दारूलउलूम देवबंद द्वारा कोचिंग सेंटर में इंग्लिश आदि की कोचिंग लेने पर लगाई गई पाबंदी का मामला

दारूलउलूम देवबंद द्वारा कोचिंग सेंटर में इंग्लिश आदि की कोचिंग लेने पर लगाई गई पाबंदी का मामला
  • मोहममिम व दारूलउलूम देवबंद का फाईल फोटो

देवबंद: इस्लामिक शिक्षण संस्था दारुल उलूम द्वारा छात्रों के इंग्लिश सीखने को लेकर लगाई गई पाबंदी पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और यूपी अल्पसंख्यक आयोग सख्त हो गया है। मामले में एनसीपीसीआर ने डीएम को पत्र भेजकर कार्रवाई करने को निर्देशित किया है। जबकि अल्पसंख्यक आयोग ने नोटिस भेजकर प्रकरण में जवाब तलब किया है।

दो दिन पूर्व दारुल उलूम प्रबंधन की और से आदेश जारी किया गया था। जिसमें छात्रों के संस्था में पढ़ने के दौरान बाहरी कोचिंग सेंटरों में इंग्लिश आदि सीखने पर पाबंदी लगाई थी। साथ ही कहा गया था कि अगर कोई छात्र इस तरह के अमल में लिप्त पाया जाता है तो उसके विरुद्ध निष्कासन की कार्रवाई की जाएगी। दारुल उलूम का यह आदेश मीडिया पर सुर्खियां बटोरने लगा। जिसके चलते शुक्रवार को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के चेयरमैन प्रियंक कानूनगो ने मामले का संज्ञान लेते हुए इसे छात्रों के उत्पीडन का मामला बताते हुए डीएम डॉ. दिनेश चंद्र को पत्र भेजकर कार्रवाई करने को निर्देशित किया है। उधर, यूपी अल्पसंख्यक आयोग ने भी इस पर नाराजगी जताते हुए संस्था के शिक्षा विभाग से 21 जून तक जवाब तलब किया है।

दारुल उलूम देवबंद अंग्रेजी या किसी अन्य भाषा का मुखालिफ नही: नोमानी

प्रकरण को लेकर दारुल उलूम के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने स्पष्टीकरण दिया है। वीडियो के जरिये प्रशासन को भेजे गए स्पष्टीकरण में मोहतमिम ने कहा कि संस्था किसी भाषा की विरोधी नहीं है। संस्था ने अपना अलग अंग्रेजी और कंप्यूटर विभाग स्थापित किया हुआ है। जहां छात्रों को इसकी शिक्षा दी जाती है। संस्था के छात्रावास में रहकर छात्र बाहर कोचिंग और कारोबारी गतिविधियों में शामिल होते हैं, केवल उस पर रोक है। ताकि वह अपना पूरा समय संस्था के पाठ्यक्रम में ही लगा सके। मोहतमिम अबुल कासिम नोमानी ने कहा कि इदारे का प्राइमरी सेक्शन छात्रों को अंग्रेजी, गणित और विज्ञान की शिक्षा देता है। बताया कि जो नोटिस उन्हें दिया गया है उसका जवाब दिया जा रहा है।