आर्ट डायरेक्टर नितिन देसाई ने की आत्महत्या, अपने ही स्टूडियो में लगाई फांसी
पूरे फिल्म जगत के लिए ये बेहद शोक की घड़ी है. बता दें कि, लगान और हम दिल दे चुके सनम जैसी फिल्मों में काम करने वालें पॉपुलर आर्ट डायरेक्टर नितिन देसाई ने खुदकुशी कर ली है.
New Delhi: पॉपुलर आर्ट डायरेक्टर नितिन देसाई का बुधवार, 2 अगस्त को आत्महत्या से निधन हो गया. फिल्म निर्माता ने मुंबई से 80 किमी दूर कर्जत स्थित अपने स्टूडियो में आत्महत्या कर ली. हालाँकि उनकी मृत्यु का कारण अभी तक पता नहीं लग पाया है. लेकिन, ऐसा माना जा रहा है कि, पॉपुलर आर्ट डायरेक्टर ने पैसों की तंगी और कर्ज के कारण आत्महत्या करने का फैसला किया. पुलिस सूत्रों के मुताबिक, नितिन देसाई कल रात 10 बजे अपने कमरे में चले गये. आज सुबह वह काफी देर तक बाहर नहीं आए, तभी उनके बॉडी गार्ड और अन्य लोगों ने दरवाजा खटखटाया लेकिन किसी ने दरवाजा नहीं खोला. नितिन देसाई का शव पंखे से लटका हुआ मिला. जिसके बाद पुलिस को सूचना दी गई है, पुलिस ने शव को उतारकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है.
आपको बता दें कि, नितिन चंद्रकांत देसाई का जन्म दापोली में हुआ था और उन्हें मराठी और हिंदी फिल्मों, दिल्ली में 2016 विश्व सांस्कृतिक महोत्सव और ‘हम दिल दे चुके सनम’ (1999), ‘लगान’ (2001), ‘देवदास’ (2002) जैसी फिल्मों में उनके काम के लिए जाना जाता है. ‘जोधा अकबर’ (2008), और ‘प्रेम रतन धन पायो’ (2015). वह भारतीय सिनेमा के एक प्रसिद्ध भारतीय कला निर्देशक और प्रोडक्शन डिजाइनर भी थे. उन्होंने अपने 20 साल के करियर के दौरान आशुतोष गोवारिकर, विधु विनोद चोपड़ा, राजकुमार हिरानी और संजय लीला भंसाली जैसे निर्देशकों के साथ काम किया.
उन्हें बेस्ट कला निर्देशन के लिए तीन फिल्मफेयर बेस्ट आर्ट डायरेक्टर अवार्ड और चार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिले हैं.
वह मई 1987 में पहली बार मुंबई के फिल्म सिटी स्टूडियो पहुंचे और तुरंत फोटोग्राफी के 2-डी प्रारूप से कला निर्देशन की 3-डी दुनिया में बदलाव किया. उन्होंने गोविंद निहलानी की 1987 की अवधि की टीवी सीरीज तमस में प्रसिद्ध कला निर्देशक नीतीश रॉय के साथ चौथे सहायक के रूप में काम किया. इसके बाद, उन्होंने दो टीवी शो में योगदान दिया. हालाँकि 1993 में रिलीज़ हुई अधिकारी ब्रदर्स की ‘भूकैंप’ उनकी पहली फिल्म थी, लेकिन 1994 में रिलीज़ हुई विधु विनोद चोपड़ा की ‘1942: ए लव स्टोरी’ ने उन्हें मशहूर बना दिया. इन सालों में, उन्होंने परिंदा, खामोशी, माचिस, बादशाह, डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर और राजू चाचा जैसी इंटरनेशनल प्रोजेक्ट्स और फिल्मों में योगदान दिया.