भाजपा ने आपातकाल के विरोध में मनाया काला दिवस
सहारनपुर [24CN]। भाजपा क्षेत्रीय महामंत्री विकास अग्रवाल ने कहा कि कांग्रेस ने आपातकाल के रूप में देश के लोकतांत्रिक इतिहास का सबसे बदनुमा दाग दिया जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। आज भाजपा कार्यालय पर 25 जून 1975 को तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार द्वारा लगाए गए आपातकाल के विरोध में काला दिवस मनाया गया।
इस दौरान लोकतंत्र सेनानीयों को सम्मानित करते हुए विकास अग्रवाल ने कहा कि इस दौरान मीडिया पर भी तरह तरह के प्रतिबंध लगा दिए गए थे। देश भर में खास कर उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान में विपक्षी नेताओं को न केवल गिरफ्तार कर जेलों में भेड़-बकरियों की तरह ठूंस दिया गया बल्कि कांग्रेस सरकार का विरोध करने वाले विपक्षी कार्यकर्ताओं के परिवारों को बुरी तरह से प्रताडि़त किया गया। भाजपा क्षेत्रीय महामंत्री विकास अग्रवाल ने कहा कि असंवैधानिक तरीके से सत्ता पर काबिज कांग्रेस सरकार का आतंक इस कदर था कि जेलों में बंद लोकतंत्र सेनानियोंष् को यह डर सताने लगा था कि क्या कभी वे इन काली रातों का सीना चीरकर, न्याय का सूरज देखने के लिए जेल से बाहर आ पाएंगे ?
नगर विधायक राजीव गुम्बर ने कहा कि जब 12 जून 1975 को दिए अपने फैसले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इंदिरा गांधी पर छह वर्षों तक कोई भी पद संभालने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। लेकिन तानाशाही प्रवृति की इंदिरा गांधी ने इस फैसले को मानने से इनकार करते हुए न्यायालय का उपहास किया। आपातकाल लागू होते ही आंतरिक सुरक्षा कानून (मीसा) के तहत राजनीतिक विरोधियों की गिरफ्तारी की गई, इनमें जयप्रकाश नारायण, जॉर्ज फर्नांडिस और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे बड़े नेता शामिल थे। भाजपा महानगर अध्यक्ष राकेश जैन ने कहा कि आपातकाल लागू करने के पीछे उच्च न्यायालय का निर्णय तो था, ही लेकिन केंद्र और अनेक कांग्रेसी राज्य सरकारों की तानाशाही के विरुद्ध देशभर में 1972 से विद्यार्थियों ने आंदोलन छेड़ रखा था।
इन छात्र आंदोलनों की अगुवाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और समाजवादी विचारधारा के कुछ छात्र संगठनों के हाथों में थी। गुजरात की तत्कालीन कांग्रेसी सरकार के विरुद्ध शुरू हुए विद्यार्थी आंदोलन ने 1973 तक बिहार में प्रचंड रूप धारण कर लिया। जिसे बिहार छात्र आंदोलन के नाम से जाना जाता है। जिसका नेतृत्व संघ के तत्कालीन प्रचारक के.एन. गोविंदाचार्य और विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय नेता श्री रामबहादुर राय कर रहे थे। भाजयुमो प्रदेश उपाध्यक्ष वीर सिंह भदौरिया ने कहा कि सरकार विरोधी आंदोलन को संरक्षण देने के नाम पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को प्रतिबन्धित कर दिया गया।
सरकार का मानना था कि संघ विपक्षी नेताओं का करीबी है तथा इसका बड़ा संगठनात्मक आधार सरकार के विरुद्ध राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन करने की क्षमता रखता है। पुलिस संघ पर टूट पड़ी और देशभर में उसके हजारों स्वयंसेवकों को कैद कर दिया गया। संघ ने प्रतिबंध को चुनौती दी और मौलिक अधिकारों के हनन के विरुद्ध सत्याग्रह में भाग लिया। लोकतंत्र सेनानी राजेन्द्र अटल ने कहा कि लोकतंत्र की हत्यारी कांग्रेस ने केवल 1975 में ही नहीं बल्कि अनेकों बार अपने निजी हितों के लिए राज्य सरकारों को बरखास्त कर, राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगा कर लोकतंत्र को कांग्रेस का बंधक बनाया। सभ्यता की राजनीति का एक नियम यह भी है कि हम अपने इतिहास के उन काले दाग-धब्बों को इसलिए याद रखें ताकि आने वाली पीढिय़ां सबक ले सकें।
आपातकाल के दौरान इसका विरोध करने वाले अनेक लोकतंत्र सेनानियों लाज कृष्ण गांधी, विनोद चौधरी, नरेंद्र पाल शर्मा, रविंद्र कुमार, अमरदीप मित्तल, पदम प्रसाद गोयल राजेंद्र अटल, हरीश खुराना आदि लोकतंत्र सेनानियों का सम्मान किया गया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से कार्यक्रम संयोजक एवं महामंत्री योग चुघ, विपिन कुमार, सत्यार्थ प्रकाश, राहुल जाम्ब, सुरेन्द्र शार्मा ,हरीश मलिक, शीतल सहित अनेक पदाधिकारी व कार्यकर्ता उपस्थित रहे।