‘कुछ मुट्ठीभर जातियों का कब्जा..’, चंद्रशेखर आजाद ने किया पीटर नवारो के ‘ब्राह्मण’ वाले बयान का समर्थन

‘कुछ मुट्ठीभर जातियों का कब्जा..’, चंद्रशेखर आजाद ने किया पीटर नवारो के ‘ब्राह्मण’ वाले बयान का समर्थन

अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए टैरिफ के बीच राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सलाहकार नीटर नवारो ने रूस के तेल से भारत के ब्राह्मणों के मुनाफा कमाने की बात कही, जिसे लेकर तेज है. इस पूरे विवाद पर नगीना से सांसद चंद्रशेखर आज़ाद ने कहा कि इस तथ्य को झुठलाया नहीं जा सकता.

चंद्रशेखर आजाद ने इस पूरे मामले को भारत की आंतरिक मुद्दा बताते हुए नीटर नवारो के बयान की निंदा की लेकिन इस बात का समर्थन किया की भारत की मात्र एक फ़ीसद आबादी के पास देश की 40 फ़ीसद से ज्यादा की संपत्ति हैं.

पीटर नवारो के बयान पर बोले चंद्रशेखर

आसपा सांसद ने एक्स पर लिखा- देश का एक जिम्मेदार नागरिक, और देश की सबसे बड़ी पंचायत का सदस्य होने के नाते मैं भारत की संप्रभुता और आंतरिक मामलों में किसी भी विदेशी हस्तक्षेप की कड़ी निंदा करता हूं. लेकिन तथ्य और सच्चाई को भी नहीं झुठलाया जा सकता की आज़ादी के 75 साल बाद भी देश की सत्ता, संसाधन और संपत्ति कुछ मुट्ठीभर जातियों के कब्ज़े में है.

एक रिपोर्ट बताती है कि भारत की मात्र 1% आबादी के पास देश की 40.1%, जबकि महज 10% लोगों के पास 77% राष्ट्रीय संपत्ति है, जबकि नीचे 60% का हिस्सा केवल 4.8% है. इसलिए देश में अमीर और गरीब के बीच की खाई में भी जाति का विभेद साफ दिखाई देता है.

दलित, आदिवासी (SC/ST), पिछड़े वर्ग (OBC) और धार्मिक अल्पसंख्यक आज भी सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से हाशिए पर धकेले गए हैं. यही असमानता भारत की प्रगति में सबसे बड़ी बाधा है और यही बाहरी ताक़तों को हमारे समाज पर सवाल उठाने का मौका देती है.’

आसपा सांसद ने दिए तीन सुझाव

उन्होंने आगे कहा- ‘अगर हम सचमुच भारत को मजबूत और संप्रभु बनाना चाहते हैं, तो पहले अपने घर की इस सड़ी हुई व्यवस्था को बदलना होगा. इसके लिए तीन कदम अनिवार्य हैं:

1. जातिगत जनगणना – ताकि असली तस्वीर सामने आए कि देश के संसाधनों पर वास्तव में किन लोगों का कब्जा है?
2. निजी क्षेत्र में आरक्षण – ताकि अवसर सिर्फ ऊँच वर्ग की जागीर न रहें।
3. आर्थिक न्याय–ताकि संसाधनों पर समान अधिकार सुनिश्चित हो सके।

तभी बनेगा एक समानता वाला भारत, जहाँ जातिगत विषमता न तो विदेशी ताक़तों के लिए मुद्दा बनेगी और न ही बाबा साहेब के संविधानिक भारत की छवि धूमिल होगी. बाबा साहब का यह संदेश मेरे लिए पत्थर की लकीर की तरह है. हम सबसे पहले और सबसे आखिर में भारतीय हैं.’