गजब! भाजपा के बूथ अध्यक्ष भी नहीं है पार्टी के सक्रिय सदस्य

गजब! भाजपा के बूथ अध्यक्ष भी नहीं है पार्टी के सक्रिय सदस्य

नकुड़/नोएडा: आपको जानकार आश्चर्य होगा, भारतीय जनता पार्टी में पोलिंग बूथ स्तर पर कार्य करने वाले बूथ अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व पन्ना प्रमुख पार्टी के सक्रिय सदस्य नहीं है।

किसी राजनीतिक दल/सामाजिक संगठन में सक्रिय सदस्यों की क्या परिभाषा होनी चाहिए? सामान्य रूप से राजनीतिक दलों या संगठनों के लिए सक्रिय रूप से कार्य करने वाले सदस्य सक्रिय सदस्य कहलाते है। किसी भी दल के लिए यह सक्रिय सदस्य ऐसेटस होते है। लेकिन भारतीय जनता पार्टी में सक्रिय सदस्यों की परिभाषा अलग है।

भाजपा में सबसे अधिक सक्रिय रूप से भूमिका निभाने वाले बूथ अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, व पन्ना प्रमुख ही तो है। ये वही लोग है जो पार्टी के लिए पोलिंग के दिन एक-एक वोट को घरों से निकालकर पोलिंग बूथों तक पँहुचाते है, और अपनी पार्टी उम्मीदवारो को विजयी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। इसी भूमिका के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने भाषणों में कई बार बूथ अध्यक्षों आभार जता चुके है व इनकी महत्ता बता चुके है। लेकिन भाजपा संगठन के लिए वो सक्रिय सदस्य नहीं है।

भाजपा में कौन होते है सक्रिय सदस्य?
भारतीय जनता पार्टी में सक्रिय सदस्य वे होते है जो सदस्यता अभियान में 100 मिस काल करा दें, अर्थात अपने अतिरिक्त 100 सदस्यों का पार्टी का सदस्य बना दे। साथ ही पार्टी की सक्रिय सदस्यता वाली 100 रुपये की रसीद भी कटा लें। इतना होने के बाद भी गारंटी नहीं कि आप सक्रिय सदस्य बना दिए जाओगे। इसके अतिरिक्त भी एक और योग्यता आवश्यक है, वो है पार्टी के किसी पदाधिकारी का प्रिय होना। यदि इस योग्यता में पिछड़ गए तो आपकी सक्रिय सदस्यता खटाई में पड़ सकती है।

क्यों नहीं बनाए जाते सक्रिय सदस्य?
पार्टी में सक्रिय सदस्य बनाना प्राथमिकता में नहीं है। दरअसल आशंका जताई जा रही है कि यह भी दायित्वों के निर्धारण के लिए एक बड़ा खेल हो सकता है। पार्टी नीति के अनुसार केवल सक्रिय सदस्यों को ही पार्टी में दायित्व दिया जा सकता है। अतः यदि सक्रिय सदस्य ही कम होंगे तो मनमाफिक दायित्वों का बटवारा किया जा सकता है।

सक्रिय सदस्यता की योग्यता की जानकारी का जमीनी स्तर के कार्यकर्ता में अभाव
सक्रिय सदस्यों की योग्यता क्या है? और कैसे सक्रिय सदस्य बना जा सकता है? अधिकतर जमीनी स्तर कार्यकर्ताओं में इस जानकारी का अभाव है। 15 – 15, 20- 20 वर्षों से जो कार्यकर्ता पार्टी के लिए कार्य कर रहे है उन्हे भी यह जानकारी नहीं। आधारभूत कार्यकर्ताओं तक इस जानकारी का अभाव पार्टी की नीतियों की धज्जियां उड़ाने के लिए पर्याप्त है। जानकारी का अभाव होने के कारण जमीनी कार्यकर्ता सदस्यता अभियान में अपने प्रिय नेता के लिए मिस काल कराते रह गए।

क्यों छिड़ी है सक्रिय सदस्यता पर बहस?
दरअसल भाजपा ने हाल में संगठनात्मक दायित्वों की घोषणाएं हुई है। ऐसे आरोप लगे है कि वास्तविक कार्यकर्ताओं को संगठन में जगह नहीं दी गई, बल्कि फैब्रीकैटिड कार्यकर्तों को दायित्व दे दिए गए। यह खेल केवल इसलिए खेला गया क्योंकि अधिकतर कार्यकर्ता को सक्रिय सदस्य की योग्यता व प्रोसेस व महत्व की जानकारी का अभाव था। मण्डल अध्यक्षों की रेस मे लगे कई कार्यकर्ता केवल सक्रिय सदस्यता में मार खा गए।

आरोप लगे कि मंडलों की समितियों में भी मनमाफिक दायित्वों का निर्धारण कर दिया गया। जब मण्डल अध्यक्षों से इस संदर्भ में पूछा गया तो सक्रिय सदस्यता नहीं होना कारण दिया गया। कार्यकर्ताओं में दायित्वों की सूची देखकर निराशा थी। कुछ विरोध भी देखने को मिला। संगठन का यह विरोध जनप्रतिनिधियों तक पहुँच गया। आशंका व्यक्त की जा रही है कि भविष्य में पार्टी को इस मनमानी का नुकसान उठाना पड़ सकता है।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *