आयुर्वेद भारत की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति: संत कमलकिशोर

आयुर्वेद भारत की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति: संत कमलकिशोर
  • सहारनपुर में आयुर्वेद हॉस्पिटल संचालक को पुस्तकें सौंपते महामंडलेश्वर।

सहारनपुर। आयुष मंत्रालय द्वारा हर दिन हर घर आयुर्वेद का शुभारम्भ आज द्रोणाचार्य आयुर्वेदिक एजुकेशनल इंस्टीटयूट एवं हॉस्पिटल द्वारा शास्त्र विधि से भगवान धनवंतरि पूजा से किया गया।

गांव खुशहालीपुर स्थित द्रोणाचार्य आयुर्वेदिक एजुकेशनल इंस्टीटयूट एवं हॉस्पिटल में आयोजित कार्यक्रम का शुभारम्भ डा. देवाशीष, शालिनी, डा. प्रतिभा बहुगुणा व डा. अनुराधा ने मंत्रोच्चार एवं शंख ध्वनि के साथ मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर किया। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए सिद्ध योग मठ अखाड़े के महामंडलेश्वर संत कमल किशोर महाराज ने आयुर्वेद को राष्ट्रीय चिकित्सा पद्धति की संज्ञा देते हुए कहा कि यह भारतवर्ष की मूल चिकित्सा पद्धति है। उन्होंने आयुर्वेद को जन्म से मृत्यु तक की यात्रा के ज्ञान का वेद बताते हुए कहा कि विश्व की प्राचीनतम पुस्तकें अग्नि पुराण, गुरूड़ पुराण, नारद पुराण, अथर्ववेद व ऋग्वेद है और इन्हीं से आयुर्वेद का जन्म हुआ हैं आयुर्वेद को अथर्ववेद का उपवेद भी माना जाता है।

हॉस्पिटल के निदेशक अरूण पांडेय ने कहा कि आने वाला कालखंड वास्तव में भारतवर्ष का स्वर्णिम काल होगा और हम एक बार फिर से भारतवासियों के सहयोग से विश्व गुरू के गौरव को प्राप्त करेंगे। वरिष्ठ दंत चिकित्सक डा. अमनप्रीत पांडेय डा. हर्ष ने आयुर्वेद को पूर्ण विज्ञान बताते हुए कहा कि पुराणों और वेदों में वर्णित कथन जिन्हें आधुनिक वैज्ञानिक और डाक्टर पहले कपोलकल्पित कहानियां बताकर उपहास उड़ाते थे। आज अपने ही वैज्ञानिक मापदंडों की कसौटी पर परखने के बाद उनकी सत्यता को स्वीकारने लगे हैं। कई देशों ने महर्षि सुश्रुत को फादर ऑफ सर्जरी तथा महर्षि चरक को फादर ऑफ मेडिसिन के रूप में स्वीकार कर अपने मेडिकल कालेजों और हॉस्पिटलों में उनकी मूर्तियां स्थापित की हैं।

कार्यक्रम में महामंडलेश्वर संत कमलकिशोर महाराज ने द्रोणाचार्य आयुर्वेदिक एजुकेशनल इंस्टीटयूट के निदेशक अरूण पांडेय को पुस्तकालय के अग्नि पुराण, गुरूड़ पुराण व नारद पुराण भेंट की। कार्यक्रम में निखिल शाहू, श्रेयांश, अंकित कर्णधार, गुलाम जिलानी, फैजान, काजल शर्मा, शिफा नाज, मान्सी चौधरी, आयशा चौधरी, उत्कृष्ट, गौतम, मौहम्मद आकिब, शाकिर अली, रहमत कलीम आदि मौजूद रहे।