कोरोना वैक्सीन के 50 करोड़ डोज खरीदेगी केंद्र सरकार

नई दिल्लीः कोरोना वैक्सीन खरीदने के लिए, शोध कार्य पर और वायरस से निपटने के लिए विश्व ने जहां अरबों रुपए खर्च किए हैं, वहीं भारत सरकार अभी वैक्सीन की खरीद के लिए समझौता करने पर विचार कर रही है। वहीं एक बात स्पष्ट है कि विश्व भर में कोरोना वैक्सीन विकसित होने के बाद भारत सरकार 50 करोड़ वैक्सीन के डोज खरीदेगी। यह डाटा वीरवार को भारत के उच्च अधिकारियों की भारतीय वैक्सीन एसोसिएशन के सदस्यों के साथ बंद कमरे में बैठक के बाद सामने आया।
ई-बायोलोजीकल हैदराबाद ने सरकार को सूचित किया कि ट्रायल के दूसरे चरण में प्रवेश के बाद उसने अघोषित मात्रा में वैक्सीन के उत्पादन के लिए जे और जे से समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस दौरान भारत बायोटैक, जायडस- कैडिला और सीरम-ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया। इन सदस्यों ने जैव प्रौद्योगिकी विभाग के तहत जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान परिषद (बी.आई.आर.ए.सी.) व पी.एम. टास्क फोर्स के अध्यक्ष डा. वी.के. पॉल से मुलाकात की जो कि सरकार की ओर से उत्पादन की मात्रा का आकलन करेंगे।
इस दौरान वैक्सीन निर्माताओं ने सरकार को बताया कि उनकी एक वर्ष में कुल 3 अरब वैक्सीन डोज निर्मित करने की क्षमता है और भारत इस उत्पादन का 20 प्रतिशत अपनी खपत के लिए ले सकता है। भारत 7 बड़े निर्माताओं द्वारा 3 अरब वैक्सीन डोज उत्पादन की क्षमता के साथ बड़ा वैक्सीन उत्पादक है। बैठक में उत्पादकों ने जानना चाहा कि केंद्र और राज्यों के जरिए सरकार कितनी मात्रा में डोज खरीदना चाहती है।
अभी 4 वैक्सीन ही ट्रायल के तीसरे चरण में हैं और विश्व के विभिन्न नियामक संगठनों से अनुमति मिलने के बाद ही बड़े स्तर पर इनका उत्पादन व प्रयोग होने लगेगा। इसके बाद पी.एम. टास्क फोर्स ने स्पष्ट संदेश दिया कि भारत को 40-50 करोड़ वैक्सीन डोज की जरूरत हो सकती है। उन्होंने कहा कि भारत ने खरीद के लिए पहले से कोई प्रतिबद्धता नहीं जताई, जबकि अमरीका, ब्रिटेन, यूरोपियन यूनियन, स्विट्जरलंैड और जापान ने विश्व की कंपनियों को 5 अरब डॉलर देकर दवा खरीद के लिए प्रतिबद्धता जताई है।