दिल्ली चुनाव: 2019 लोकसभा चुनाव में 65 विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी का पलड़ा था भारी,आप को लगा था झटका

दिल्ली चुनाव: 2019 लोकसभा चुनाव में 65 विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी का पलड़ा था भारी,आप को लगा था झटका

नई दिल्ली
दिल्ली में विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप), भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होने जा रहा है। मुख्यमंत्री अरविंद जहां अपने 5 साल के कामकाज गिनाते हुए 2015 का प्रदर्शन दोहराने का दावा कर रहे हैं तो बीजेपी 2019 लोकसभा चुनाव नतीजों के सहारे कार्यकर्ताओं में जोश भर रही है। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने भी सोमवार को लोकसभा चुनाव परिणाम का हवाला देकर जीत का भरोसा दिखाया।

पिछले विधानसभा चुनाव में चली थी AAP की सुनामी
2015 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की सुनामी चली थी, जिसमें कांग्रेस का तो खाता तक नहीं खुला था और बीजेपी महज 3 सीटों पर सिमट गई। केजरीवाल के नेतृत्व में AAP ने दिल्ली की 70 में से 67 सीटों पर जीत हासिल की जो 2013 के मुकाबले 39 सीटें ज्यादा थी। 2013 में 32 सीटें जीतने वाली बीजेपी मुश्किल से 3 सीट ही जीत पाई। बीजेपी से भी बुरा हाल कांग्रेस का रहा जो खाता तक नहीं खोल पाई जबकि 2013 में उसने 8 सीटें जीती थी। बात अगर 2015 के विधानसभा चुनाव में वोट शेयर की करें तो आम आदमी पार्टी ने 54.3 प्रतिशत वोट हासिल किए। बीजेपी को 32.3 प्रतिशत और कांग्रेस को 9.7 प्रतिशत वोट मिले थे।

कांग्रेस को खोई जमीन वापस मिलने की उम्मीद

2015 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का भले ही खाता नहीं खुला था लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में वह AAP को पछाड़कर बीजेपी की मुख्य प्रतिद्वंद्वी के तौर पर उभरी थी। 7 में से 5 सीटों पर कांग्रेस दूसरे पायदान पर रही थी, जबकि सिर्फ 2 सीटों पर AAP दूसरे पायदान पर थी। वोटशेयर के लिहाज से भी कांग्रेस ने अपने प्रदर्शन में सुधार किया और वह दूसरे स्थान पर रही। 2019 के लोकसभा चुनाव में दिल्ली में बीजेपी को 56.58 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि कांग्रेस 22.46 प्रतिशत वोट लेने में कामयाब रही। AAP वोट शेयर के मामले में तीसरे पायदान पर थी ौर उसे सिर्फ 18 प्रतिशत वोट मिले।

2019 लोकसभा चुनाव में अपने प्रदर्शन से आशावादी है बीजेपी
दूसरी तरफ बीजेपी 2019 के लोकसभा चुनाव में अपने प्रदर्शन की वजह से आशावादी है। वैसे 2014 लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी ने दिल्ली की सभी 7 सीटों पर जीत हासिल की थी लेकिन अगले साल हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी दहाई का अंक तक नहीं छू पाई और बमुश्किल 3 सीट ही जीत पाई थी।

2019 लोकसभा चुनाव में विधानसभावार दलों का प्रदर्शन
विधानसभा क्षेत्रों के लिहाज से देखें तो 70 में से 65 विधानसभा क्षेत्रों पर बीजेपी का जबरदस्त दबदबा रहा। मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में आम आदमी पार्टी की जगह पर कांग्रेस उम्मीदवारों पर अल्पसंख्यक समुदाय ने भरोसा जताया। दिल्ली की 70 विधानसभा क्षेत्रों में से 5 में विधानसभा ऐसे रहे जहां से सबसे अधिक वोट कांग्रेस को मिले। आम आदमी पार्टी के लिए यह इसलिए भी निराशाजनक है क्योंकि किसी विधानसभा सीट पर पार्टी के किसी उम्मीदवार को सबसे अधिक वोट नहीं मिले। बता दें कि अगले साल के शुरुआत में दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं।

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मुस्लिम वोट फिर कांग्रेस की ओर शिफ्ट हुए थे
दिल्ली में 3 लोकसभा क्षेत्रों के अल्पसंख्यक बहुल विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस को अपने प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में ज्यादा वोट मिले हैं। आम चुनावों में डाले गए कुल वोटों को लेकर चुनाव आयोग की ओर से जारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट के तहत आने वाले ओखला विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के अरविंदर सिंह लवली को 60,000 से ज्यादा वोट मिले जबकि आम आदमी पार्टी (आप) की उम्मीदवार आतिशी को 43,000 से अधिक वोट मिले। ओखला में बीजेपी उम्मीदवार गौतम गंभीर को 35,000 से अधिक वोट मिले। हालांकि, गंभीर ने पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट पर लवली को 3.91 लाख से अधिक वोटों से हराया। आतिशी तीसरे स्थान पर रहीं।

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बल्लीमारान और मटिया महल में कांग्रेस को मिले थे ज्यादा वोट
चांदनी चौक लोकसभा सीट के तहत आने वाले बल्लीमारान, चांदनी चौक और मटिया महल विधानसभा क्षेत्रों में अल्पसंख्यक वोटरों का वर्चस्व है। चांदनी चौक से कांग्रेस उम्मीदवार जय प्रकाश अग्रवाल को इन तीनों विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी उम्मीदवार एवं मौजूदा सांसद हर्षवर्धन से अधिक वोट मिले।

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अग्रवाल को चांदनी चौक में 33,440, मटिया महल में 52,669 और बल्लीमारान में 49,036 वोट मिले। इन तीनों विधानसभा क्षेत्रों में आप के उम्मीदवार पंकज गुप्ता तीसरे स्थान पर रहे। हर्षवर्धन को मटिया महल में 20,224, चांदनी चौक में 28,754 और बल्लीमारान में 33,723 वोट मिले जबकि गुप्ता को चांदनी चौक में 9,152, बल्लीमारान में 8,306 और मटिया महल में 6,787 वोट मिले।

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सीलमपुर से शीला को मिले थे बंपर वोट
उत्तर-पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार शीला दीक्षित को सीलमपुर विधानसभा क्षेत्र में सर्वाधिक 64,382 वोट मिले। इस क्षेत्र में बीजेपी उम्मीदवार मनोज तिवारी को 36,773 वोट मिले। हालांकि, बाबरपुर और मुस्तफाबाद क्षेत्र में तिवारी ने शीला को कड़ी टक्कर दी। बाबरपुर में उन्हें 57,827 और मुस्तफाबाद में 73,501 वोट मिले। शीला को बाबरपुर में 57,227 जबकि मुस्तफाबाद में 69,803 वोट मिले। आप के उम्मीदवार दिलीप पांडेय को मुस्तफाबाद में 17,803, बाबरपुर में 12,564 और सीलमपुर में 10,091 वोट मिले। इन तीनों विधानसभा क्षेत्रों में अल्पसंख्यक मतदाताओं की संख्या अच्छी-खासी है। तिवारी ने शीला को करीब 3.66 लाख वोटों से हराया।

मुस्लिम बहुल 2 इलाकों में बीजेपी ने मारी थी बाजी
7 में से 5 मुस्लिम बहुल विधानसभाओं में कांग्रेस ने बाजी मारी। हालांकि, उत्तर पूर्वी दिल्ली से बीजेपी के उम्मीदवार मनोज तिवारी को बाबरपुर और मुस्तफाबाद इलाके से प्रतिद्वंदी शीला दीक्षित से अधिक वोट मिले। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, ‘स्पष्ट संकेत हैं कि मुस्लिम वोटरों को कांग्रेस पर आम आदमी पार्टी से अधिक भरोसा है। सिर्फ ओखला विधानसभा क्षेत्र ही ऐसा रहा जहां आप को 27% वोट मिले।’

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केजरीवाल के विधानसभा क्षेत्र में आप का प्रदर्शन रहा था खराब

आम आदमी पार्टी के साथ खुद अरविंद केजरीवाल के लिए भी यह खबर निराशाजनक रही क्योंकि नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र से आप उम्मीदवार को बहुत कम वोट मिले। नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र से बृजेश गोयल को सिर्फ 14,740 वोट ही मिले।

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