Banda Boat Accident Update: SDRF और NDRF की टीमों ने शुरू किया बचाव कार्य, चार बोट कर रहीं तलाश, अभी हाथ खाली

Banda Boat Accident Update: SDRF और NDRF की टीमों ने शुरू किया बचाव कार्य, चार बोट कर रहीं तलाश, अभी हाथ खाली
  • बांदा में रक्षाबंधन पर बांदा में यमुना में नाव पलटने से 35 लोग डूबे थे। जिसमें अभी तक सिर्फ तीन शव ही निकाले गए हैं। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम ने आज सुबह उजाले में बचाव कार्य शुरू कर दिया है।

बांदा। Banda Yamuna River Accident: मरका घाट से फतेहपुर की ओर जा रही नाव गुरुवार को यमुना की बीच धारा में पलटने से 35 लोग डूब गए थे। इनमें से ज्यादातर महिलाएं और बच्चे थे। 15 लोग तैरकर बाहर आ गए और शाम पांच बजे तक तीन शव निकाले जा चुके थे, जबकि 17 लोग लापता हैं। शाम को अंधेरा होने और इसके बाद बारिश होने से बचाव कार्य में बाधा आई।

यमुना नदी में डूबे लोगों की तलाश शुक्रवार सुबह करीब 7:30 बजे शुरू हुई। लखनऊ से आई एनडीआरएफ की टीम ने दो वोट पानी में उतारी, जो नाव डूबने वाले स्थल से दूसरी तरफ फतेहपुर की ओर किनारे तक गईं। करीब 8:10 बजे तीसरी बोट नदी में लाई गई है। घाट किनारे मरका में सैकड़ों लोगों का हुजूम लगा है। सीओ सत्यप्रकाश शर्मा के साथ भारी पुलिस फोर्स मौजूद है।

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एसडीआरएफ की 30 सदस्य और एनडीआरएफ की 30 सदस्य टीम मौके पर है। एनडीआरएफ ने चौथी वोट तैयार कर ली है, जिसे कुछ देर बाद नदी में डूबे हुए लोगों की तलाश के लिए उतारा जाएगा। नदी के दूसरे छोर पर फतेहपुर के लोगों का जमघट दिखाई दे रहा है। एनडीआरएफ के टीम कमांडेंट विनय कुमार ने बताया कि अभी तक किसी की तलाश नहीं हो पाई है तलाश जारी है।

बाहर निकले लोगों ने बताया कि हादसा दोपहर करीब 2:30 बजे हुआ। नाव में 50 लोग सवार थे साथ ही कई बाइकें, साइकिलें और अन्य सामान भी लदा था। घटना के दो घंटे बाद बचाव अभियान शुरू किया जा सका। जाल न होने से लापता लोगों को ढूंढने में समस्या हुई। एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा मोचन बल) और एसडीआरएफ (राज्य आपदा मोचन बल) की टीम रात में पहुंच गई थीं। डीआइजी विपिन मिश्रा ने बताया कि सुबह उजाला होते ही लापता लोगों की तलाश की जाएगी। नाविक बाबू निषाद को पुलिस ने पकड़ लिया है और उससे पूछताछ की जा रही है। बताया जा रहा है कि नाव में तीन नाविक थे और उन्होंने शराब पी रखी थी।

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घटना के अहम बिंदु:

– 02:20 बजे दोपहर नाव सवारियां लेकर चली, 2:30 बजे हुआ हादसा

-नाव में थीं ज्यादातर महिलाएं, राखी बांधने जा रही थीं और कुछ बांधकर लौट रही थीं

– प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया- नाव में थे 50 लोग, बाइकें और साइकिल भी लदी थीं

– प्रशासन के पास नहीं थे बचाव के संसाधन, एक-दूसरे का मुंह ताकते रहे अधिकारी

– शाम को अंधेरा होने और इसके बाद बारिश होने से बचाव कार्य में आई बाधा

दो बार नाव लौटी थी घाट की ओर

फतेहपुर के रामनगर कौहन में पत्नी का इंतजार कर रहे राजेश ने बताया कि उनकी पत्नी नाव से मरका से आ रही थी। उन्होंने बताया कि नाव पहले चली, लेकिन कुछ दूर चलते ही लौट पड़ी। ऐसा दो बार हुआ। शायद तेज हवा की वजह से नाविक नाव को वापस ले गया था।

क्षमता से अधिक लोग थे सवार 

एक तरफ प्रशासन का कहना है कि करीब 35 लोग नाव पर सवार थे, जबकि तैरकर घाट पर पहुंचे समगरा गांव निवासी गयाप्रसाद निषाद ने बताया कि नाव में करीब 50 लोग सवार थे। उनके मुताबिक अचानक लहर उठी और नाव में पानी भरने लगा। कुछ समझ में आता, उससे पहले ही नाव संतुलन खो बैठी और पलट गई। वह तैर कर किसी तरह किनारे पहुंचे हैं।

पीएम और सीएम ने जताया है शोक 

हादसे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शोक जताया है। पीएमओ के ट्वीट में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश के बांदा में यमुना नदी में हुआ हादसा हृदयविदारक है। इस दुर्घटना में जिन्होंने अपनों को खोया है, उनके प्रति मैं अपनी शोक-संवेदना व्यक्त करता हूं। राज्य सरकार की देखरेख में स्थानीय प्रशासन राहत और बचाव के काम में पूरी तत्परता से जुटा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दुर्घटना में हुई जनहानि पर शोक व्यक्त करते हुए शोक संतप्त परिवारीजन के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की है। मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी, डीआइजी, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम को तत्काल मौके पर जाने के निर्देश दिए हैं।

समय बचाने के लिए करते हैं नाव की सवारी

मरका गांव बांदा मुख्यालय से 65 किलोमीटर दूर है। मरका से 15 किलोमीटर दूर फतेहपुर आने-जाने के लिए औगासी में पुल बना है। समय बचाने के लिए आसपास के गांवों के लोग मरका से नाव के जरिए फतेहपुर के रामनगर कौहन स्थित कंसापुर घाट जाते हैं। दोनों घाटों के बीच की दूरी आधा किलोमीटर से अधिक है और प्रशासन की बिना अनुमति के नाव चलती है।

11 साल से पुल बन रहा है 

यहां पिछले 11 साल से पुल बन रहा है जो अब तक पूरा नहीं हो पाया। यमुना का जलस्तर इस समय 88.10 मीटर है। हादसे से बचकर निकले फतेहपुर के प्रेममऊ कटरा निवासी केपी यादव ने बताया कि 2:20 बजे मरका से करीब 50 सवारियां और बाइकें और साइकिल लादकर नाव फतेहपुर की ओर चली। नाव मरका निवासी बाबू निषाद चला रहा था। जिस समय घटना हुई, उस समय तेज हवा चल रही थी। मझधार पार कर लेने के बाद अचानक पतवार टूटने से नाव अनियंत्रित हो गई और उसमें पानी भरने लगा। खतरा देखकर कुछ लोग नदी में कूद गए। महिलाएं और बच्चे देखते ही देखते नाव समेत पानी में समा गए।

घाट की तरफ खड़े लोगों ने पुलिस को खबर दी और कुछ लोगों को बचाया। आधा घंटे बाद जब बबेरू तहसील के अधिकारी पहुंचे तो बचाव के संसाधन ढूंढ़े गए। स्थानीय गोताखोरों की मदद से फतेहपुर के जरौली निवासी रामप्रसाद की पत्नी फुलवा, रामनगर कौहन निवासी राजेंद्र सिंह की पत्नी राजरानी और मरका निवासी दिनेश केवट के सात माह के बच्चे किशन का शव निकाला जा सका।

जाल न होने से छह बजे के बाद बचाव कार्य भी रोक दिया गया। जल शक्ति राज्यमंत्री रामकेश निषाद मौके पर पहुंचे तो एक बार फिर बचाव कार्य शुरू हुआ। इसके बाद अंधेरा हो गया और जनरेटर मंगाया गया। इस बीच बारिश शुरू हो गई और बचाव कार्य पूरी तरह ठप हो गया। ग्रामीणों के अनुसार नाव में सवार ज्यादातर लोग बबेरू तहसील के समगरा गांव के थे। इसमें 20 से 22 महिलाएं और बच्चे थे। हताहतों में भी ज्यादा संख्या महिलाओं की बताई जा रही है। ज्यादातर महिलाएं रक्षाबंधन पर राखी बांधने जा रही थीं या लौट रही थीं।

– घटना बहुत दुखद है। बचाव कार्य में बरसात से बाधा पड़ी है। एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीम आ चुकी हैं। जो लोग बच गए हैं, उनके आधार पर गायब लोगों की सूची बनाई गई है। तीन के शव बरामद हुए हैं। नियमानुसार आर्थिक सहायता दिलाई जाएगी।