श्री राम के वनगमन से अयोध्या नगरी शोक सागर मे डूबी

श्री राम के वनगमन से अयोध्या नगरी शोक सागर मे डूबी
रामलीला में माता से रामको मनाने की आज्ञा लेते भरत व शुत्रुघ्न
  • रामलीला के कलाकारो ने भगवान राम के वन गमन के प्रसंग का किया सजीव मंचन

नकुड [इंद्रेश]। प्रभु श्री राम के वन गमन व महाराजा दशरथ की असामयिक मृत्यु का समाचार सुनकर भरत व शत्रुघ्न शोकसंतृप्त हो विलाप करने लगे। जिससे पूरी अयोध्या नगरी शोक के सागर मे डूब गयी।

नगर मेंचल रही रामलीला के आठवे दिन रामलीला के कलाकारो ने भरत मिलाप प्रसंग का सजीव मंचन किया। कुलगुरू वशिष्ठ के बूलावे पर भरत व शत्रुघ्न ननिहाल से वापस अयोध्या आये तो उन्हे महाराजा दशरथ की मृत्यु व भगवान श्रीराम लक्ष्मण व सीता जी के वन गमन का दुःखद समाचार मिला। साथ ही माता केकैयी की भुमिका का पता चला तो दोनो भाई माता कोशल्या से मिलने के लिये उनके महल मे गये।जंहा उन्होने माता को अपने निर्दोष होने की बात कही । तो माता कोशल्या ने भरत को समझाया कहा वे राम के समान ही निर्दोष है। उनमे व राम मे कोई अंतर नंही।

महाराजा दशरथ के अंतिम संस्कार के बाद दोनो भाईयो ने कुलगुरू वशिष्ठ से प्रभु राम को मनाकर वापस लाने की अनुमति मांगी। जिसके बाद दोनो भाई अयोध्या वासियों के साथ राम को मनाने चित्रकूट पंहुच गये। उन्होने राम को मनाने की कोशिश की । परंतु जब वे नंही माने तो भरत ने प्रभु श्री राम से उनकी खडाउ ही मांग ली। जिसके बाद भरत वापस अयोध्या आ गये। इससे पूर्व रामलीला के कलाकारो ने महाराजा दशरथ की मृत्यु के प्रसंग का जीवंत मंचन किया। जिससे दर्शक भावविभोर हो गये। श्री राम की भूमिका मे बंसत सैनी, भरत की भूमिका में प्रदीप धनगर, व शत्रुघन की भूमिका में विपिन शर्मा व लक्ष्मण की भूमिका में रितेश धीमान के मंचन को दर्शनो ने खूब सराहा।

इस मौके पर संजय सिंघल, वरूण मित्तल, गोरव, जितेंद्र गोयल, अश्वनी मिततल, सोनू कश्यप, प्रदीप चौधरी, आदि उपस्थित रहे।