सामाजिक समरस समाज का निर्माण करना ही डा. अम्बेडकर को सच्ची श्रद्धांजलि: आलोक

सामाजिक समरस समाज का निर्माण करना ही डा. अम्बेडकर को सच्ची श्रद्धांजलि: आलोक
  • सहारनपुर में जनमंच सभागार में संगोष्ठी को सम्बोधित करते विहिप के केंद्रीय कार्याध्यक्ष आलोक।

सहारनपुर। विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय कार्याध्यक्ष आलोक ने कहा कि डा. अम्बेडकर द्वारा दिए गए आदर्श, सिद्धांत एवं शिक्षाओं पर चलकर सामाजिक समरस समाज का निर्माण करना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि है।

विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय कार्याध्यक्ष आलोक आज यहां सेठ गंगाप्रसाद माहेश्वरी सभागार में संविधान निर्माता डा. बी. आर. अम्बेडकर की जयंती के उपलक्ष में सामाजिक समरसता विषय पर आयोजित संगोष्ठी को बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी मं आज का समाज बाबा साहब के बारे में बहुत कुछ जानता है और बहुत कुछ जानने की इच्छा रखता है। भारतीय संविधान ही उनका सबसे बड़ा शास्त्र और स्मृति है। वैसे तो डा. अम्बेडकर को संविधान निर्माता एवं सामाजिक उत्थान से जुड़े संघर्षों के लिए जाना जाता है परंतु उन्होंने राष्ट्र एवं समाज को मजबूत करने वाले हर विषय में अपनी भूमिका अदा की है। उन्होंने कहा कि कश्मीर में धारा-370 का विरोध करना उनकी महान राष्ट्रवादी सोच को प्रदर्शित करता है। उन्होंने समान नागरिक संहिता के लिए पूर्ण रूप से मांग की थी। उनका कहना था कि पता नहीं क्यों पं. जवाहर लाल नेहरू समाज के लिए समान नागरिक संहिता का विरोध करते हैं।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड विश्व का आध्यात्मिक गुरू है। इसलिए उत्तराखंड पहला राज्य होगा जो समान नागरिक संहिता लागू करेगा। कुछ अन्य राज्य भी इस पर कार्य एवं विचार कर रहे हैं परंतु विहिप सम्पूर्ण भारत में समान नागरिक संहिता लागू करने की मांग करता है। आलोक ने कहा कि डा. अम्बेडकर ने अपनी पुस्तक थॉट्स ऑन पाकिस्तान में नेहरू जी की मुस्लिम तुष्टिकरण नीति का पुरजोर विरोध किया था। उन्होंने अपनी पुस्तक द हिंदू में अपने विचार विस्तृत रूप से प्रकट किए हैं। नारी समाज जोकि समाज का 50 प्रतिशत है, को भी अधिकार दिलाने के लिए उन्होंने संघर्ष किया।

उन्होंने कहा कि डा. बी. आर. अम्बेडकर व आरएसएस के संस्थापक डा. केशव राव बलिराम हेगडेवार के मध्य विचारों में सम्पूर्ण समानता थी। डा. अम्बेडकर सामाजिक समरस समाज का निर्माण करना चाहते थे और डा. हेगडेवार भी सामाजिक समरस समाज का निर्माण करने की विचारधारा के थे। आरएसएस एवं विहिप अब तक इसी विचारधारा पर काम कर रहे हैं। आलोक ने कहा कि भय या लालच में हिंदुओं का धर्मांतरण कराना अक्षम्य है। धर्मांतरित लोगों को आरक्षण का लाभ बिल्कुल नहीं मिलना चाहिए। यह हिंदू समाज के पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति समाज के लोगों के अधिकारों की चोरी है। विहिप ऐसा नहीं होने देगी। संगोष्ठी को डा. अजय सिंह, जयराम गौतम, अरविंद शर्मा ने भी सम्बोधित किया। संगोष्ठी की अध्यक्षता विजयपाल व संचालन विभाग अध्यक्ष शिवकुमार गौड़ ने किया।

इस दौरान क्षेत्रीय सामाजिक समरसता प्रमुख वीरेंद्र, सुरेंद्र शर्मा, के. एल. अरोड़ा, क्षेत्रीय संगठन मंत्री सोहनसिंह सोलंकी, प्रांत कार्याध्यक्ष जयपाल सिंह, प्रांत सहमंत्री राजकुमार डुंगर, सुरेंद्र अग्रवाल, आचार्य कमल किशोर, रमेश चंद शर्मा, रविंद्र तोमर, विकास त्यागी, कपिल मोहड़ा, मोंकित पुंडीर, हरीश कौशिक, सुनील मित्तल, अनुज शर्मा, नवाब सिंह, मनीष, दिग्विजय सिंह त्यागी, अमित, कमलेश अग्रवाल, देवेंद्र अग्रवाल, रविंद्र लाम्बा, अंकुर चौहान, शिवसिंह नेगी, अभिषेक पंडित, आलोक बोबी, देवेंद्र कुमार, सागर भारद्वाज, शानू, मधुर गर्ग, सुषमा रामपाल, सुमन बाला, प्राची चावला आदि मौजूद रहे।