मुख्य चुनाव आयुक्त ने लोकतंत्र में सभी की भूमिका पर दिया जोर, कहा- सभी नागरिकों को सम्मिलित किए बगैर डेमोक्रेसी अर्थपूर्ण नहीं

मुख्य चुनाव आयुक्त ने लोकतंत्र में सभी की भूमिका पर दिया जोर, कहा- सभी नागरिकों को सम्मिलित किए बगैर डेमोक्रेसी अर्थपूर्ण नहीं
  • मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने गुरुवार को कहा कि कोई भी लोकतंत्र तब तक अर्थपूर्ण और प्रेरणादायक नहीं हो सकता जब तक उसमें सभी नागरिकों को सम्मिलित नहीं किया जाए। सभी का समावेश बिना किसी भय या पक्षपात के होना जरूरी है।

नई दिल्ली: मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने गुरुवार को कहा कि कोई भी लोकतंत्र तब तक अर्थपूर्ण और प्रेरणादायक नहीं हो सकता, जब तक उसमें सभी नागरिकों को सम्मिलित नहीं किया जाए। सभी का समावेश बिना किसी भय या पक्षपात के होना जरूरी है। लोकतंत्र में सबकी भागीदारी विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक पृष्ठभूमि के बावजूद होनी चाहिए।

मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के लोकतांत्रिक देशों के मूल्यांकन करने और रैंकिंग देने के तरीकों में सुधार की सलाह देते हुए कहा कि इसकी प्रक्रिया उद्देश्यपरक और संदर्भित होनी चाहिए। इसमें निर्वाचन प्रबंधन से लेकर सामाजिक-सांस्कृतिक और भौगोलिक मानकों का भी ध्यान रखना चाहिए। भारत में चुनाव प्रक्रिया पर उन्होंने कहा कि 1971 के चुनावों से भारत में महिला मतदाता 235.72 प्रतिशत बढ़ गए हैं। कुमार ने यह टिप्पणी एशियन रीजनल फोरम की वर्चुअल बैठक में करते हुए कहा कि सभी चुनाव प्रबंधन निकायों को आत्मनिरीक्षण करने के साथ ही अपने सिस्टम को सशक्त बनाने के कदम उठाने चाहिए। नागरिकों की आकांक्षाओं पर खरा उतरने के बीच निर्वाचन प्रक्रिया की चुनौतियां भी बढ़ रही हैं।

चुनाव आयुक्त ने एक बयान में कहा कि सभी चुनाव प्रबंधन निकायों से नागरिकों की बढ़ती अपेक्षाओं को पूरा करने और चुनावी प्रक्रिया के दौरान उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए अपने सिस्टम को मजबूत करने के लिए निरंतर स्व-मूल्यांकन करने की जरूरत होती है। आपको बता दें, भारत का चुनाव आयोग एक संवैधानिक निकाय है। यह भारत के संविधान द्वारा देश में चुनाव आयोजित करने और विनियमित करने के लिए स्थापित किया गया था। यह निकाय लोकसभा, राज्य सभा, राज्य विधान सभाओं, राज्य विधान परिषदों और देश के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के कार्यालयों के चुनावों का संचालन करता है।

चुनाव आयोग संविधान के अनुच्छेद 324 के अधिकार के तहत काम करता है। चुनाव के संचालन में किसी स्थिति से निपटने के लिए अधिनियमित कानूनों में अपर्याप्त प्रावधान होने पर उचित तरीके से कार्य करने के लिए आयोग के पास संविधान के तहत शक्तियां हैं।