बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी ने मनाया काला दिवस

बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी ने मनाया काला दिवस
सहारनपुर में बाबरी मस्जि एक्शन कमेटी की सभा को सम्बोधित करता वक्ता।

सहारनपुर। बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के तत्वावधान में बाबरी मस्जिद की शहादत को लेकर आज काला दिवस मनाया गया तथा सुप्रीम कोर्ट से पुनर्विचार याचिका पर सबूतों व तथ्यों के आधार पर फैसला करने की मांग की गई।

जिला प्रशासन द्वारा छह दिसम्बर को किसी भी संगठन को कार्यक्रम को रैली आदि नहीं करने की अनुमति नहीं दिए जाने के चलते एक मस्जिद में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक मौलाना अताउरर्हमान वजदी ने कहा कि छह दिसम्बर 1992 को कानून व संविधान की अवहेलना करते हुए महान ऐतिहासिक मस्जिद को एक षडयंत्र के तहत शहीद किया गया था जो मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता पर आक्रमण है।

उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद थी, मस्जिद है और मस्जिद रहेगी। बाबरी मस्जिद की इमारत को जोरजबरदस्ती गिरा दिने के बावजूद उसकी सरई हैसियत बरकरार है और आईंदा भी बरकरार रहेगी। उन्होंने कहा कि लम्बी सुनवाई के बाद नौ नवम्बर को सुप्रीम का दिया गया फैसला कानून व संवैधानिक विशेषज्ञों व सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जजों के अनुसार कानूनी तकाजे को पूरा नहीं करता। वास्तव में यह निर्णय कानून व न्याय के विपरीत आस्था को आधार बनाकर दिया गया फैसला है।

उन्होंने कहा कि जनसभा सुप्रीम कोर्ट से मांग करती है कि वह पुनर्विचार याचिका पर तथ्यों व सबूतों के आधार पर फैसला करे ताकि देश में संविधान व कानून का राज होने का एहसास हो सके। उन्होंने कहा कि यदि देश की शीर्ष अदालत से न्याय नहीं मिल सका तो इसके परिणामस्वरूप भविष्य में आने वाली आशंकाओं से मुंह नहीं मोड़ा जा सका। इस दौरान मो. शेरशाह आजम समेत बाबरी मस्जि एक्शन कमेटी के पदाधिकारी मौजूद रहे।


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