बिहार में फिर टला मंत्रिमंडल का विस्तार, सीएम नीतीश का बड़ा बयान- बीजेपी प्रस्ताव दे तब तो हो फैसला
पटना । बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की नई सरकार में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं। हालांकि, इस संबंध में अभी अनिश्चतता का माहौल कायम है। फिलहाल मंत्रिमंडल विस्तार का मामला ठंडा पड़ गया है। मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंत्रिमंडल विस्तार का गेम भारतीय जनता पार्टी के पाले में डाल दिया तथा कहा कि इसमें विलंब के पीछे बीजेपी की ओर से कोई प्रस्ताव नहीं आना है। बीजेपी के प्रस्ताव देने के बाद इसपर फैसला किया जाएगा। खास बात यह है कि उन्होंने केवल बीजेपी का नाम लिया। जबकि, एनडीए में हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा एवं विकासशील इनसान पार्टी भी हैं।
मंत्रिमंडल विस्तार के लिए नहीं मिला बीजेपी का प्रस्ताव
मंगलवार को पटना हवाई अड्डे के विस्तारीकरण को ले चल रहे काम का निरीक्षण कर लौटने के क्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल विस्तार के लिए अभी तक बीजेपी का कोई प्रस्ताव नहीं मिला है। जैसे ही प्रस्ताव आएगा, इसपर बातचीत कर फैसला कर लिया जाएगा। उन्होंने आज शाम होने वाली कैबिनेट की बैठक को लेकर कहा कि इसमें अगले पांच साल के लिए होने वाले काम को लेकर फैसला लिया जाएगा।
अब खरमास बीतने तक फिर टलता दिख रहा मामला
मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर आरंभ में यह चर्चा थी कि विधानसभा सत्र खत्म होने के एक-दो दिनों के भीतर इसका विस्तार हो जाएगा। पर मामला टलता गया। इसके बाद यह चर्चा तेज हुई कि 15 दिसंबर के पहले मंत्रिमंडल का विस्तार होगा, लेकिन यह बात भी टल गयी। अब मुख्यमंत्री के वक्तव्य के बाद यह तय लग रहा है कि मंत्रिमंडल विस्तार खरमास के बाद ही होगा। खरमास होने की वजह से 14 जनवरी के पहले मंत्रिमंडल विस्तार के लिए बीजेपी से कोई प्रस्ताव आने की उम्मीद भी नहीं लग रही है।
एनडीए में गतिरोध नहीं, उचित समय पर होगा फैसला
इस बाबत बीजेपी के प्रवक्ता संजय टाइगर ने स्पष्ट किया कि एनडीए के चार घटक दल हैं, जिनके नेतृत्व आपस में सहमति बनाकर कोई फैसला करेंगे। फिर अंतिम फैसला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार करेंगे। सरकार के मुखिया नीतीश कुमार हैं, इसलिए वे बात कर फैसला करेंगे। एनडीए में कोई गतिरोध नहीं है और उचित समय पर बातचीत कर मंत्रिमंडल विस्तार का फैसला कर लिया जाएगा।
नीतीश सरकार में फिलहाल हैं 13 मंत्री
वर्तमान में कई मंत्रियों के पास तीन से चार महकमे हैं। जेडीयू कोटे से शिक्षा मंत्री बने मेवा लाल चौधरी के इस्तीफे के बाद उनकी जवाबदेही अशोक चौधरी को दी गयी। बीजेपी कोटे से दो उपमुख्यमंत्री के साथ अभी सात मंत्री हैं। जबकि जेडीयू कोटे से अभी केवल चार मंत्री हैं। ‘हम’ से एक और ‘वीआइपी’ से एक मंत्री हैं।