नेशनल कांफ्रेंस छोड़ भाजपा के हुए राणा और सलाथिया, डॉ जितेंद्र सिंह भी थे मौजूद

- प्रस्तावित जम्मू घोषणा पत्र पर सभी लोगों को एक मंच पर आना चाहिए जिसमेंं जम्मू के हितों की बात हो। उन्होंने उन नेताओं की भी निंदा की जो जम्मू-कश्मीर को बांटने वाली (Dixon Plan) योजना को लागू करवाना चाहते हैं।
जम्मू: नेशनल कांफ्रेंस से इस्तीफा देने के बाद वरिष्ठ नेता देवेंद्र सिंह राणा और सुरजीत सिंह सलाथिया आज सोमवार को भाजपा में शामिल हो गए। दिल्ली स्थित भाजपा पार्टी मुख्यालय में आयोजित समारोह में केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पूरी, धर्मेद्र प्रधान और पीएमओ राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह की उपस्थिति में देवेंद्र सिंह राणा और सुरजीत सिंह सलाथिया भाजपा में शामिल हुए।
दोनों नेताओं ने गत दिवस रविवार को जम्मू में नेशनल कांफ्रेंस की प्राथमिकता सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया था। देवेंद्र सिंह राणा ने नेशनल कांफ्रेंस से इस्तीफा देते हुए कहा कि उनके लिए जम्मू के हित सर्वोपरि हैं और वह जम्मू के लिए कोई भी कुर्बानी देने के लिए तैयार हैं। भाजपा में शामिल होने के बाद राणा ने कहा कि हम जम्मू के लोगों की अपेक्षाओं को देखते हुए भाजपा में शामिल हुए हैं। प्रस्तावित जम्मू घोषणा पत्र पर सभी लोगों को एक मंच पर आना चाहिए जिसमेंं जम्मू के हितों की बात हो। उन्होंने उन नेताओं की भी निंदा की जो जम्मू-कश्मीर को बांटने वाली (Dixon Plan) योजना को लागू करवाना चाहते हैं।
राणा ने कहा कि ऐसे नेता जम्मू-कश्मीर की एकजुटता के लिए खतरा हैं और इन्हें रोकने के लिए हमें मिलकर काम करना होगा। हमारा लक्ष्य जम्मू-कश्मीर के लोगों के हितों को ध्यान में रखकर एक सूत्र में परोना है। जम्मू के हितों के लिए सभी को एक मंच पर आना चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा राष्ट्रीय प्रधान जेपी नड्डा, भाजपा जम्मू-कश्मीर प्रभारी तरुण चुग, प्रदेश प्रधान रविन्द्र रैना का धन्यवाद किया।
आपको जानकारी हो कि देवेंद्र सिंह राणा ने अपने वरिष्ठ सहयोगी और पूर्व मंत्री सुरजीत सिंह सलाथिया के साथ नेशनल कांफ्रेंस की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया था। पीएमओ में राज्यमंत्री डा. जितेंद्र सिंह के छोटे भाई देवेंद्र सिंह राणा साल 2011 में नेशनल कांफ्रेंस के प्रांतीय प्रधान बने थे। उस समय उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के राजनीतिक सलाहकार का पद छोड़ा था। राणा ने कहा कि उनके लिए जम्मू के हित सर्वोपरि हैं। उनकी राजनीतिक विचारधारा प्रस्तावित जम्मू घोषणापत्र पर है जिसमें जम्मू के हितों के लिए और जम्मू क्षेत्र के लोगों की आकांक्षाओं के लिए सभी को एक मंच पर आना चाहिए। जम्मू घोषणापत्र इस दिशा में एक प्रयास है। जम्मू के हितों के लिए कोई भी कुर्बानी देने को तैयार हूं। जम्मू घोषणापत्र की बात मैने करीब एक साल पहले की थी।
जम्मू के हक के लिए मुझे कोई भी कुर्बानी देने पड़े या राजनीतिक भविष्य खत्म करन पड़े तो भी पीछे नहीं हटूगा। यह डोगरा प्रदेश है। सबसे से कहूंगा कि जम्मू को मजबूत कर लें। पार्टी में किसी के आने या जाने से कोई झटका नहीं होता। सबसे आह्वान है कि हम सबको इकट्ठा होना चाहिए। इतिहास बाद में मौका नहीं देगा। एक आवाज बनना होगा।