अमित शाह कर रहे शुरुआत, कोरोना काल में यूं बदलेगा चुनाव प्रचार का तरीका

- कोरोना वायरस ने जिंदगी ठप कर दी, बाहर निकलने पर लग गई रोक
- लॉकडाउन खत्म होने के बाद ही पहले जैसी नहीं रहेगी लाइफ, बहुत सावधान रहना होगा
- वैक्सीन मिलने तक चुनावी रैलियां हो पाना बेहद मुश्किल, मगर चुनाव तो होंगे
- प्रचार के लिए पार्टियां खोज रहीं नए तरीके, डिजिटल मीडियम्स पर जोर
नई दिल्ली
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज जब बिहार की जनता के सामने भाजपा का प्रचार करेंगे तो देश की चुनावी राजनीति में एक नई इबारत लिखी जाएगी। यह रैली पूरी तरह वर्चुअल होगी। बिहार के सारे जिलों में शाह का भाषण दिखाने-सुनाने के इंतजाम किए गए हैं। इस साल बिहार और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने हैं। यह देश के पहले ऐसे चुनाव हो सकते हैं जिसमें कोई चुनावी रैली नहीं होगी। कारण है कोरोना वायरस महामारी। एक्सर्ट्स कहते हैं कि एक-डेढ़ साल तक हमें सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क के साथ जीना ही पड़ेगा। वैक्सीन या कोई कारगर दवा बनने तक हमें बेहद सावधानी बरतनी होगी।
चुनावी रैलियों से इन्फेक्शन का खतरा
लॉकडाउन के बाद जिंदगी धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगी है। लेकिन भीड़ वाली जगहें अबतक बंद रखी गई हैं। रोक चुनावी रैलियों पर भी है, वह भी तब जब चुनावी मौसम करीब है। कई राज्यों में उपचुनाव है इसलिए कोरोना काल में प्रचार के लिए नए तरीके खोजे जा रहे हैं। अमित शाह की वर्चुअल रैली से एक शुरुआत होगी। रैली इसलिए अहम है क्योंकि देश की एक बड़ी आबादी के पास मीडिया तक पहुंच नहीं हैं। उन्हें खबरें पता नहीं चलतीं। नेता रैली कर उनतक अपनी बात पहुंचाते हैं। मगर फिलहाल कोरोना वायरस इन्फेक्शन का रिस्क है, इसलिए रैली का जोखिम कोई पार्टी नहीं लेना चाहेगी।
Amit Shah Virtual Rally: बीजेपी की डिजिटल रैली को लेकर पार्टी कार्यालय में कैसी है तैयारी, देखिएनीलकमल, पटनाकेंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की आज होने वाली वर्चुअल रैली को सफल बनाने के लिए बीजेपी ने पूरी ताकत झोंक दी है। बीजेपी ने अमित शाह की वर्चुअल रैली को ‘बिहार जनसंवाद’ नाम दिया है। पार्टी की डिजिटल रैली को लेकर प्रदेश बीजेपी कार्यालय में खास तैयारी की गई है। एनबीटी संवाददाता नीलकमल ने बिहार बीजेपी कार्यलय में रैली को लेकर की गई तैयारियों का जायजा लिया। पार्टी कार्यालय के बाहर रैली को लेकर पोस्टर्स और बैनर्स लगाए गए हैं। इसके साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग को मद्देनजर पार्टी कार्यालय में गोल घेरा बनाया गया है। इसके साथ नेताओं के बैठने के लिए सीटिंग अरेंजमेंट में सोशल डिस्टेंस का खास ख्याल रखा गया है।
अब दिखेगा टेक्नोलॉजी का सबसे ज्यादा इस्तेमाल
बीजेपी ने कहा है कि वह बिहार चुनाव प्रचार के लिए जनसभाओं का आयोजन नहीं करेगी। पार्टी ने वोटर्स तक तकनीक के जरिए पहुंचने का प्लान बनाया है। फेसबुक, ट्विटर, जूम ऐप से लेकर यूट्यूब वीडियोज तक, पार्टी ने पूरी ताकत झोंक रखी है। ऐसा पहली बार नहीं जब तकनीक और राजनीति का संगम हो रहा हो। 2014 के लोकसभा चुनाव और उसके बाद से हमने भारत में चुनावों के दौरान टेक्नोलॉजी का व्यापक इस्तेमाल देखा है। भारत में युवा वोटर्स की बड़ी संख्या है, सोशल मीडिया उनतक पहुंच बनाने का सबसे आसान तरीका है।
डिजिटल पर फोकस, स्मार्टफोन में पूरी पॉलिटिक्स
कोरोना काल में चुनाव प्रचार लगभग पूरी तरह डिजिटल हो जाएगा। सोशल मीडिया पर पार्टियां और पैसे खर्च करेंगी। वर्चुअल इवेंट्स की संख्या बढ़ेगी। टेलीविजन का इस्तेमाल प्रचार के लिए खूब होगा। पूरे पॉलिटिकल सीन को स्मार्टफोन पर वोटर के सामने रखने की तैयारी है। वॉट्सऐप, जूम जैसी ऐप्स के जरिए बड़ी संख्या में वोटर्स तक बात पहुंचाई जाएगी। गुजरे जमाने की चीज हो चुके रेडियो को और भाव मिलेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेडियो का इस्तेमाल अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ के लिए किया। इसके बाद रेडियो की डिमांड बढ़ी। अब कोरोना काल में रेडियो चैनल्स पर और एग्रेसिव प्रचार देखने को मिल सकता है।