हिंसा की लपटों के बीच मानवता की मिसाल, माथे पर टीका लगा यूं हिंदू ने बचाई मुस्लिम पड़ोसी की जान

हिंसा की लपटों के बीच मानवता की मिसाल, माथे पर टीका लगा यूं हिंदू ने बचाई मुस्लिम पड़ोसी की जान
हाइलाइट्स
  • सलीम को हिंदू पड़ोसी ने अपने घर में छिपाकर सिर पर टीका लगा दिया, भगवा कुर्ता पहना दिया
  • सलीम कहते हैं कि उस दिन उनके पड़ोसी ने अपने घर में नहीं छिपाया होता तो वह जिंदा नहीं बचता
  • उपद्रवियों ने सलीम के भाई अनवर के साथ उनकी 17 बकरियों को भी जलाकर मार डाल

अनूप पांडे, नई दिल्ली
सीएए को लेकर शुरू हुए सांप्रदायिक हिंसा में उपद्रवियों ने जमकर मारकाट मचाई। 40 से अधिक लोगों की जान ले ली और सैकड़ों लोगों को बेघर कर दिया। जिस समय नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में हर तरफ हिंसा की लपटें थीं, कुछ लोग धर्म के नाम पर खून बहा रहे थे वहीं कुछ लोग मानवता की मिसाल भी कायम कर रहे थे। शिव विहार में एक हिंदू परिवार ने मुस्लिम पड़ोसी सलीम को घर में छिपाकर उनकी जान बचाई। उपद्रवियों ने सलीम के भाई अनवर की गोली मारकर हत्या कर दी और फिर उन्हें आग के हवाले कर दिया। उपद्रवियों ने बेजुबान बकरियों को भी अपना दुश्मन माना और उन्हें भी जिंदा जला डाला।

माथे पर टीका और पहनाया भगवा कुर्ता

25 फरवरी की भयानक घटना के बारे में सलीम ने बताया कि वह उस हिंदू परिवार का नाम नहीं बता सकते हैं, क्योंकि उनकी सुरक्षा को खतरा होगा, लेकिन उस दिन वे लोग नहीं होते तो उपद्रवी मेरी भी जान ले लेते। उन्होंने मुझे अपने घर में तीसरी मंजिल पर छिपाया। यदि उपद्रवी तलाशी लें तो मुझे पहचान ना लें इसलिए मेरे सिर पर टीका लगा दिया और मुझे एक भगवा कुर्ता पहना दिया। उन्होंने मेरी पत्नी को भी साड़ी और चूड़ियां पहना दीं।

दिल्ली दंगे: वो कहानियों जो इंसानियत की मिसाल बन गईं

दिल्ली दंगे: वो कहानियों जो इंसानियत की मिसाल बन गईंउत्तर-पूर्वी दिल्ली जब दंगों की आग में जल रह थी, उस समय वहां इंसानियत और भाइचारे की लौ भी टिमटिमा रही थी। दंगों की आग बुझने के बाद अब दिल को कुछ सुकून देने वाली ये कहानियां सामने आ रही हैं। शुक्रवार को अपने रिश्तेदार का हालचाल जानने जीटीबी अस्पताल पहुंचीं तबस्सुम और ईश्वरी ने बताया कि कैसे हिंदू परिवारों ने गली के करीब 10 मुस्लिम परिवारों को दंगाइयों की भीड़ से बचाया। दो दिन तक अपने घर पर पनाह दी और फिर ह्यूमन चेन बनाकर सुरक्षित रिश्तेदारों के घर तक पहुंचाया। वहीं शिव विहार इलाके में रहने वाले सलीम ने बताया कि किस तरह दंगाइयों ने उनकी आंखों के सामने उनके भाई को गोली मारकर जिंदा जला दिया, लेकिन हिंदू पड़ोसियों ने घर की छत पर उन्हें छिपाकर उनकी जान बची ली।


‘फरिश्ता बनकर आया हिंदू दोस्त’
सलीम ने आगे बताया, मेरा घर शिव विहार के रामलीला ग्राउंड के पास है। उस दिन काफी संख्या में दंगाई पहुंच गए। नारे लगाते हुए मेरी कार में आग लगा दी। फिर भाई के घर के पास पहुंच गए। तभी पास में रहने वाले एक हिंदू दोस्त मेरे घर फरिश्ता बनकर आए और पूरे परिवार को खुद के घर ले गए। हमारा हुलिया बदलने के बाद दोस्त ने चिल्लाने और बोलने से मना करते हुए कहा कि शांत रहना, नहीं तो ये दंगाई पूरे परिवार को मार देंगे।

1- दूर तक मार करने वाली बड़ी मोबाइल गुलेल

  • 1- दूर तक मार करने वाली बड़ी मोबाइल गुलेल

    दिल्ली के शिव विहार इलाके में मिली ये गुलेल एक रिक्शे पर लोहे के एंगल को वेल्डिंग कर के बनाई गई थी। जिस तरह छोटी गुलेल से मामूली गिट्टियां चलाई जाती हैं, ठीक वैसे ही इस बड़ी गुलेल से पेट्रोल बम की बोतलें, बड़े-बड़े पत्थर या और भी चीजें फेंकी जा सकती हैं। यानी किसी भारी चीज को दूर तक फेंकने के लिए ये गुलेल बनाई गई, वो भी रिक्शे के ऊपर। यानी मोबाइल गुलेल, जिसे जहां चाहे, वहां ले जाया जा सके और घटना को अंजाम दिया जा सके।
  • 2- सटीक निशाने के लिए छोटी गुलेल

    ऐसा नहीं है कि दंगाइयों के पास सिर्फ बड़ी गुलेल ही थी, उनकी पास छोटी गुलेल भी थी। ये छोटी गुलेल किसी पर सटीक निशाना लगाकर उस पर जानलेवा हमला करने के लिए इस्तेमाल की गई होंगी। इनके हथियार साफ होता है कि दंगाई पूरी तैयारी से आए थे।
  • 3- पेट्रोल बम

    ताहिर हुसैन की बिल्डिंग की छत से जो चीजें बरामद हुई हैं, वो भी दिखाती हैं कि इन दंगाइयों के पास कैसे-कैसे हथियार थे। दंगाइयों के पास पेट्रोल बम भी थे, जिसे उन्होंने कोल्ड ड्रिंक की बोतलों में पेट्रोल भर कर बनाया था।
  • 4- एसिड के पाउच

    किसी के ऊपर एसिड गिर जाए, ये बात तो सोचकर भी रूह कांप जाती है। दिल्ली हिंसा के दंगाइयों ने एसिड को भी अपने हथियार की तरह इस्तेमाल किया। ताहिर हुसैन की बिल्डिंग की छत पर भी एसिड के पाउच मिले हैं।
  • 5- पिस्तौल और तमंचे

    दिल्ली हिंसा में शाहरुख को पिस्तौल लहराते तो सभी ने देखा था। उसने पुलिस और भीड़ पर 8 राउंड गोलियां भी चलाई थीं। जहां-जहां हिंसा हुई, वहां खूब गोलियां चलीं। यहां तक कि हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल की मौत भी गोली लगने की वजह से ही हुई। यानी दंगाई अपने साथ पिस्तौल या तमंचे लिए हुए थे।
  • 6- ईंट-पत्थर

    ये वो हथियार है जो हर जगह हिंसा करने वाली भीड़ के हाथ में होता है। इस सबसे आसानी से मिलने वाले हथियार को भी दंगाइयों ने खूब इस्तेमाल किया। दंगाई तो बोरियों में ईंट-पत्थर भरकर अपने साथ लाए थे। दंगा करने वालों ने ईंट-पत्थर का कितना इस्तेमाल किया, इसका अंदाजा तो आपको हिंसा प्रभावित इलाकों की सड़कें देखकर ही लग जाएगा, जो ईंटों से पटी पड़ी हैं।
  • 7- रॉड और डंडे

    हिंसा के पीड़ितों ने ये बात कही है कि दंगाइयों के पास लोहे की रॉड भी थीं, जिनसे वह लोगों को पीट रहे थे।
  • 8- चाकू और धारदार हथियार

    दंगाइयों के हाथों में चाकू और अन्य धारदार हथियार भी थे। कई कत्ल बेरहमी से किए गए हैं।

‘भाई की हत्या के बाद जला डाला’
सलीम ने कहा, मेरे दोस्त ने तो हमारे परिवार को बचा लिया, लेकिन मेरे भाई को दंगाइयों ने पहले गोली मारकर हत्या कर दी, फिर पेट्रोल डालकर जिंदा जला दिया। भाई का केवल पैर बचा है, पूरी बॉडी की जगह अब केवल भाई का पैर दफन करूंगा। भाई ने 17 बकरियां पाली हुई थी, जिसे भी दंगाइयों ने जला दिया। जीटीबी अस्पताल के मॉर्चरी के बाहर खड़े सलीम हिंदू दोस्त की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं, लेकिन भाई के खोने का गम में उनके आंसू नहीं रुक रहे हैं।

17 बकरियों को भी जलाया
सलीम ने बताया कि जिस कमरे में दोस्त ने जान बचाने के लिए हमलोगों को बंद किया हुआ था। वहां से भाई के घर का सारा नजारा दिख रहा था। भाई अनवर (58) के घर पर हमला करते हुए दंगाइयों ने पहले उनकी 17 बकरियों को आग के हवाले कर दिया। फिर भाई पर बारी-बारी धारदार हथियार से हमला किया। इसके बाद पेट्रोल डालकर जिंदा जला दिया। फिर भीड़ मेरे घर के बाहर आए और पेट्रोल डालकर आग लगा दी।