जयपुर। भाजपा 2023 का राजस्थान विधानसभा चुनाव सामूहिक नेतृत्व में लड़ेगी । किसी को नेता घोषित नहीं किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे और नाम पर चुनाव लड़ा जाएगा। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने दो दिन की प्रदेश की यात्रा में साफ संकेत दिए कि चुनाव अभियान की कमान राष्ट्रीय नेतृत्व के पास रहेगी। पहले जैसलमेर और फिर जोधपुर में उन्होंने गुटों में बंटे नेताओं को साफ संदेश दिया कि उन्हे मिलकर चुनाव लड़ना होगा। प्रदेश के किसी एक नेता को चुनाव की कमान नहीं सौंपी जाएगी, सब मिलकर काम करेंगे।
मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित नहीं
शाह ने मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित नहीं करने के तो संकेत दिए, लेकिन चुनावी मुददों की तरफ जरूर इशारा कर दिया। उन्होंने नेताओं से कहा, कार्यकर्ता सर्वोपरि है कार्यकर्ता का सम्मन जरूरी है। शाह की मौजूदगी में एक-दूसरे के कट्टर विरोधी केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने एक-दूसरे की प्रशंसा की। हालांकि इस दौरान वसुंधरा ने प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया पर तंज कसते हुए कहा, प्रेस कांफ्रेंस से नहीं पब्लिक कांफ्रेंस से चुनाव जीता जा सकेगा ।
सबको बराबर तवज्जो
शाह ने शनिवार को जोधपुर में बूथ अध्यक्षों के सम्मेलन और बाद में पार्टी नेताओं के साथ बातचीत में सबको बराबर तवज्जो दी। उन्होंने जहां सीएम के रूप में वसुंधरा के कार्यकाल की आधा दर्जन योजनाओं की तारीफ की । वहीं शेखावत को अपना मित्र के रूप में संबोधित कर उनके निकट होने का संदेश दिया। संगठन के कामकाज की तारीफ कर पूनिया का उत्साह बढ़ाया। आपसी खींचतान में फंसे नेताओं को शाह ने सख्त संदेश देकर कहा कि एकजुटता प्रदर्शित करनी होगी। गुटबाजी को पार्टी नेतृत्व सहन नहीं करेगा।
गहलोत सरकार के खिलाफ आक्रामक रूख
शाह ने अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ आक्रामक रूख अपनाने की बात कही। इस दौरान उन्होंने 14 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा द्वारा बनाए जाए वाले मुददों को लेकर भी संकेत दिए । शाह ने अपने भाषण के दौरान कानून-व्यवस्था, हिंदुत्व , महिलाओं के खिलाफ अपराध, महंगे पेट्रोल,-डीजल और बिजली पर जोर दिया । इससे साफ हो गया कि भाजपा इन्हें चुनावी मुददा बनाएगी ।