विधानसभा चुनाव में भ्रष्टाचार डुबो सकता है भाजपा की नैय्या
- विपक्षी दलों की भ्रष्टाचार पर चुप्पी भी दुःखदाई।
देवबंद [24CN] : भ्रष्टाचार देश को दीमक की तरहा चाट रहा है, परन्तु अफसोस की बात यह है कि आने वाले 2022 के विधानसभा चुनाव से पूर्व तमाम राजनीतिक दल सत्ता पाने के लिए एक दूसरे की खामियां तो गिनवा रहे है मगर भ्रष्टाचार पर अपनी जुबान को बंद किए है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सत्तासीन भाजपा के विरुद्ध सपा, बसपा और कांग्रेस सहित कई राजनीतिक दल ताल ठोक कर मैदान में है। सभी राजनीतिक दल महंगाई सहित कई मुद्दों पर चिंता जता रहे है, मगर भ्रष्टाचार पर कोई भी राजनीतिक दल बोलने को तैयार नही है। भ्रष्टाचार का आलम यह है कि कोई सरकारी कार्यालय ऐसा नही है, जहां भ्रष्टाचार न हो। सरकारी कार्यालयों में चपरासी से अधिकारी तक सभी बिना सुविधा शुल्क के काम नही करना चाहते है। सूत्र बताते है कि सरकारी अधिकारी हो या मामूली कर्मचारी सभी का वेतन खाते में जमा रहता है और उसके तमाम खर्चे सुविधा शुल्क के रूप से मिले धन से ही चल जाते है।
भाजपा की सरकार ने कई ऐसे निर्णय लिए है, जो इतिहास बन गये है, मगर भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सरकार ने कोई कदम नही उठाया है, जो भाजपा की बडी भूल है। दूसरी ओर विपक्षी पार्टिया भी भ्रष्टाचार को लेकर कतई गम्भीर नजर नही आर ही है। जबकि विपक्ष की बडी जिम्मेदारी बनती है, कि वह जनहित में भ्रष्टाचार के खिलाफ लडाई लडे धरना-प्रदर्शन करें, मगर तमाम पार्टिया अपने अपने स्वार्थ के चलते केवल अन्य मुद्दों पर संघर्ष कर रहे है। इस विषय पर न बोलने के पीछे सबसे महत्वपूर्ण बात यह है, कि उत्तर प्रदेश मे पहले सपा, बसपा और कांग्रेस का शासन रह चुका है, जिसमें भ्रष्टाचार, गुड्डागर्दी चर्म पर रही है, भाजपा शासन में लोगों को गुंड्डो तथा गुंड्डागर्दी से बडी राहत मिली है, इसीलिए सभी विपक्षी पार्टियां अपने मूंह सीये है। अब भी समय है, कि प्रदेश की योगी सरकार भ्रष्टाचार को लेकर गम्भीर बने और अपनी मशीनरी को सुधारे अन्यथा आने वाला चुनाव भाजपा के लिए हार का कारण बन सकता है।