15 मई तक देश में 65 लाख को हो चुका था कोरेाना, ICMR का सीरो सर्वे क्‍यों कर रहा हैरान

15 मई तक देश में 65 लाख को हो चुका था कोरेाना, ICMR का सीरो सर्वे क्‍यों कर रहा हैरान

भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामलों का आधिकारिक आंकड़ा करीब 46 लाख है। हालांकि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) का एक सर्वे देश में इससे कई गुना ज्‍यादा संक्रमण फैलने का अनुमान लगा रहा है। शुक्रवार को ICMR में सीरोलॉजिकल सर्वे के नतीजे जारी किए। ICMR के अनुसार, मई की शुरुआत में भारत में कुल 64,68,388 वयस्‍क लोगों में कोविड संक्रमण होने का अनुमान था। इसके बावजूद, पूरे देश की वस्‍यक आबादी में सीरोप्रिवेलेंस का आंकड़ा सिर्फ 0.73% रहा। 15 मई तक, आधिकारिक आंकड़ों में कोरोना के सिर्फ 85,940 मामले दर्ज हुए थे। यानी संक्रमण का असल आंकड़ा उस वक्‍त उससे कई गुना ज्‍यादा था। आइए, ICMR की इस रिपोर्ट की बड़ी बातें समझते हैं।

जीरो केसेज वाले जिलों में ही 8.5 लाख इन्‍फेक्‍शंस!

ICMR ने यह सर्वे चार पैमानों पर किया। सर्वे के वक्‍त देश में जितने मामले सामने आए थे, उस हिसाब से जिलों को बांटा गया। उस वक्‍त जिन जिलों में एक भी केस नहीं था, ICMR के मुताबिक ऐसे 233 जिलों में भी तब तक 8,56,062 लोगों को संक्रमण हो चुका था।

‘शहरी इलाकों में संक्रमण का खतरा ज्‍यादा’

ICMR ने अपने सर्वे में कहा है कि ग्रामीण इलाकों के मुकाबले शहरी इलाकों में कोरोना इन्‍फेक्‍शन का रिस्‍क 1.09 गुना ज्‍यादा है। शहरी स्‍लमों में संक्रमण का खतरा ग्रामीण इलाकों से 1.89 गुना ज्‍यादा पाया गया। स्‍टडी के अनुसार, “शहरी स्‍लमों में रहने वाले पुरुषों जिनका काम संक्रमित लोगों के संपर्क में आने वाला है, उसमें सीरोपॉजिटिविटी देखी गई।”

46 से 60 साल उम्र वालों में सीरोपॉजिटिविटी सबसे ज्‍यादा

ICMR ने कुल 30,283 घरों का दौरा किया और 28 हजार लोगों को एनरोल किया। सर्वे में पॉजिटिव मिले 157 लोगों में से, 43.3% 18 से 45 साल की उम्र वाले थे। 39.5% लोगों की उम्र 46 से 60 साल के बीच थी जबकि बाकी 17% 60 से ज्‍यादा उम्र वाले थे। हालांकि 46 से 60 साल उम्र वाले ग्रुप में सीरोपॉजिटिविटी सबसे ज्‍यादा मिली। इस एजग्रुप के कुल 9,525 लोगों में से सिर्फ 62 (0.65%) ही पॉजिटिव मिले।

आधिकारिक आंकड़ों और ICMR के अनुमान में इतना अंतर क्‍यों?

ICMR सर्व के अनुसार, मई के मध्‍य तक देश की वयस्‍क आबादी का 1% से भी कम हिस्‍सा कोरोना के संपर्क में आ चुका था। जबकि आधिकारिक आंकड़े एक लाख मामलों से भी कम थे। इसका मतलब यह है कि देश में महामारी के शुरुआती कुछ महीनों में अधिकतर मामले सामने नहीं आ सके। इसकी एक बड़ी वजह हमारी टेस्टिंग की रणनीति हो सकती है। तब देश में लिमिटेड टेस्‍ट किट्स थीं और लैब्‍स की क्षमता भी कम थीं। साथ ही बड़ी संख्‍या में लोग एसिम्‍प्‍टोमेटिक रहे। किसी सीरो सर्वे में आबादी के भीतर वायरस फैलने के प्रतिशत का पता चलता है। इसमें ऐंटीबॉडीज का पता लगाया जाता है। शरीर में ऐंटीबॉडीज होने का मतलब है कि व्‍यक्ति इन्‍फेक्‍ट हुआ था मगर अब नहीं है।

अक्‍टूबर के पहले हफ्ते में 70 लाख केस!

आने वाले कुछ हफ्तों में देश के भीतर कोविड-19 की स्थिति और बिगड़ सकती है। बिट्स पिलानी के हैदराबाद कैंपस ने एक अनुमान में कहा है कि अक्‍टूबर के पहले हफ्ते तक भारत में कोरोना संक्रमण के मामले 70 लाख के पार जा सकते हैं। यानी तब तक भारत दुनिया में कोरोना से सबसे ज्‍यादा प्रभावित देश बन जाएगा।

क्या भारत में बढ़ता ही चला जाएगा कोरोना?