भाजपा व बसपा प्रत्याशी की जीत-हार को लेकर शुरू हुआ सट्टेबाजी का दौर

सहारनपुर। नगरीय निकाय सामान्य निर्वाचन 2023 में सम्पन्न हुए नगर निगम, नगर पालिकाओं व नगर पंचायतों के प्रमुखों व पार्षद/सभासद पदों के चुनाव की आगामी 13 मई को होने वाली मतगणना की तिथि जैसे-जैसे नजदीक आती जा रही है। वैसे-वैसे चुनाव मैदान में डटे प्रत्याशियों के समर्थकों द्वारा अपने समर्थक प्रत्याशियों की जीत के दावे किए जा रहे हैं।

गौरतलब है कि जनपद में सहारनपुर नगर निगम के महापौर व 70 पार्षदों के अलावा देवबंद, सरसावा, नकुड़, गंगोह नगर पालिकाओं तथा रामपुर मनिहारान, नानौता, तीतरों, अम्बेहटा पीर, चिलकाना सुलतानपुर, बेहट व छुटमलपुर नगर पंचायतों के चेयरमैन व सभासद पदों के लिए विगत 4 मई को सम्पन्न हुए मतदान में मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग कर चुनाव मैदान में डटे प्रत्याशियों का भाग्य ईवीएम/मतपेटियों में कैद कर दिया था जिसका खुलासा 13 मई को मतणगना के बाद होगा।

सहारनपुर नगर निगम में महापौर पद के लिए वैसे तो कुल आठ प्रत्याशी चुनाव मैदान में डटे हैं जिनके भाग्य का फैसला विगत चार मई मतदान करने वाले 3 लाख 40 हजार मतदाताओं ने कर दिया है जिसका खुलासा मतगणना के बाद किया जाएगा।

हालांकि महापौर पद के लिए भाजपा प्रत्याशी डा. अजय कुमार सिंह व बसपा प्रत्याशी श्रीमती खदीजा मसूद के बीच ही माना जा रहा है। हालांकि सपा प्रत्याशी नूर हसन मलिक को मिले मतों के आधार पर भी महापौर की कुर्सी का फैसला होगा। माना जा रहा है कि यदि समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी नूर हसन मलिक मुस्लिम मतों का बंटवारा करने में कामयाब रहे तो महापौर का ताज भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी डा. अजय कुमार सिंह के सिर पर सजेगा परंतु यदि किसी कारणवश मुस्लिम मतदाताओं का धु्रवीकरण बसपा प्रत्याशी श्रीमती खदीजा मसूद के पक्ष में हो गया तो भाजपा का सहारनपुर नगर निगम की महापौर की कुर्सी लगातार दूसरी बार कब्जाने का सपना अधूरा रह सकता है।

हालांकि 4 मई को हुए मतदान में जिस तरह मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में मतदान का प्रतिशत कम रहा उसके चलते राजनीतिक विश्लेषकों द्वारा भाजपा प्रत्याशी डा. अजय कुमार सिंह की जीत निश्चित मानी जा रही है। उधर दूसरी ओर भाजपा व बसपा प्रत्याशी जीत को लेकर महानगर समेत जनपद के अन्य कस्बों में सट्टेबाजी का दौर भी शुरू हो गया है। कुछ लोग जहां भाजपा प्रत्याशी की जीत को लेकर हारजीत की बाजी लगाने में जुटे हैं। वहीं दूसरी ओर कुछ लोगों द्वारा बसपा की जीत को लेकर भी सट्टा लगाने की चर्चाएं जोरों पर हैं।