BJP सांसद मनोज तिवारी बोले- सरकार भी जानना चाहती है ज्ञानवापी का सच, पूजास्थल अधिनियम में बदलाव संभव

BJP सांसद मनोज तिवारी बोले- सरकार भी जानना चाहती है ज्ञानवापी का सच, पूजास्थल अधिनियम में बदलाव संभव

वाराणसी: भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने रविवार को कहा कि कुछ लोग 1991 में बने कानून का सहारा लेकर विवादित धार्मिक स्थलों का सच सामने नहीं लाने देना चाहते हैं। उन्हें पता होना चाहिए की जनता की मांग पर वर्तमान सरकार ऐसे कानून में संशोधन करके उसे बदल भी सकती है

उनका संकेत पूजा स्थल (विशेष प्रविधान) अधिनियम, 1991 की ओर था, जिसके अनुसार 15 अगस्त 1947 से पहले अस्तित्व में आए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को किसी दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जा सकता।

मनोज तिवारी ने आदि महादेव काशी धर्मालय मुक्ति न्यास की ओर से चौकाघाट स्थित गिरजा देवी सांस्कृतिक संकुल में आयोजित राष्ट्रीय समस्या और समाधान विषयक संगोष्ठी को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि देश के लोगों के साथ सरकार भी ज्ञानवापी का सच जानना चाहती है। यह तभी होगा जब विश्वसनीय एजेंसी के जरिए वहां सर्वे किया जाएगा।

ज्ञानवापी का सर्वे करने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) सबसे उपयुक्त एजेंसी है। कुछ लोग सर्वे का विरोध कर रहे हैं कि इससे वहां मौजूद इमारत और साक्ष्यों को नुकसान होगा। उन्हें पता होना चाहिए कि एएसआइ 500 वर्ष पुरानी इमारत की उम्र 500 साल बढ़ा देती है, उन्हें नुकसान नहीं पहुंचाती।

दिल्ली के पूर्व विधायक कपिल मिश्रा ने कहा कि किसी भी देश में शांति तभी होगी, जब सत्य स्वीकार किया जाएगा। समाज का एक वर्ग ज्ञानवापी के सच को स्वीकार नहीं कर रहा है।

स्वामी दीपांकर ने कहा कि पूरा विश्व बाबा विश्वनाथ को सिर नवाता है, लेकिन काशी उन्हें प्यार करती है और उनकी मुक्ति के लिए संघर्ष करेगी। शिव हमारे शीश, राम प्राण और कृष्ण प्रज्ञा हैं। इन तीनों की मुक्ति ही युक्ति है।

सुरेश चह्वाण ने कहा कि ज्ञानवापी के साथ लाट भैरव, बिंदू माधव और कृति विश्वेश्वर के विवाद को भी हल किया जाना चाहिए। ज्ञानवापी प्रकरण में मंदिर पक्ष के वकील हरिशंकर जैन ने ज्ञानवापी मुकदमे के बारे में विस्तार से बताया।

काशी विश्वनाथ मंदिर के अर्चक श्रीकांत मिश्र ने पुराणों में ज्ञानवापी के वर्णन की जानकारी दी। संचालन मंदिर पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने किया।