कुछ भी बोल देना है बस…कौन सा डर दिखाकर करवाया भारत-पाक के बीच सीजफायर, ट्रंप का नया दावा, भारत ने किया खारिज

कुछ भी बोल देना है बस…कौन सा डर दिखाकर करवाया भारत-पाक के बीच सीजफायर, ट्रंप का नया दावा, भारत ने किया खारिज

New Delhi : जहां दो देशों के बीच पहले से ही जंग जैसी स्थिति हो वहां एक तीसरा शख्स बिन बुलाए बराती बनकर कूद रहा है और वो भी कोई छोटा मोटा मेहमान बनकर नहीं बल्कि सीधा दूल्हा बनकर। यूक्रेन और रूस की जंग को 24 घंटे में रुकवाने का दावा करने वाले डोनाल्ड ट्रंप भारत पाकिस्तान के बीच सीजफायर को लेकर लगातार बड़े बड़े दावे कर रहे हैं। कभी वो कश्मीर पर मध्यस्थता की बात कह देते हैं। कभी दो न्यूक्लियर पावर के बीच वॉर रुकवाने के लिए खुद क्रेडिट लेने लग जाते हैं। अब इसी क्रम में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने फिर दावा किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के वीच खतरनाक टकराव को रोकते हुए युद्धविराम में मदद की थी। ट्रंप ने कहा कि हमने इसमें बहुत मदद की। मैंने दोनों देशों से कहा कि अगर आप संघर्ष रोकते हैं, तो हम व्यापार करेंगे, नहीं तो कुछ नहीं।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत व पाक के बीच संघर्ष रुकवाने का क्रेडिट लेने की कोशिश की। मगर भारत ने अमेरिका के दावे का खंडन कर दिया। सूत्रों के मुताबिक, भारत ने कहा ‘ऑपरेशन सिंदूर शुरू होने के बाद अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने 9 मई को पीएम नरेंद्र मोदी से बात की। अमेरिकी विदेश मंत्री माकों रुबियो ने 8 मई और 10 मई को विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर से और 10 मई को एनएसए अजीत डोभाल से बात की। इनमें से किसी भी चर्चा में व्यापार का कोई संदर्भ नहीं था।

इस मामले में भारत सरकार के सूत्र ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर शुरू होने के बाद, अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने 9 मई को पीएम से बात की। सेक्रेटरी रूबियो ने 8 मई और 10 मई को ईएएम से और 10 मई को एनएसए से बात की। इनमें से किसी भी चर्चा में व्यापार का कोई उल्लेख नहीं था। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने अपना यह दावा दोहराया कि उनके प्रशासन ने भारत और पाकिस्तान से यह कहकर दोनों दक्षिण एशियाई पड़ोसी देशों के वीच ‘परमाणु संघर्ष’ रोक दिया कि अगर वे संघर्षविराम करते हैं, तो अमेरिका उनके साथ वहुत सारा व्यापार करेगा।

ट्रम्प ने कहा कि भारत और पाक ने गंभीरता को समझते हुए शक्ति, बुद्धिमत्ता और धैर्य का परिचय दिया। हमने इस मामले में बहुत मदद की और व्यापार के जरिए भी सहायता की। मैंने कहा, हम आप लोगों से व्यापार करेंगे, लेकिन इसके लिए लड़ाई रोकनी होगी। अगर आप लड़ाई रोकते हैं, तो हम व्यापार करेंगे। नहीं रोकते हैं तो, हमारे बीच व्यापार नहीं होगा। व्यापार को कभी भी ऐसे कूटनीतिक उपकरण के रूप में इस्तेमाल नहीं किया गया, जैसे मैंने किया। और इसके बाद दोनों देशों ने अचानक कहा, ‘ठीक है, हम रोक रहे हैं और उन्होंने वास्तव में युद्ध रोक दिया।