असम में शुरू होगी भारतीय सभ्यता की पढ़ाई, डिग्री-डिप्लोमा पाठ्यक्रम को कैबिनेट की मंजूरी

गुवाहाटी : असम में सर्बानंद सोनोवाल के नेतृत्व वाली सरकार ने सभी मदरसे और संस्कृत स्कूल बंद करने का फैसला किया है. कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. असम सरकार ने साथ ही कुंवर भास्कर वर्मा संस्कृत और प्राचीन अध्ययन विश्वविद्यालय की ओर से शुरू किए गए प्रमाण पत्र, डिप्लोमा, डिग्री पाठ्यक्रमों के लिए 97 अध्ययन केंद्र और अनुसंधान केंद्र बनाने का भी निर्णय लिया है.
असम सरकार ने भारतीय सभ्यता में डिग्री और डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू करने का भी ऐलान किया है. असम भारतीय सभ्यता में डिग्री और डिप्लोमा शुरू करने वाला देश का पहला राज्य होगा. असम में धार्मिक शिक्षा को हटा दिया जाएगा. एसईबीए 2022 से हाई मदरसा परीक्षा का आयोजन नहीं करेगा. प्रदेश में मदरसा बोर्ड, चार अरेबिक कॉलेज, 14 टाइटल मदरसा, 138 सीनियर मदरसा, 230 प्री सीनियर मदरसा इस साल यानी 2021 की परीक्षा के बाद भंग कर दिए जाएंगे.
धार्मिक शिक्षा हटाए जाने के बाद शैक्षणिक और प्रशासनिक प्राधिकरण का निदेशालय में विलय कर दिया जाएगा. इसके लिए असम सरकार विधानसभा के अगले सत्र में विधेयक पेश करेगी. नए नियम के लिए नोटिफिकेशन जल्द जारी किया जाएगा. गौरतलब है कि असम सरकार के शिक्षा मंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने मदरसे और संस्कृत स्कूलों के पुनर्गठन का ऐलान किया था. उन्होंने तब यह भी कहा था कि धार्मिक शिक्षा पर सरकारी धन नहीं खर्च किया जा सकता.
असम के शिक्षा मंत्री ने यह भी कहा था कि प्रदेश में 610 सरकारी मदरसे हैं, जिन पर हर साल 260 करोड़ रुपये खर्च होते हैं. वहीं, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता और विधानसभा के उपाध्यक्ष अमीनुल हक लस्कर ने कहा था कि निजी संगठनों की ओर से संचालित मदरसों को बंद नहीं किया जाएगा. बता दें कि असम विधानसभा का शीतकालीन सत्र 28 दिसंबर से शुरू हो रहा है.