चारधाम यात्रा: उत्तराखंड सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी

चारधाम यात्रा: उत्तराखंड सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी
  • चारधाम यात्रा: उत्तराखंड सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी

नई दिल्ली: चार धाम यात्रा को लेकर उत्तराखंड सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. आपको बता दें कि उत्तराखंड हाईकोर्ट ने 28 जून के अपने फैसले में चार धाम यात्रा पर 7 जुलाई तक रोक लगाने की बात कही थी. राज्य सरकार ने कहा कि सरकार की ओर से चार धाम यात्रा को लेकर पुख्त इंतजाम किए गए हैं. सरकार ने कहा कि चार धाम यात्रा उत्तरखंड सरकार के लिए बेहद जरूरी है. उच्च न्यायालय ने चार धाम यात्रा पर यह कहते हुए रोक लगा दी थी कि सरकार ने मंदिरों में चल रही रस्मों का देशभर में लाइव टेलिकास्ट करने की व्यवस्था का निर्देश दे रखा है. इसके साथ ही अदालत ने धार्मिक यात्रा के दौरान पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए राज्य सरकार की व्यवस्थाओं पर नाराजगी जाहिर की थी.

क्या है पूरा मामला

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि उत्तराखंड सरकार अपने चारधाम यात्रा संबंधी आदेश को वापस ले या फिर उसको फिलहाल के लिए स्थगित कर दे.  इससे पहले उत्तराखंड सरकार ने कुछ शर्तों और गाइडलाइन के साथ चार धाम यात्रा को मंजूरी दे दी थी. लेकिन उच्च न्यायालय ने अमरनाथ यात्रा का उदाहरण पेश करते हुए सरकार को चारधाम यात्रा पर रोक लगाने का सुझाव दिया था. सरकार के प्रवक्ता सुबोध  उनियाल ने जानकारी देते हुए बताया कि राज्य एक जुलाई से चारधाम यात्रा शुरू करने जा रहा है. हालांकि इस दौरान श्रद्धालुओं को कोरोना गाइडलाइन का पालन करना होगा. उन्होंने कहा कि यात्रा के दौरान हर धाम के मंदिर और जिला प्रशासन के बीच बेहतर कोर्डिनेशन स्थापित किया जाएगा, जिसके लिए सीनियर अधिकारियो की तैनाती की जाएगी.

वहीं, उत्तराखंड के जनपद चमोली, उत्तरकाशी, रूद्रप्रयाग एवं चार धाम यात्रा के मार्ग में आने वाले जनपद टिहरी और पौड़ी को अतिरिक्त वैक्सीन दी गई हैं. चार धाम यात्रा के ²ष्टिगत कोविड वैक्सीनेशन की गति को बढ़ाये जाने के लिए चमोली (बद्रीनाथ धाम) 5000, उत्तरकाशी (गंगोत्री, यमुनोत्री) 10000, रुद्रप्रयाग (केदारनाथ धाम) 5000, टिहरी 5000 और पौी जनपद को 5000 डोज चार धाम से संबंधित व्यक्तियों के वैक्सीनैशन के लिए उपलब्ध कराई गई है. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के निर्देश पर प्रशासन ने यह कदम उठाया है.


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