‘गलवान के शहीदों का अपमान है’, सैम पित्रोदा के चीन वाले बयान के बाद भड़की भाजपा

‘गलवान के शहीदों का अपमान है’, सैम पित्रोदा के चीन वाले बयान के बाद भड़की भाजपा
नई दिल्ली। इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के प्रमुख सैम पित्रोदा ने एलएसी (LAC) सीमा विवाद पर एक बयान दिया है। इसी को लेकर अब बीजेपी ने उन्हें घेर लिया है। बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, सैम पित्रोदा की बात भारत की संप्रभुता और कूटनीति के खिलाफ है।साथ ही उन्होंने कहा, कांग्रेस के चीन के साथ हुए करार का इजहार हो गया है। सैम पित्रोदा ने कहा था कि चीन को हमारा दुश्मन मानना ​​गलत है।

राहुस गांधी पर भी साधा निशाना

सुधांशु त्रिवेदी ने इसके जवाब में कहा, सैम पित्रोदा ने कांग्रेस पार्टी के चीन के साथ समझौते की खुलकर पोल खोल दी है। गंभीर बात ये है कि सैम पित्रोदा ने जिस तरह की बात कही है, वो भारत की अस्मिता, कूटनीति और संप्रभुता पर बहुत गहरा आघात है। राहुल गांधी भी विदेश में ऐसे कई बयान दे चुके हैं।

‘उनकी ये बात निंदनीय है’

सुधांशु त्रिवेदी ने आगे कहा,

कुछ समय पहले उन्होंने अपने विदेश दौरे पर कहा था कि चीन ने बेरोजगारी की समस्या का बहुत अच्छे से समाधान किया है। गलवान में हमारे 20 जवान शहीद हुए और उसके बाद अगर आपके ओवरसीज प्रेसिडेंट ऐसी भाषा बोलते हैं तो ये निंदनीय है।’

जॉर्ज सोरोस को लिया आड़े हाथ

भाजपा नेता सुधांशु त्रिवेदी कहते हैं, ‘

इंटरनेशनल फाउंडेशन फॉर इलेक्टोरल सिस्टम्स नामक एक संगठन है जिसने 2011 में एक भारतीय संगठन इंडिया इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इलेक्शन मैनेजमेंट के साथ एक समझौता किया था, जो चुनाव आयोग से जुड़ा संगठन है और कंसोर्टियम फॉर इलेक्शन्स एंड पॉलिटिकल प्रोसेस स्ट्रेंथनिंग नामक संगठन से समर्थन मिल रहा है, जिसका संबंध जॉर्ज सोरोस के ओपन सोसाइटी फाउंडेशन से है, जिसने यूएसएआईडी आदि के माध्यम से भारत में आधा बिलियन डॉलर का निवेश किया और तब से हर साल 3.5 लाख डॉलर भारत आ रहे हैं।’

सुधांशु त्रिवेदी ने आगे कहा, सैम पित्रोदा ने जो कुछ भी कहा है, ऐसा लगता है कि इसके बोल सैम पित्रोदा के हैं और इसके लिखने वाले सोरस हैं और कांग्रेस पार्टी और इंडी गठबंधन के लोग इस पर सिम्फनी बजा रहे हैं।

क्या कहा था सैम पित्रोदा ने?

पित्रोदा ने कहा कि चीन से खतरे को अक्सर बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है और भारत का नजरिया हमेशा से टकरावपूर्ण रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि अब समय आ गया है कि देशों को एक-दूसरे से सहयोग करना चाहिए, न कि टकराव। हमें इस मानसिकता को बदलने की जरूरत है और यह मानना बंद करना होगा कि चीन हमारा दुश्मन है।


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