नई दिल्ली। उत्तरप्रदेश समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव इस बार बिना बड़ी रैलियों के हो सकते हैं। चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही चुनाव आयोग रैलियों में लोगों की संख्या और कोरोना उचित व्यवहार के कड़ाई से पालन का निर्देश जारी कर सकता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने चुनाव आयोग को स्पष्ट तौर पर बता दिया है कि ओमिक्रोन वैरिएंट डेल्टा की तुलना में कई गुना ज्यादा संक्रामक है और ऐसे में चुनाव के दौरान भी मंगलवार को जारी किये गए गाइडलाइंस का पालन सुनिश्चित करना जरूरी है। इस मुद्दे को लेकर अगले हफ्ते चुनाव आयोग के साथ केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव की बैठक हो सकती है।
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार पिछले हफ्ते चुनाव आयोग ने स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों को तलब कर चुनाव प्रचार के प्रोटोकाल में बदलाव की जरूरत के बारे में जानकारी मांगी थी। जहां स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने कोरोना प्रोटोकाल की पूरी जानकारी दे दी है। जिनमें मास्क, हाइजिन और सोशल डिस्टें¨सग का कड़ाई से पालन जरूरी बताया गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने चुनाव आयोग को यह भी बता दिया था कि कोरोना का ओमिक्रोन वैरिएंट डेल्टा वैरिएंट की तुलना में कई गुना ज्यादा संक्रामक है। ऐसे में कोरोना प्रोटोकाल में जरा भी चूक भारी पड़ सकती है।
चुनाव प्रचार का प्रोटोकाल तय करना आयोग का काम
चुनाव आयोग के साथ बैठक में शामिल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि चुनाव प्रचार का प्रोटोकाल तय करना आयोग का काम है, लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि इसमें कोरोना प्रोटोकाल का उल्लंघन नहीं होना चाहिए। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि चुनाव आयोग के साथ स्वास्थ्य मंत्रालय की बैठक के बाद पूरी दुनिया में ओमिक्रोन वैरिएंट का प्रकोप कई गुना बढ़ गया है और भारत में इसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसे देखते हुए मंगलवार को स्वास्थ्य मंत्रालय को राज्यों को नाइट कफ्र्यू और कंट्रोल रूम सक्रिय करने पर विचार करने को कह दिया गया है।
चुनाव आयोग ने स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों को फिर से बुलाया
ओमिक्रोन वैरिएंट की ताजा स्थिति और चुनाव के दौरान तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए चुनाव आयोग ने स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों को फिर से बुलाया है। माना जा रहा है कि स्वास्थ्य सचिव खुद आयोग को सारी स्थिति से अवगत कराएंगे। शुक्रवार को इस संबंध में पूछे जाने पर केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि वे सिर्फ मंगलवार को जारी गाइडलाइंस का कड़ाई से पालन सुनिश्चित कराना चाहते हैं। आगे निर्णय चुनाव आयोग को लेना है। दरअसल कोरोना की दूसरी लहर के दौरान पश्चिम बंगाल , केरल, तमिलनाडु और असम में विधानसभा चुनाव के दौरान बड़ी राजनीतिक रैलियों की इजाजत दिये जाने को लेकर चुनाव आयोग को आड़े हाथों लिया गया था।
मद्रास हाईकोर्ट ने तो दूसरी लहर के लिए सीधे तौर पर चुनाव आयोग को जिम्मेदार ठहरा था
मद्रास हाईकोर्ट ने तो दूसरी लहर के लिए सीधे तौर पर चुनाव आयोग को जिम्मेदार ठहरा दिया था। गुरुवार को इलाहाबाद हाइकोर्ट ने भी ओमिक्रोन के कारण कोरोना की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए चुनाव टालने की बात कह दी है। लेकिन उच्च पदस्थ सूत्रों की माने तो सीधे तौर चुनाव टालने के बजाय चुनाव आयोग पश्चिम बंगाल के अंतिम तीन फेज की तरह चुनाव संपन्न कराने पर विचार कर सकता है। इसके तहत सीमित चरण में चुनाव कराये जा सकते हैं। साथ ही पश्चिम बंगाल की अंतिम तीन चरणों की तरह 48 घंटे के बजाय 72 घंटे पहले चुनाव प्रचार पर रोक लगाया जा सकता है और रैलियों में लोगों की संख्या भी सीमित की जा सकती है। आठ चरणों में हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा के पहले पांच चरणों में बड़ी-बड़ी रैलियां हुई थी, लेकिन दूसरी लहर के बढ़ते प्रकोप के कारण अंतिम तीन चरणों मे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत सभी नेताओं की बड़ी रैलियां रद्द कर दी गई थी और सिर्फ छोटी छोटी सभाओं की इजाजत दी गई थी।