बांग्लादेश की भी मैंगो डिप्लोमेसी, शेख हसीना ने PM मोदी-दीदी को भेजे आम
- हसीना की यह मैंगो डिप्लोमेसी उस वक्त अमल में आई है, जब कोरोना संक्रमण के मद्देनजर भारत ने कोविड-19 टीकों के निर्यात पर रोक लगा रखी है.
नई दिल्ली /ढाका: भारतीय उपमहाद्वीप की कूटनीति में आम हमेशा से खास रहे हैं. कम से कम भारत औऱ पाकिस्तान के बीच तो आमों की आदान-प्रदान होता ही आया है. गौरतलब है कि कुछ दिन पहले वजीर-ए-आजम इमरान खान ने भी अमेरिका-चीन समेत कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों को आम भेजे थे, जिसे सभी ने लौटा दिया था. अब बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी समेत पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी को बतौर तोहफा आम की पेटियां भेजी हैं. हसीना की यह मैंगो डिप्लोमेसी उस वक्त अमल में आई है, जब कोरोना संक्रमण के मद्देनजर भारत ने कोविड-19 टीकों के निर्यात पर रोक लगा रखी है. इसके विरोध में बांग्लादेश में खासी आवाजें उठी थीं. बताते हैं कि शेख हसीना ने भारत के उन राज्यों के सीएम को आम भेजे हैं, जिनकी सीमाएं बांग्लादेश से मिलती हैं.
शेख हसीना ने 2600 किलो भेजा है आम
इस घटनाक्रम से वाकिफ सूत्रों के मुताबिक बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने रविवार को 2600 किलोग्राम आम भेजा है. बांग्लादेशी अधिकारियों के अनुसार रंगपुर जिले में उगाए जाने वाले हरिभंगा किस्म के आमों को बेनापोल चेक पोस्ट के माध्यम से भारत भेजा गया है. बेनापोल कस्टम हाउस के डिप्टी कमिश्नर अनुपम चकमा ने बांग्लादेशी मीडिया को बताया कि आम दोनों देशों के बीच दोस्ती की निशानी है. बांग्लादेश की ओर से भेजे गए आम को कोलकाता में बांग्लादेश के उप-उच्चायोग के पहले सचिव मोहम्मद समीउल कादर ने रिसीव किया, जिसे नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भेजा जाएगा. सीमा शुल्क और बंदरगाह की औपचारिकताएं पूरी करने के बाद बांग्लादेशी ट्रक 260 कार्टून आमों को लेकर रविवार दोपहर सीमा पार कर गया. शेख हसीना ने भारत पूर्वोत्तर राज्यों असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा के मुख्यमंत्रियों को आम भेजे हैं.
मैंगो डिप्लोमेसी भारतीय उपमहाद्वीप की कूटनीति का रही है हिस्सा
जहां तक बात मैंगो डिप्लोमेसी की है तो यह उपमहाद्वीप की राजनीति का हिस्सा है, लेकिन भारत और पाकिस्तान के बीच यह आम बात रही है. पूर्व तानाशाह जिया-उल-हक और परवेज मुशर्रफ और पूर्व गृह मंत्री रहमान मलिक उन पाकिस्तानी नेताओं में शामिल हैं, जिन्होंने भारतीय नेतृत्व को आम तोहफे के रूप में भेजा था. हसीना की ओर से यह उपहार ऐसे समय में आया है जब मार्च के अंत से भारत की ओर से कोरोना टीके के निर्यात को रोकने को लेकर बांग्लादेशी पक्ष में बेचैनी बढ़ रही है. सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के साथ एक समझौते के तहत बांग्लादेश को इस साल की पहली छमाही के दौरान हर महीने कोविशील्ड की पांच मिलियन खुराक प्राप्त करनी थी. कोविशील्ड की पहली खुराक प्राप्त करने वाले लगभग 15 लाख बांग्लादेशी नागरिक अभी भी दूसरी डोज की प्रतीक्षा कर रहे हैं, और ढाका को टीकों के लिए रूसी और चीनी फर्मों की ओर रुख करने के लिए मजबूर होना पड़ा है.