115 रुपये में जमीन पर कब्जे को लेकर घिरी सपा, सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी के बाद भाजपा ने साधा निशाना

लखनऊ। पीलीभीत के समाजवादी पार्टी कार्यालय के लिए 115 रुपये में जमीन कब्जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी के बाद भाजपा आक्रामक है। भाजपा पहले ही सपा की सरकार के समय खाली प्लाट हमारा है कि नीति पर गुंडाराज चलाने का आरोप लगाती रही है। अब जमीनों पर कब्जे को सपा का मूल चरित्र करार दिया जा रहा है। उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने मंगलवार को कहा कि सपा जब-जब सत्ता में रही है, हमेशा जमीनों, दुकानों, मकानों पर कब्जा करना इनकी प्राथमिकता रही है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने भी सपा पर हमला बोला है। वहीं मामले को लेकर सपा बैकफुट पर दिख रही है।
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने पीलीभीत में केवल 115 रुपये में कार्यालय की जगह धोखाधड़ी से कब्जाने के मामले को लेकर समाजवादी पार्टी को फटकार लगाई थी और इसे राजनीतिक शक्ति का स्पष्ट दुरुपयोग बताया था। राजनीतिक दल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता से कहा था कि यह धोखाधड़ी से आवंटन का मामला नहीं है, बल्कि बाहुबल और सत्ता का दुरुपयोग कर धोखाधड़ी से कब्जा किए जाने का मामला है। आप एक राजनीतिक दल हैं। आपने जगह पर कब्जा करने के लिए आधिकारिक पद और राजनीतिक शक्ति का दुरुपयोग किया। जब कार्रवाई होती है, तो आपको सब कुछ याद आने लगता है। क्या आपने कभी नगरपालिका क्षेत्र में 115 रुपये किराए पर कार्यालय की जगह के बारे में सुना है? यह सत्ता के दुरुपयोग का स्पष्ट मामला है।
मामले को लेकर मंगलवार को उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने माना है कि सपा अपने कार्यालयों को बनाने के लिए जमीन, दुकान पर कब्जा कर रही है। ये बहुत ही निंदनीय कृत्य है। जनता इनके कृत्यों को समझ चुकी है। सपा जब-जब सत्ता में रही है, हमेशा जमीनों, दुकानों, मकानों पर कब्जा करना इनकी प्राथमिकता रही है।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि समाजवादी पाार्टी का यही इतिहास है। जमीनों पर कब्जा और गैरकानूनी काम करना इनका मूल चरित्र है । यह पार्टी जब भी सत्ता में आती है नियमों को ताक पर रखकर इसी तरह जमीनों-भवनों पर कब्जे करती है।
वहीं मामले में सपा प्रवक्ता पूर्व मंत्री राजेंद्र चौधरी ने कहा कि प्रकरण की पूरी जानकारी नहीं है। जमीनों पर कब्जे का काम भाजपा करती है। वर्तमान में हर जगह सत्ता के संरक्षण में जमीनें कब्जाने का काम चल रहा है। वैसे मामला पार्टी कार्यालय का था, अन्य राजनीतिक दलों के कार्यालय भी इसी तरह खुले हैं।