खनन घोटाले में अखिलेश यादव को सीबीआई का नोटिस, आज पूछताछ के लिए बुलाया

लखनऊ। बहुचर्चित खनन घोटाले में समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) शिकंजा कसने की तैयारी में है। दिल्ली सीबीआइ ने हमीरपुर में हुए खनन घोटाले को लेकर वर्ष 2019 में दर्ज एफआइआर के तहत नोटिस देकर अखिलेश यादव को पूछताछ के लिए बुलाया है।
हालांकि इस मामले में अखिलेश यादव नामजद आरोपित नहीं हैं। खनन पट्टों के आवंटन की प्रक्रिया में हुई गड़बड़ी को लेकर अखिलेश यादव से बतौर गवाह सवाल-जवाब हो सकते हैं। अधिकारियों ने बताया कि सीआरपीसी की धारा-160 के तहत जारी नोटिस में एजेंसी ने अखिलेश यादव को 2019 में दर्ज मामले के संबंध में 29 फरवरी को पेश होने के लिए कहा है।
इस धारा के तहत पुलिस अधिकारी को जांच में गवाहों को समन करने की अनुमति होती है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘वह आरोपित नहीं हैं। वह गवाह हैं।’ इस खनन घोटाले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी कर रहा है। वहीं सपा के साथ-साथ कांग्रेस ने भी अखिलेश यादव को नोटिस जारी किए जाने को राजनीतिक कदम बताते हुए सरकार पर जांच एजेंसी के दुरुपयोग का आरोप लगाया है।
सपा शासनकाल में हुए खनन घोटाले में सीबीआइ दिल्ली ने दो जनवरी 2019 को एफआइआर दर्ज की थी। हमीरपुर में हुए खनन घोटाले को लेकर 2008 बैच की आइएएस अधिकारी बी.चंद्रकला (तत्कालीन डीएम हमीरपुर) और विधान परिषद सदस्य रमेश मिश्रा समेत 11 नामजद आरोपितों समेत अन्य अज्ञात के विरुद्ध एफआइआर दर्ज कर जांच शुरू की थी।
सीबीआइ ने पांच जनवरी 2019 को बी. चंद्रकला के लखनऊ के फ्लैट समेत अन्य जिलों में खनन विभाग के कर्मचारियों व ठेकेदारों के 14 ठिकानों पर छापेमारी भी की थी। इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआइ ने हमीरपुर, शामली, फतेहपुर, देवरिया, सिद्धार्थनगर और अन्य जिलों में वर्ष 2012 से 2016 के बीच हुए खनन में धांधली की शिकायतों पर मार्च 2017 में सात प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज की थीं।
आरोप था कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के प्रतिबंध के बावजूद हमीरपुर समेत कई स्थानों पर धड़ल्ले से खनन कराया गया। सूत्रों का कहना है कि सीबीआइ जांच में सामने आया था कि हमीरपुर की तत्कालीन जिलाधिकारी बी.चंद्रकला ने 13 अप्रैल 2012 से छह जून 2014 के मध्य अपने कार्यकाल के दौरान खनन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ मिलकर 50 से ज्यादा खनन के पट्टे नियमों की अनदेखी कर जारी किए थे।
बिना ई-टेंडर के पट्टे दिए गए और पुराने पट्टों की मियाद भी बढ़ाई गई। जांच एजेंसी को इस मामले में सपा सरकार के तत्कालीन खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति की संलिप्तता के साक्ष्य भी मिले थे। जांच एजेंसी ने आरोप लगाया था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कार्यालय ने 17 फरवरी 2013 को ई-निविदा नीति का उल्लंघन करके एक ही दिन में 13 परियोजनाओं को मंजूरी दी थी। वर्ष 2013 में उनकी जगह गायत्री प्रजापति ने खनन मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला था, जिन्हें चित्रकूट निवासी एक महिला द्वारा दुष्कर्म का आरोप लगाए जाने के बाद 2017 में गिरफ्तार कर लिया गया था।
अखिलेश यादव के पास भी था भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग
सपा सरकार में भूतत्व एवं खनिकर्म मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति पर कानूनी शिकंजा कसा था। ईडी ने भी खनन घोटाले में गायत्री प्रजापति से लंबी पूछताछ की थी। सपा के शुरुआती शासनकाल में गायत्री प्रजापति से पहले खनिकर्म विभाग के मंत्री पद का दायित्व अखिलेश यादव के पास था। माना जा रहा है कि उस दौरान आवंटित पट्टों को लेकर अखिलेश यादव की भूमिका जांच के घेरे में है।
चुनाव के समय नोटिस आते हैं, 2019 में भी आया था: अखिलेश
सीबीआइ के नोटिस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भारतीय जनता पार्टी पर हमला बोला और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) के कदम को आगामी चुनावों से जोड़ा। उन्होंने कहा, ‘समाजवादी पार्टी सबसे ज्यादा निशाने (भाजपा के) पर है। 2019 में मुझे एक नोटिस मिला था, क्योंकि तब लोकसभा चुनाव थे। अब फिर से चुनाव आ रहे हैं, तो मुझे फिर से नोटिस मिल रहा है।
कहा कि मुझे मालूम है कि जब चुनाव आते हैं, तो नोटिस भी आएगा।’ अखिलेश यादव ने सवाल किया, ‘यह घबराहट क्यों? अगर पिछले 10 वर्षों में आपने (भाजपा ने) बहुत सारा काम किया है तो आप घबराए हुए क्यों हैं?’ विकास के मुद्दे पर भी उन्होंने भाजपा पर निशाना साधा और कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी यहां एक्सप्रेसवे पर एक हरक्यूलिस विमान में उतरे थे। इसे समाजवादियों ने बनाया था। आप देश में ऐसा हाईवे क्यों नहीं बना पाए जिस पर हरक्यूलिस विमान उतर सके।’
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि सपा-कांग्रेस गठबंधन से चिढ़ी भाजपा के इशारे पर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को सीबीआइ का नोटिस भेजा गया है। यह भाजपा की खिसियाहट को बयां कर रहा है। देश में जहां कहीं भी चुनाव हो रहा, वहां के लोगों को तोड़ने के लिए कहीं ईडी, कहीं सीबीआइ, तो कहीं इन्कम टैक्स का इस्तेमाल किया जा रहा है।