काशी विश्वनाथ मंदिर के पुरातत्व सर्वेक्षण की मांग, जनवरी में होगी मामले की सुनवाई

काशी विश्वनाथ मंदिर के पुरातत्व सर्वेक्षण की मांग, जनवरी में होगी मामले की सुनवाई

ज्ञानवापी परिक्षेत्र का धार्मिक स्वरूप 15 अगस्त 1947 को क्या था, इसका पता लगाने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और प्रदेश के पुरातत्व विभाग से सर्वे कराया जाए। यह अपील ज्ञानवापी स्थित प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वरनाथ की ओर से वादमित्र पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता (सिविल) विजय शंकर रस्तोगी ने अदालत में की है। इस पर सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक की अदालत ने विपक्षियों से आपत्तियां तलब करने के साथ ही सुनवाई की अगली तिथि नौ जनवरी 2020 नियत की है।

ज्ञानवापी परिक्षेत्र में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर और मस्जिद दोनों हैं। इससे जुड़े विवाद की सुनवाई वर्ष 1991 से जिले की अदालत में चल रही है। मुकदमा दर्ज कराने वाले पंडित सोमनाथ व्यास और डॉ. रामरंग शर्मा की मौत हो चुकी है। वहीं, दूसरा पक्ष अंजुमन इंतजामिया मस्जिद और अन्य हैं।

पंडित सोमनाथ व्यास के स्थान पर मुकदमे का प्रतिनिधित्व कर रहे वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी के अनुसार, ज्ञानवापी क्षेत्र के विवादित परिसर में देश के द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक स्वयंभू विश्वेश्वरनाथ का शिवलिंग स्थापित है। परिसर में ज्ञानवापी नाम का एक प्राचीन कुआं है और उसके उत्तर में विश्वेश्वरनाथ का मंदिर है।

15 अगस्त 1947 को भी विवादित परिसर का धार्मिक स्वरूप मंदिर का ही था। मंदिर परिसर पर कब्जा कर मस्जिद बना दी गई। वहीं, दूसरे पक्ष का कहना है कि देश की आजादी के दिन विवादित परिसर का स्वरूप मस्जिद का था।

विजयशंकर रस्तोगी ने अदालत में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि आजादी के दिन ज्ञानवापी परिक्षेत्र के धार्मिक स्वरूप का पता लगाने के लिए ठोस साक्ष्यों, विस्तृत अध्ययन और सर्वे की जरूरत है। इसके लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण जैसी एक्सपर्ट एजेंसी ज्ञानवापी परिक्षेत्र और यहां के भवनों का सर्वे कर रिपोर्ट दे। रिपोर्ट के आधार पर इस संबंध में फैसला किया जाए।


विडियों समाचार