वर्ष 2013 का वक्त था, जब वर्तमान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को सबसे कठिन राज्य उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी दी गई थी। शत प्रतिशत मेहनती और कुशल रणनीतिकार शाह ने जमीन को इतना सींचा कि रसदार फल 2019 तक टपकते रहे। 2014, 2017 और 2019 में केंद्र और राज्य में बहुमत की सरकार मिलती चली गई। फिर से चुनाव सामने है और अन्य नेताओं के साथ शाह ने शुरुआत वहां से की जो फिलहाल सबसे कठिन माना जा रहा था-पश्चिमी उत्तर प्रदेश। जिस जाट समुदाय के नाराज होने की बात कही जा रही थी, उसी जाट समुदाय ने एक सम्मेलन में शाह को चौधरी कहा। लेकिन खुद शाह उत्तर प्रदेश में जीत का शत प्रतिशत भरोसा जताते हुए पूरा श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कामकाज को देते हैं।
-पांच राज्यों में चुनाव हो रहे हैं, जिनमें से चार में आपकी सत्ता है। पांचवें में बताया जा रहा है कि भाजपा के खिलाफ नाराजगी है। कितना दबाव महसूस कर रहे हैं।
–हर व्यक्ति का देखने का नजरिया है। मेरा मानना है कि जहां हमारी सरकारें हैं वहां और मजबूत होने की संभावना है और पांचवें राज्य में भी हम अभी की स्थिति को सुधारेंगे। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में प्रधानमंत्री मोदीजी की गरीब कल्याण नीति का प्रभाव दिख रहा है। लोगों के जीवन में बदलाव दिख रहा है और असर भाजपा के नतीजों पर भी दिखेगा। अगर सिर्फ उत्तर प्रदेश की बात करूं तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बहुत अच्छे तरीके से योजनाओं को जमीन पर उतारा है। जब मैं यह कह रहा हूं तो उसका अर्थ है, शत प्रतिशत कार्यान्वयन और शत प्रतिशत ऐसे लोगों तक पहुंचाना जो इसके अधिकारी हैं। इसका बहुत अच्छा प्रभाव पूरे उत्तर प्रदेश पर दिखेगा।देखिए, उत्तर प्रदेश में दूसरे दलों की सरकारों में कानून-व्यवस्था की स्थिति बहुत खराब थी। लोगों का जीवन दूभर हो रहा था। शासन की कोई नीति नहीं थी। आज पांच साल में मैं बहुत भरोसे के साथ कह सकता हूं कि जातियों से ऊपर उठकर प्रदेश अपराधियों से, माफिया से मुक्त हुआ है।
-यानी दबाव नहीं है।
-(हंसते हुए) मैं तो मानता हूं कि दबाव दो लोगों पर हैै। एक तो विरोधी दल और दूसरे वे लोग जो गलत आकलन कर रहे हैं।
-भाजपा और खासकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सोच रहा है मुफ्त बांटने के बजाय समृद्धि पर जोर दिया जाए। सुविधाएं बढ़ाई जाएं। लेकिन भाजपा ने उत्तर प्रदेश में मुफ्त बिजली की बात की है। दूसरे प्रदेशों में भी ऐसी घोषणाएं हुई हैं। क्या यह राजनीतिक दबाव के कारण नहीं हुआ है ?
जहां तक उत्तर प्रदेश का सवाल है, यहां भूगर्भ जल बहुत ऊपर है। वहां जमीन पर सिंचाैई की खातिर पानी पहुंचाने के लिए बहुत लागत की जरूरत नहीं है। अगर मैं गुजरात से तुलना करूं तो खर्च हजार गुना से कम होगा। यह सुविधा का सवाल है। गंगा-यमुना के बीच या फिर गंडक के आसपास भी कुछ ऐसा ही है। इससे कोई बहुत बड़ा वित्तीय भार नहीं पड़ने वाला है और वोट के लिए तो हमने बिल्कुल नहीं किया है। यह किसानों की सुविधा के लिए है।
-कृषि कानून के बाद से ही यह माना जा रहा है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश खासतौर पर भाजपा के लिए परेशानी का सबब बनेगा। पिछले दिनों में आपकी बहुत सक्रियता दिखी और फिर बात आई कि स्थिति सुधर रही है। आपने क्या समझाया?
–मैंने नरेन्द्र मोदीजी और योगीजी की उपलब्धियां बताई। जो परसेप्शन बना था, वह जाट आंदोलन के कारण था। लेकिन मोदीजी ने बड़ा दिल दिखाकर कहा कि कानून तो भलाई के लिए लाए थे। लेकिन सहमति नहीं बन रही है तो चलो कानून वापस लेते हैं। मुद्दा ही खत्म हो गया। लिहाजा जाट नाराजगी का सवाल ही ननहीं है। उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ा मुद्दा कानून व्यवस्था है, लोगों की संपत्ति सुरक्षित रहे यह मुद्दा है और गरीब किसानों को अपनी जमीन अपने नाम पर बचाने का है। तीनों स्तर पर भाजपा सरकार ने बहुत अच्छा काम किया है। आप पश्चिमी उत्तर प्रदेश की बात कर रहे हैं, पूरे प्रदेश में लोग संतुष्ट हैं। गन्ना किसानों का 1.45 लाख करोड़ का भुगतान किया है। हमने इस बार वादा किया है कि भुगतान में 15 दिन से ज्यादा का समय लगेगा तो थोड़ी छूट भी देंगे। अब चुनाव ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश से शुरू होता है तो सक्रियता तो यहीं पहले दिखेगी। इसे अलग तरीके से देखने की जरूरत नहीं है।
-लेकिन विरोधी दलों का आरोप तो यह है कि आपने कानून-व्यवस्था के नाम पर ध्रुवीकरण किया।
–यह तो अजीब बात है। भई कानून-व्यवस्था ठीक होगी तो क्या अल्पसंख्यकों को फायदा नहीं होगा। दंगे कम होते हैं तो क्या किसी एक संप्रदाय तो फायदा होगा और दूसरे को नहीं होगा। कानून-व्यवस्था समाज के एक हिस्से के लिए नहीं होता है। लेकिन किसी को अपने चश्मे से देखना हो तो देखें, हम इसका क्या उपचार कर सकते हैं। आंकड़े उठा कर देख लीजिए कि क्या उत्तर प्रदेश में शांति नहीं आई। यह बात जाट ही नहीं पूरी जनता समझती है और हर वर्ग संप्रदाय इस बात से संतुष्ट है। मैं तो हर किसी को चैलेंज करता हूं कि इन बातों को काट दे। कोई नहीं काट सकता है। हर व्यक्ति इसे महसूस करता है।
–भाजपा के लिए एक बड़ी ताकत यह है कि यहां बड़े चेहरे हैं, जिनसे लोग कनेक्ट होते हैं। इस बार प्रतिबंध के कारण वह सीमित हो गया। क्या इसके कारण कुछ परेशानी हुई है?
-देखिए यह सच है कि जब रैलियां होती हैं तब हम पार्टी की विचारधारा को आगे बढ़ाते हैं। विस्तार होता है। लेकिन इससे पहले मोदीजी ने वर्चुअल रैलियां भी की हैं। विजय संकल्प यात्रा हुई तो पूरे प्रदेश को कवर किया गया था। खुद मोदीजी भी कई सरकारी कार्यक्रमों में गए। मैं भी कई क्षेत्रों में गया था। योगीजी भी काफी घूमे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंहजी का भी दौरा हुआ। यानी कनेक्ट हुआ है। लेकिन उससे बड़ी बात यह है कि मतदाता बदलाव को देख रहा है। वैसे अभी तो चुनाव का 90 प्रतिशत हिस्सा बचा हुआ है। प्रतिबंध भी कम हो रहे हैं। अवसर मिलेगा तो फिर से लोगों के बीच जाकर कनेक्ट को और मजबूत किया जाएगा। ध्यान रखिए कि हमारा कनेक्ट है। भाजपा सरकार में आने के बाद भी, चुनाव खत्म होने के बाद भी लगातार जनता के ही संपर्क में रहती है। कभी योजनाओं को जमीन पर उतारने के लिए, कभी यह देखने के लिए कि व्यवस्था सही तरह काम कर रहा है या नहीं। हम सत्ता मिलने के बाद सोने वाले लोग नहीं हैं।
-फिर हमेशा आरोप क्यों लगता है कि आप विकास की कहते हैं और जातिवाद करते हैं?
-इसका उलटा है..पूरा उत्तर प्रदेश जानता है कि सपा की सरकार आती थी तो एक जाति का काम होता था। बसपा की आती थी तो दूसरी जाति का। आज भी यही माना जाता है। हमारी सरकार ने तो वर्ग तीन और चार की भर्ती से इंटरव्यू ही निकाल दिया। जिसका ज्यादा नंबर आएगा, उसे नौकरी मिलेगी। इसमें जातिवाद कहां है। उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी समस्या यह थी कि राजनीति का अपराधीकरण हो गया था और प्रदेश के शासन का राजनीतिकरण हो गया था। ये दोनों चीजें प्रदेश के विकास में सबसे बड़ा रोड़ा था। अब विकास नीचे तक पहुंच रहा है और अधिकारी सहजता से लोगों से मिल रहे हैं। आरोप लगाने वाले इसके लिए भी कठघरे में खड़ा कर रहे हैं तो क्या करें
-लेकिन यह आरोप केवल विरोधियों ने नहीं लगाया। हाल में प्रदेश सरकार से इस्तीफा देकर जाने वाले मंत्रियों ने भी लगाया। कहा कि यहां कुछ जातियों के हितों की रक्षा होती है?
-मेरा एक अनुरोध है सबसे, उनके छोड़कर जाने से एक सप्ताह पहले के भाषण देख लें। सबने मोदी सरकार और योगी सरकार के कसीदे पढ़े थे। एक सप्ताह में इतना कुछ बदल गया.। जब भी चुनाव होता है तो कुछ लोगों का दल बदल स्वाभाविक होता है। लेकिन भाजपा अपने संगठन के आधार पर, मोदीजी की लोकप्रियता के आधार पर योगीजी के कामकाज के आधार पर प्रचंड बहुमत से आएगी।