लंदन। अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने कहा है कि तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान में सभी कामों को पाक खुफिया एजेंसी आइएसआइ ही देख रही है। उन्होंने कहा कि पंजशीर में संयुक्त राष्ट्र को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए। पूर्व उपराष्ट्रपति सालेह नार्दर्न अलायंस के साथ मिलकर पंजशीर में तालिबान के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। पूर्व उपराष्ट्रपति ने डेली मेल में लिखे एक लेख में अफगानिस्तान के हालिया घटनाक्रम को लेकर कई नई जानकारियां दी हैं। उन्होंने स्वयं को अशरफ गनी के भाग जाने के बाद कार्यवाहक राष्ट्रपति माना है।
उपराष्ट्रपति का दावा- तालिबान हर घंटे पाकिस्तानी दूतावस से लेता निर्देश
उन्होंने लेख में कहा है कि काबुल पर कब्जे के बाद तालिबान हर घंटे पाकिस्तानी दूतावास से निर्देश लेता है। आइएसआइ ही अब तालिबान को पूरी तरह चला रही है। अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा सिर्फ एक थके हुए अमेरिकी राष्ट्रपति की गलत नीतियों का नतीजा है। उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों ने अफगानिस्तान के साथ विश्वासघात किया है।
सालेह ने संयुक्त राष्ट्र को पत्र लिखकर पंजशीर में तालिबान के हमलों को लेकर हस्तक्षेप करने की अपील की है। डेली मेल में सालेह ने अपने लेख में 15 अगस्त से पहले की स्थितियों के बारे में भी जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति अशरफ गनी के भाग जाने के बाद पूरी सेना भूमिगत हो गई थी। मैंने उस समय राष्ट्रपति पैलेस से लेकर कई शीर्ष नेताओं से संपर्क की कोशिश की, लेकिन किसी का कोई पता नहीं था। बाद में वह काबुल पर तालिबान का कब्जा होते ही पंजशीर निकल गए। रास्ते में उनके काफिले पर तीन स्थानों पर हमले हुए। उन्होंने कहा है कि मैं तालिबान के सामने आत्मसमर्पण नहीं करूंगा। मैंने अपने गार्ड को कह दिया है कि लड़ाई में घायल होते ही मेरे सिर में दो गोली मार देना।