Bikru Case Update: विकास की फरारी में सामने आई एक पुलिस अफसर की यारी, रसूलाबाद में मिला सुरक्षित माहौल

Bikru Case Update: विकास की फरारी में सामने आई एक पुलिस अफसर की यारी, रसूलाबाद में मिला सुरक्षित माहौल

कानपुर । बिकरू कांड के बाद जांच में हिस्ट्रीशीटर अपराधी विकास दुबे और चंद पुलिस कर्मियों से चोली-दामन का साथ होने की कड़ी अबतक नहीं टूटी है। एसआइटी की जांच में चौबेपुर एसओ रहे विनय तिवारी और हल्का इंचार्ज रहे केके शार्म समेत अबतक करीब 37 पुलिस कर्मियों की संदिग्ध भूमिका उजागर हो चुकी है। एक बार फिर कानपुर देहात की रसूलाबाद पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़ा हुआ तो विकास की फरारी में एक और पुलिस कर्मी की यारी सामने आ रही है। शायद यही वजह रही कि विकास को फरारी के दरमियान रसूलाबाद में तीन दिन तक सुरक्षित माहौल मिलता रहा।

फरारी में भी पुलिस का साथ

बिकरू कांड को अंजाम देने के बाद विकास दुबे, अमर दुबे और प्रभात दुबे कानपुर देहात के रसूलाबाद क्षेत्र में 62 घंटे तक रुका था। वे कार और मोटर साइकिल से सड़क पर घूमते रहे और बाजार में खरीदारी भी की थी। आखिर इतने बड़े नरसंहार को अंजाम देने के बाद विकास दुबे बेखौफ क्यों था। दैनिक जागरण की पड़ताल में इस सवाल का सनसनीखेज सच सामने आया है। पता चला है कि विकास दुबे की फरारी में पुलिस की बड़ी भूमिका थी और एक थाना स्तर का अफसर विकास दुबे का मददगार बना। अगर जांच हो तो फरारी की कहानी में भी पुलिस की भूमिका सामने आएगी।

आश्रयदाताओं की गिरफ्तारी के बाद सामने आया सच

विकास दुबे की फरारी में पुलिस की भूमिका की अब तक जांच शुरू नहीं हुई है। एसआइटी की जांच में भी इस तरफ कोई जांच नहीं की गई थी। मगर, एसटीएफ ने मददगारों को गिरफ्तार करके जो कहानी सामने रखी है, वह बेहद चौंकाने वाली है। सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर विकास दुबे कानपुर देहात की सरजमी पर वारदात को अंजाम देने के बाद 62 घंटे तक कैसे सुरक्षित रहा। दैनिक जागरण की पड़ताल में सामने आया है कि विकास के कई पुलिस वालों से नजदीकी संबंध थे।

थाना स्तर के ऐसे ही एक पुलिस अफसर से उसके संबंध शिवली में बने, जो कि शिवली थाने में अक्टूबर 2018 से जुलाई 2019 तक तैनात रहा था। यह याराना विनय तिवारी से भी गाढ़ा बताया जा रहा है, क्योंकि चौबेपुर की तरह ही विकास दुबे का शिवली थाने में भी बराबर हस्तक्षेप रहता था। संयोग से यही पुलिस अफसर जून 2019 में रसूलाबाद पहुंच गया। माना जा रहा है कि उसकी मदद से ही विकास दुबे रसूलाबाद में करीब 45 घंटे तक सुरक्षित फरारी काटने में सफल हुआ। अगर इस पुलिस अधिकारी को लेकर जांच कराई जाए तो फरारी की कहानी में नया मोड़ आ सकता है।

विकास दुबे के मददगार शस्त्र लाइसेंस धारकों की तलाश को और अधिक बढ़ाने का निर्देश शासन ने जिला प्रशासन को दिया है। अब तक जिला प्रशासन ने विकास दुबे के 28 करीबियों के शस्त्र लाइसेंस निरस्त कर चुकी है। नया आदेश आने के बाद दोबारा से करीबी शस्त्र लाइसेंस धारकों की तलाश की जा रही है।


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