियों ने सीमा पर विवाद किया है। संघर्षों के कारण वास्तविक नियंत्रण रेखा, नियंत्रण रेखा और वास्तविक जमीनी स्थिति रेखा जैसे शब्द सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों को विवादित सीमाओं पर शांतिकाल के दौरान भारत के दावों की वैधता बनाए रखने की जरूरत है और इस बात पर जोर दिया कि सभी घर्षण बिंदुओं पर चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) से चतुराई से निपटने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों को सहमत नियमों के दायरे में काम करने की आवश्यकता होगी।

अरुणाचल पर भी बोले सीडीएस 

हाल ही में पीएम मोदी की अरुणाचल यात्रा पपर चीन ने आपत्ति जाहिर की थी। इस मुद्दे पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश राज्य भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा था, है और हमेशा रहेगा। चीनी पक्ष को कई मौकों पर इस सुसंगत स्थिति से अवगत कराया गया है। सीडीएस ने तकीनीक की होड़ में भी भारत को आगे ले जाने पर जोर दिया है।


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