निराशा जनक है केन्द्र सरकार का आम बजट: चौ.रूद्रसैन

निराशा जनक है केन्द्र सरकार का आम बजट: चौ.रूद्रसैन
सहारनपुर में बजट पर प्रतिक्रिया देते सपा के राष्ट्रीय महासचिव चौ.रूद्रसैन

सहारनपुर। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव चौ.रूद्रसैन ने कहा कि केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीता रमन द्वारा संसद में पेश किया गया आम बजट निराशा जनक है। केन्द्र सरकार के इस बजट से किसान, मजदूर, गरीब व महिलाओं को निराशा हाथ लगी है। उन्होंने कहा कि आम बजट में केवल पूंजीपतियों का ध्यान रखा गया है, जो देश हित में नहीं है।

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव चौ.रूद्रसैन ने आम बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि आम बजट में केन्द्र सरकार ने किसानों को पूरी तरह निराश किया है। केन्द्र की सत्ता में आने से पूर्व भारतीय जनता पार्टी ने किसानों की आय दुगुनी करने के साथ ही डॉ.स्वामीनाथन आयोग के रिपोर्ट के अनुरूप किसानों को उनकी लागत का दोगुना मूल्य देने का वादा किया गया था। परन्तु आम बजट में उसके लिए अब कोई प्रावधान नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि किसानों को उम्मीद थी कि केन्द्र सरकार प्रधानमंत्री सम्मान निधि की किस्त में वृद्धि करेंगे, परन्तु उसमें केन्द्र सरकार द्वारा कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

चौ.रूद्रसैन ने कहा कि आम बजट में युवाओं को रोजगार देने के साथ-साथ महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए कोई भी प्राविधान नहीं है, जबकि केन्द्र सरकार द्वारा सोने चांदी के साथ-साथ मोबाइल व चार्जर पर कस्टम शुल्क में कमी किए जाने का लाभ केवल पूंजीपतियों को मिलेगा, क्योंकि मंहगाई के इस दौर मंे आम आदमी को अपनी दैनिक जरूरतांे को पूरा करने के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। ऐसी स्थिति में सोना चांदी खरीदना आम आदमी की क्रय शक्ति से बाहर है। जिससे साबित होता है कि सोने चांदी पर कस्टम डयूटी घटाने का लाभ पूंजीपतियों को मिलेगा।

उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा आम बजट में देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के विकास के लिए किसी भी तरह के बजट का प्रावधान नहीं किया गया है, जबकि केन्द्र सरकार को बचाने के लिए आन्ध्रप्रदेश व बिहार के लिए विशेष पैकेज का प्रावधान किया गया है, जिससे साबित होता है कि केन्द्र सरकार को देश के करोड़ों गरीब, किसान, मजदूर महिलाओं व बेरोजगार युवाओं से कोई सरोकार नही है, उसे तो केवल अपने सहयोगी दलों को पैसो की बंदरबांट कर अपनी सरकार बचाने की तक ही सीमित है।


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