राजस्थान में आज से धर्मांतरण विरोधी कानून लागू, बुलडोजर की कार्रवाई समेत कई प्रावधान
 
						राजस्थान में विधानसभा से पिछले महीने पारित हुआ धर्मांतरण विरोधी कानून आज से अस्तित्व में आ गया है. राज्य सरकार के गृह विभाग ने नए धर्मांतरण कानून का गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. नोटिफिकेशन जारी होने के बाद अब आज से धर्मांतरण से जुड़े मामलों में नए कानून के तहत केस दर्ज किया जाएगा. आज से लागू हुए कानून के मुताबिक अपनी मर्जी से धर्म परिवर्तन के लिए भी अब पहले सरकार की मंजूरी लेनी होगी. हालांकि मूल धर्म यानी हिंदू धर्म में घर वापसी करने पर यह कानून लागू नहीं होगा.
राजस्थान विधानसभा में एंटी कन्वर्जन बिल (राजस्थान विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक 2025) विपक्ष के भारी हंगामे के बीच इसी साल 9 सितंबर को ध्वनिमत से पारित हुआ था. इसमें कई सख्त प्रावधान किए गए हैं.
- जिस बिल्डिंग में सामूहिक धर्म परिवर्तन कराया जाएगा, उसे बुलडोजर से ध्वस्त किया जा सकेगा.
- प्राचीन मूल धर्म में वापसी के मामलों में यह कानून लागू नहीं होगा.
- यानी अगर किसी के पूर्वज सनातनी थे और वह कई पीढ़ियों से दूसरे धर्म को अपना रहा था तो इसे घर वापसी माना जाएगा.
कांग्रेस पार्टी ने सरकार पर लगाया था आरोप
घर वापसी के मामलों में यह धर्मांतरण कानून लागू नहीं होगा. नए कानून में उम्र कैद तक की सजा का प्रावधान है. इसके साथ ही 25 लाख रुपये तक की सजा का भी प्रावधान है. दावा किया जा रहा है कि देश में अब तक जिन राज्यों में धर्मांतरण कानून लागू गया है, उनमें सबसे सख्त प्रावधान राजस्थान में ही है. हालांकि सदन में चर्चा के दौरान कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया था कि धर्मांतरण बिल समाज को बांटने वाला है और यह गैर जरूरी था.
‘कोई जरूरत नहीं थी इस बिल की’
विधानसभा में विपक्ष के नेता टीकाराम जूली का कहना है कि राज्य में लव जिहाद का एक भी मामला दर्ज नहीं है. ऐसे में इस बिल की कोई जरूरत नहीं थी. दूसरी तरफ सत्ता पक्ष से जुड़े लोगों का कहना है कि राज्य में बड़े पैमाने पर डर दबाव व लालच के जरिए धर्मांतरण कराया जा रहा था. भोले भाले लोगों खास कर युवतियों को साजिश के तहत धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करने के बाद उनका उत्पीड़न किया जाता है.
- धर्मांतरण कानून राज्य में तीसरी कोशिश में कामयाब हुआ है
- साल 2005 और साल 2008 में भी धर्मांतरण बिल विधानसभा से पारित हुआ था, लेकिन दोनों ही बार उसे गवर्नर के यहां से मंजूरी नहीं मिल सकी थी.
- विधानसभा में तीनों ही बार बिल को मंजूरी बीजेपी की सरकारों में ही मिली है.
- कई संगठनों ने धर्मांतरण कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है.
- देश में इससे पहले जिन 12 राज्यों में धर्मांतरण का कानून बना है, उन सभी के मामले सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग हैं.
- राज्यों द्वारा बनाए गए धर्मांतरण कानून में सबसे कठोर प्रावधान राजस्थान में ही रखे गए हैं.

 
			 
			 
			 
			 
			