छापुर का मंदिर प्रकरण : रोहित प्रधान व 20 अज्ञात के विरुद्ध मुकदमा दर्ज, क्षेत्र में रोष
- पुलिस की पक्षपातपूर्ण कार्यवाही से क्षेत्र में रोष
नकुड़: निकटवर्ती ग्राम छापुर में मंदिर में तोड-फोड़ प्रकरण में कार्यवाही की मांग को लेकर प्रशासन पर दबाव बनाने वाले रोहित प्रधान व उनके 20 अज्ञात साथियों के विरुद्ध नकुड़ थाना में एफआईआर दर्ज कर ली गई है।
दरअसल 1 अक्टूबर को ग्राम छापुर में शिव पार्वती मंदिर में कुछ अज्ञात लोगों ने तोडफोड़ कर मंदिर को ध्वस्त करने का प्रयास किया था। सूचना मिलने पर रोहित प्रधान अपने कुछ साथियों सहित मंदिर पँहुचे थे। मंदिर पँहुचकर उन्होंने प्रशासन को इस घटना का खुलासा करने व आरोपियों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही करने के लिए दबाव बनाया था।
अब पुलिस प्रशासन ने सुरेन्द्र कुमार पुत्र चन्दा सिंह निवासी ग्राम दैदपूरा की तहरीर पर रोहित प्रधान व उनके 20 साथियों पर ही भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 191(2), 196(1) व सूचना प्रोधोगिकी अधिनियम की धारा 67 के अधीन एफआईआर दर्ज कर ली है। पुलिस की इस कार्यवाही से पुलिस की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्न लग रहे है।
मंदिर में तोड-फोड़ का नहीं हुआ खुलासा
दूसरी ओर मंदिर में की गई तोड-फोड़ का पुलिस अभी तक खुलासा नहीं कर पाई है। हालांकि पुलिस ने 2 अक्टूबर को निकटवर्ती ग्राम घाटमपुर से दो नाबालिगों को पकड़कर चालान कर इतिश्री करने का प्रयास किया था। मगर, जब यह जानकारी ग्रामीणों को हुई तो 3 अक्टूबर को बड़ी संख्या में ग्रामीण थाना नकुड़ में पँहुचे व पुलिस के थ्योरी पर असंतोष जताया व घटना का सही खुलासा करने की मांग की। ग्रामीणों के अनुसार 8 व 10 साल के बच्चे मंदिर के शिखर पर चढ़कर मंदिर को नुकसान नहीं पँहुचा सकते। दूरी ओर मंदिर के दोनों रोशनदानों को भी तोड़ा गया था जिसमें लोहे के मोटे मोटे सरिये लगे थे, उन सरियों को तोड पाना बच्चों के बस की बात नहीं है।
पुलिस की पक्षपातपूर्ण कार्यवाही
उधर, विश्व हिन्दू परिषद के जिला अध्यक्ष दिग्विजय त्यागी ने कहा कि पुलिस प्रशासन को चाहिए था कि मंदिर को हानी पँहुचाने वालों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही करे न कि कार्यवाही मांग करने वालों के विरुद्ध। ऐसा लगता है कि इस प्रकरण में पुलिस स्थानीय सांसद के दबाव में है। रोहित प्रधान व उनके साथियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करना पुलिस की पक्षपात पूर्ण कार्यवाही को दर्शाता है। शायद पुलिस प्रशासन चाहता है कि सनातन पर वार करने पर कोई उसके विरुद्ध आवाज न उठा सके। रोहित प्रधान पर की गई कार्यवाही यही दर्शाती है।
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