मायावती के पुराने भरोसेमंद को साथ लाएंगे चंद्रशेखर आजाद? इस तस्वीर ने मचाई सियासी हलचल

मायावती के पुराने भरोसेमंद को साथ लाएंगे चंद्रशेखर आजाद? इस तस्वीर ने मचाई सियासी हलचल

उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है. लखनऊ में हाल ही में आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद की वरिष्ठ नेता स्वामी प्रसाद मौर्य से एक अहम मुलाकात हुई. यह मुलाकात राजधानी में एक निजी स्थान पर हुई. दोनो के बीच ये मुलाकात करीब एक घण्टे चली, जिसमें दोनों नेताओं के बीच लंबी बातचीत हुई.

सूत्रों के मुताबिक इस मुलाकात में दोनों नेताओं के बीच गंभीर चर्चा हुई. दोनों नेताओं ने सामाजिक न्याय, दलित और पिछड़े वर्ग की एकता और यूपी की राजनीति पर खुलकर चर्चा की. स्वामी प्रसाद मौर्य, जो दलित-पिछड़ों की राजनीति में लंबे समय से सक्रिय हैं, अब चर्चा है कि चंद्रशेखर आजाद के साथ एक मंच पर आ सकते हैं.

विश्वस्त सूत्रों की मानें तो स्वामी प्रसाद मौर्य जल्द ही आजाद समाज पार्टी में शामिल हो सकते हैं. पार्टी नेतृत्व उन्हें उत्तर प्रदेश में बड़ी जिम्मेदारी देने पर विचार कर रहा है, जिससे राज्य में पार्टी के जनाधार को और मजबूत किया जा सके.

विधानसभा चुनावों से पहले बड़ा सियासी समीकरण!

इस संभावित गठजोड़ को 2026 पंचायत चुनाव और 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले एक बड़ा सियासी समीकरण माना जा रहा है. हालांकि, दोनों नेताओं की ओर से इस बारे में अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन पार्टी सूत्रों का दावा है कि जल्द ही इस संबंध में कोई बड़ी घोषणा हो सकती है.

चंद्रशेखर इस वक्त सभी 18 मंडलों में कार्यक्रम कर रहे हैं, इसी कड़ी में वो पिछले दिनों लखनऊ में थे. इसी दौरे में उनकी चद्रंशेखर से मुलाकात हुई थी.

बसपा चीफ चंद्रशेखर पर हमलावर

चंद्रशेखर के दौरों और उनकी पार्टी की सक्रियता पर बसपा चीफ मायावती भी इस वक्त हमलावर हो गई है, पिछले दिनों इशारों में उन्होंने चंद्रशेखर के लिए बरसाती मेंढक शब्द का प्रयोग किया था तो वहीं आज उन्होंने बिना किसी का नाम लिए कहा कि यूपी में एकमात्र अंबेडकरवादी पार्टी बीएसपी है.यहां दलितों और अन्य उपेक्षित वर्गों को गुमराह करने की कोशिश हो रही है.

बसपा चीफ ने कहा था कि बीएसपी को मजबूत होता देखकर विपक्ष की जातिवादी पार्टियां दुखी हैं. विशेषकर दलित वर्ग से जुड़े संगठनों और पार्टियों को सक्रिय करके, उनसे कार्यक्रम करके दलितों को गुमराह करने में लगी है. ये अवसरवादी संगठन या पार्टियां इन जातिवादी पार्टियों के हाथों में खेल रही हैं.ये बीएसपी के भोले भाले लोगों को अपने संगठनों से जोड़ने के लिए अपनी बैठक में मान्यवर कांशीराम और मेरा नाम ले रहे हैं.