मुस्लिम युवा चिकित्सक बने अलीपुरा गांव के लिए फरिश्ता

- गांव के लोगों के लिए बनवा दिया शमशान घाट
- 35 वर्ष से गांव का हिंदू समाज कर रहा था शमशान घाट बनवाने की मांग
देवबंद: हिंदू बहुल गांव अलीपुरा में आजादी के 76 वर्ष बाद एक मुस्लिम चिकित्सा द्वारा गांव के लोगों के लिए शमशान घाट बनवाने की पहल की है। आजादी के बाद से ही गांव के लोग अपने खेतों में अंतिम संस्कार करने को मजबूर थे। लेकिन एक मुस्लिम चिकित्सक ने गांव के लोगों की मूलभूत समस्या को समझा और अपने खुद के पैसे से शमशान घाट बनवाना शुरू कर दिया।
देवबंद विधानसभा की ग्राम पंचायत बन्हेडा खास का माजरा अलीपुरा आजादी के 76 वर्ष बाद भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। दुर्भाग्य की बात तो यह थी कि गांव में अंतिम संस्कार के लिए शमशान घाट तक भी नहीं है। गांव के लोगों को संस्कार व्यक्तिगत अपने खेतों में अंतिम संस्कार करना पड़ता था। गांव के लोगों की पीड़ा समझी गांव बनेड़ा के होनाहार युवा चिकित्सक डा. आमिर राव ने उन्होंने अलीपुरा गांव जाकर जब वहां की स्थिति देखी तो वह भी दंग रह गए। उन्होंने ग्रामीणों को वचन दिया कि अब गांव में श्मशान घाट बनकर रहेगा। बिना कुछ समझे और सोच ही डॉक्टर आमिर राव ने गांव में शमशाद घाट बनने की तैयारी भी शुरू कर दी। जल्दी गांव में श्मशान घाट की छतरी भी नजर आएगी और अब गांव के लोगों को अपने खेतों में मुर्दों को जलाना नहीं पड़ेगा। गांव में श्मशान घाट के निर्माण के कार्य शुरू होने से खुशी की लहर है।
30 साल की नाकामी को सेवा से हराया।
ग्राम अलीपुराके श्मशान घाट पर छत्री (शेड) निर्माण की मांग बीते 30 वर्षों से चली आ रही थी।
कई प्रधान आए और गए मगर कोई इसे शुरू तक नहीं कर पाया।लेकिन राव डॉक्टर आमिर बिना किसी पद के, बिना किसी सत्ता के इस नेक कार्य की शुरुआत कर दी।पहले सफाई अभियान शुरू किया।
अलीपुरा गांव के लोग 30 वर्ष से शमशान घाट की छतरी की मांग कर रहे थे। लेकिन दुर्भाग्य का विषय है कि गांव में कितने प्रधान आए और कितने हुए किसी ने ध्यान नहीं दिया। अब अलीपुरा के गांव के लोगों को शमशान घाट की छतरी भी मिलेगी और विकास कार्य भी होंगे।
डा.आमिर राव, युवा चिकित्सक।