ऐसे टूटी अमृतपाल की कमर, खुफिया एजेंसियों को मिली पाकिस्तान में बैठे आकाओं की जानकारियां

मोगा। 37 दिनों से फरार खालिस्तान समर्थक व अलगाववादी अमृतपाल सिंह को रविवार सुबह लगभग पौने सात बजे पंजाब पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उसे मोगा जिले में जरनैल सिंह भिंडरांवाला के गांव रोडे से पकड़ा गया है। इसी गांव में सितंबर 2022 में उसकी ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन के मुखी के तौर पर दस्तारबंदी की गई थी। राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत गिरफ्तारी के बाद उसे असम की डिब्रूगढ़ की केंद्रीय जेल भेज दिया गया है।
समाचार एजेंसी एएनआइ को एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इंटेलिजेंस ब्यूरो (आइबी), रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रा) और अन्य केंद्रीय खुफिया एजेंसियों की टीम उससे पूछताछ करने के लिए जेल जाएगी। एनएसए के तहत गिरफ्तार उसके नौ साथी पहले से डिब्रूगढ़ जेल में हैं। अमृतपाल की गिरफ्तारी के बाद चंडीगढ़ में आइजी (हेडक्वार्टर) डा. सुखचैन सिंह गिल ने कहा कि रोडे के गुरुद्वारा साहिब में अमृतपाल के होने की सूचना मिली थी। इसके बाद गांव में पुलिस सादे कपड़ों में तैनात कर दी गई। मर्यादा भंग न हो, इसलिए पुलिस गुरुद्वारा साहिब में नहीं गई।
अमृतपाल को पता चल गया कि अब वह वहां से बचकर भाग नहीं सकता, ऐसे में जब वह गुरुद्वारा साहिब से बाहर आया तो तो उसे गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद उसको बठिंडा के भिसियाणा एयरफोर्स स्टेशन से विमान के माध्यम से असम की डिब्रूगढ़ जेल भेज दिया गया। जालंधर से फरार होने के बाद अपनी गिरफ्तारी तक वह कहां-कहां रहा और किन-किन लोगों ने उसकी मदद की, इसे लेकर उससे जेल में पूछताछ की जाएगी। इसके लिए पंजाब पुलिस डिब्रूगढ़ जाएगी।
बता दें कि 23 फरवरी को अपने साथी लवप्रीत सिंह तूफान को छुड़वाने के लिए श्री गुरु ग्रंथ साहिब को ढाल बनाकर अजनाला थाने पर हमला करने के आरोपित अमृतपाल को पुलिस ने 18 मार्च को जालंधर में गिरफ्तार करने की कोशिश की थी। हालांकि, वह अपने साथी पपलप्रीत के साथ फरार होने में कामयाब रहा। इन 37 दिनों के दौरान अमृतपाल हरियाणा, दिल्ली और उत्तराखंड सहित पंजाब के कई हिस्सों में वेशभूषा बदलकर छिपता रहा।
अमृतपाल ने जालंधर से फरार होने के बाद विदेश भागने की कोशिश की, लेकिन भारत-नेपाल सीमा पर कड़ी सुरक्षा के कारण वह पंजाब लौट आया। उसने श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह से सरबत खालसा बुलाने की मांग की, लेकिन उन्होंने न केवल उसकी मांग ठुकरा दी बल्कि उसे आत्मसमर्पण की नसीहत भी दी। इसके बाद पपलप्रीत गिरफ्तार हो गया तो उसको छिपने के लिए ठिकाने मिलने में मुश्किल खड़ी हो गई। वहीं, अमृतपाल की पत्नी किरणदीप कौर शुक्रवार को लंदन जाने के लिए अमृतसर के एयरपोर्ट पर पहुंची तो पुलिस ने उससे पूछताछ करने के बाद वापस घर भेज दिया। इससे उस पर आत्मसमर्पण करने का दबाव बढ़ गया था।
घटनाक्रम
- अजनाला थाने पर हमले का आरोपित 18 मार्च को जालंधर से हो गया था फरार
- हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड व पंजाब में छिपता रहा, 37वें दिन आया पकड़ में
- अब आइबी, रा और अन्य केंद्रीय खुफिया एजेंसियां जेल में उससे करेंगी पूछताछ
- मोगा से गिरफ्तार खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह को असम के डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल लेकर पहुंची पंजाब पुलिस
- एनएसए के तहत गिरफ्तार उसके नौ साथी पहले से ही हैं असम की डिब्रूगढ़ जेल में
इस तरह टूटा
- भारत-नेपाल सीमा पर कड़ी सुरक्षा के कारण भागने में सफल नहीं हो सका
- वीडियो जारी कर वैशाखी पर सरबत खालसा बुलाने की अपील की, पर जत्थेदार ने ठुकराई
- साथी पपलप्रीत की गिरफ्तारी के बाद उसके नजदीकियों के ठिकानों पर शरण नहीं ले सका
- लंदन जाने के लिए घर से निकली पत्नी किरणदीप कौर को पुलिस ने एयरपोर्ट से लौटाया
सीएम भटनागर ने कहा कि मुझे इस अभियान की जानकारी शनिवार रात को ही मिल गई थी। मैं पूरी रात सोया नहीं। डीजीपी गौरव यादव से पल-पल की जानकारी लेता रहा। पूरे अभियान में हमने किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचने दिया। श्री गुरु ग्रंथ साहिब व गुरुद्वारा साहिब की मर्यादा का भी पूरा ख्याल रखा।
पूर्व जत्थेदार ने कहा-आत्मसमर्पण किया, पुलिस ने दावा नकारा
जरनैल सिंह भिंडरांवाला के भतीजे और श्री अकाल तख्त साहिब के पूर्व जत्थेदार जसवीर सिंह रोडे ने कहा कि अमृतपाल को गिरफ्तार नहीं किया गया, बल्कि उसने आत्मसमर्पण किया है। अमृतपाल शनिवार रात को गांव रोडे पहुंच गया था और पुलिस को जानकारी मिल गई थी कि अमृतपाल रविवार को आत्मसमर्पण करेगा। यह बात अमृतपाल ने आत्मसमर्पण से पहले बनाए वीडियो में कही है। उसने कहा कि गांव रोडे, जो जरनैल सिंह भिंडरांवाला का जन्म स्थान है, उसने अपना सफर यहीं से शुरू किया था और आज वह यहीं पर इसे खत्म कर रहा है। अगर बात केवल गिरफ्तारी की होती तो इसके बहुत से तरीके थे। उधर, आइजी डा. सुखचैन सिंह गिल ने कहा कि अमृतपाल ने आत्मसमर्पण नहीं किया, उसे गिरफ्तार किया गया है।
कौन था भिंडरांवाला
जरनैल सिंह भिंडरांवाला खालिस्तान समर्थक व दमदमी टकसाल से जुड़ा था। 1982 में उसने धर्म युद्ध मोर्चा शुरू किया। जून 1984 में तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने आपरेशन ब्लूस्टार चलाने का फैसला किया। इसका मकसद श्री हरिमंदिर साहिब को भिंडरांवाला से आजाद कराना था। भिंडरांवाला छह जून को मारा गया।
डिब्रूगढ़ जेल में साथियों से दूर एक अलग सेल में रखा गया
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अमृतपाल को डिब्रूगढ़ जेल में उसके साथियों से दूर एक अलग सेल में रखा गया है। आइबी, रा और अन्य केंद्रीय खुफिया एजेंसियों की एक टीम उससे पूछताछ करने के लिए डिब्रूगढ़ जेल पहुंचेगी। उससे धन के स्रोत के बारे में पूछताछ की जाएगी, क्योंकि खुफिया एजेंसियों को पाकिस्तान और अन्य देशों में उसके आकाओं के साथ उसके जुड़ाव के बारे में जानकारियां मिली हैं। असम पुलिस को जेल परिसर के आसपास सुरक्षा कड़ी करने के लिए कहा गया है।