गोलीबारी से पहले नहीं बुलाई गई थी फ्लैग मीटिंग, जांच में नप सकते हैं बीएसएफ अधिकारी

सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) के बीच हुई झड़प मामले की जांच शुरू हो गई है। इसमें बीएसएफ के कई अधिकारी और जवान नप सकते हैं। जांच से जुड़े प्रारंभिक तथ्यों से पता चला है कि घटना से पहले दोनों देशों के बीच अधिकारिक तौर पर फ्लैग मीटिंग नहीं बुलाई गई थी। बीएसएफ जवानों को जब यह सूचना मिली कि बीजीबी तीन भारतीय मछुआरों के साथ मारपीट कर रहे हैं। इतना सुनते ही बीएसएफ जवान तैश में आ गए और बिना कुछ सोचे समझे, वे एक नाव में सवार होकर बांग्लादेश क्षेत्र में प्रवेश कर गए।

उनके दिमाग में यह बात थी कि बांग्लादेश एक फ्रेंडली बॉर्डर है, इसलिए कोई दिक्कत नहीं होगी। यही वजह थी कि नाव में सवार सभी जवानों के पास पर्याप्त हथियार नहीं थे। तीन जवानों ने ड्रेस भी नहीं पहन रखी थी। वहीं, दूसरी तरफ बीजीबी जवान एके-47जैसे हथियारों से लैस थे।

फ्लैग मीटिंग है जरूरी

बीएसएफ के अधिकारिक सूत्र बताते हैं कि इस मामले में दोनों देशों के डीजी आपस में बातचीत कर रहे हैं। जांच से पता लगाया जा रहा है कि हमारे जवानों ने आपा क्यों खोया। वे केवल इस भरोसे पर कि आगे फ्रेंडली बॉर्डर है, बांग्लादेश की बराल नदी के बालूघाट के शाहारीघाट क्षेत्र के अंदर 650 मीटर की दूरी तक चले गए। जबकि नियम यह है कि कोई भी बल अगर एक-दूसरे की सीमा में आकर या अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा (आईबी) पर बातचीत करना चाहता है, तो इसके लिए फ्लैग मीटिंग बुलाई जाती है। उक्त अधिकारी के मुताबिक, इस घटना में अभी तक जितने भी तथ्य सामने आ रहे हैं, उनमें फ्लैग मीटिंग का कहीं कोई जिक्र ही नहीं है।

फ्लैग मीटिंग के बनते हैं मिनट्स

फ्लैग मीटिंग तय होने से पहले ही दोनों देशों के जवानों के बीच गोली चल गई। फ्लैग मीटिंग बुलाने का एक नियम होता है, उसमें अधिकारी भाग लेते हैं। दोनों तरफ से झंडे के जरिए एक संदेश दिया जाता है कि फ्लैग मीटिंग के लिए दोनों पक्ष तैयार हैं। फ्लैग मीटिंग जब होती है तो उसमें कम से कम 15 गार्ड साथ रहते हैं। उसकी सूचना ऊपर तक भेजी जाती है और बैठक के मिनट्स बनते हैं। अगर बीजीबी और बीएसएफ के बीच फ्लैग मीटिंग हुई होती, तो गोलीबारी की घटना को टाला जा सकता था।

तय नियमों का पालन नहीं किया

बीएसएफ सूत्रों के मुताबिक जवानों ने मछुआरों को रिहा कराने के लिए तय नियमों का पालन नहीं किया। हालांकि इससे पहले भी ऐसा होता रहा है कि दोनों देशों के जवान किसी भी संदिग्ध व्यक्ति या तस्कर को पकड़ते हैं, तो एक दूसरे के हवाले कर देते हैं। जिस जगह पर यह घटना हुई, वहां बड़े पैमाने पर पशुओं की तस्करी भी होती है। आए दिन बीएसएफ को तस्करों का सामना करना पड़ता है।

बीजीबी का आरोप है कि पद्मा नदी पर इंजन से चलने वाली एक नाव में तीन भारतीय मछुआरों को उस वक्त पकड़ा गया, जब वे बांग्लादेश के अंदर 350 गज की दूरी पर जाकर मछली पकड़ रहे थे। वहां पर बीजीबी चारगार्ड बॉर्डर आउटपोस्ट (बीओपी) के जवान तैनात थे।

दोनों तरफ से तैश में आ गए जवान

हालांकि मछुआरों का कहना था कि नदी में आए तेज बहाव के चलते वे बांग्लादेश की सीमा में आ गए थे। उन्हें खुद इसका पता नहीं चला। उनके साथ बीजीबी ने गलत व्यवहार किया। जब यह सूचना बीएसएफ को मिली तो चार जवान मछुआरों को बचाने के लिए निकल पड़े। वे सभी एक स्पीडबोट में थे। शाहारीघाट के माध्यम से उन्होंने बांग्लादेश क्षेत्र में प्रवेश किया था। बीजीबी का आरोप है कि उन जवानों में से केवल एक वर्दी में था, बाकी तीन सिविल कपड़ों में थे।

बीएसएफ जवानों ने मछुआरों को छोड़ने का आग्रह किया। जब बीजीबी वाले नहीं माने, तो वे तैश में आ गए। आरोप है कि बीएसएफ ने मछुआरों को अपनी ओर खींचने का प्रयास किया। इसके चलते दोनों देशों के जवानों में झड़प हो गई।नतीजा, बीएसएफ के एक जवान की मौत हो गई, जबकि दूसरा घायल हो गया है।

मामले को आगे नहीं बढ़ाने पर सहमति

गोलीबारी की घटना के बाद गुरुवार को दोनों देशों के बीच फ्लैग मीटिंग बुलाई गई। बीजीबी की ओर से लेफ्टिनेंट कर्नल फिरदोस और बीएसएफ के अधिकारी केएस मेहता ने फ्लैग मीटिंग में भाग लिया। बैठक में,दोनों पक्षों ने इस मामले को आगे नहीं बढ़ाने और शांति से गश्त करने पर सहमति जताई। तय हुआ कि जल्द ही दूसरी फ्लैग मीटिंग बुलाई जाएगी। इधर, बीएसएफ ने मामले की जांच शुरू कर दी है। उन वजहों का पता लगाया जा रहा है, जिसके चलते जवानों ने आपा खोया। बिना फ्लैग मीटिंग के वे दूसरे देश की सीमा में घुस रहे हैं, यह जानकारी अधिकारियों को क्यों नहीं दी गई।

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