भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ की घोषणा का कारण अमेरिकी बिजनेस है या सिर्फ एक चिढ़, जानें क्या है पूरा मामला ?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भले ही रूस से हथियार खरीदने को लेकर भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की हो, लेकिन हकीकत ये है कि पिछले दो दशक में भारत ने यूएस से 25 बिलियन डॉलर यानी 20 लाख करोड़ के हथियार और दूसरे सैन्य साजो सामान खरीदे हैं. उल्टा, पिछले कुछ सालों में हथियार और गोला-बारूद के लिए भारत ने रूस पर निर्भरता बेहद कम कर दी है.
आज भारत की सेनाएं (थलसेना, वायुसेना और नौसेना), अमेरिका से खरीदे निम्नलिखित हथियार और सैन्य उपकरण इस्तेमाल करती है. ये सभी पिछले दो दशक में अमेरिका से खरीदे गए हैं.
1. पी8आई मेरीटाइम सर्विलांस एयरक्राफ्ट
2. सी-17 ग्लोबमास्टर मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट
3. सी-130जे सुपर-हरक्युलिस सैन्य मालवाहक विमान
4. एमएच-60आर (रोमियो) एंटी-सबमरीन हेलीकॉप्टर
5. चिनूक हेवीलिफ्ट हेलीकॉप्टर
6. अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर
7. सिग-सौर राइफल
8. एम-777 गन (हल्की तोप)
9. एफ-404 एविएशन इंजन (एलसीए-तेजस प्रोजेक्ट के लिए)
10. एफ-414 इंजन साझा तौर से बनाने पर करार
11. एमक्यू-9 प्रीडेटर ड्रोन (करार हो चुका है).
ग्लोबल थिंक टैंक सिपरी (स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, 2020-24 के बीच भारत में रूस के बने हथियारों का प्रतिशत महज 30 प्रतिशत रह गया, जबकि 2025-2019 के दौरान ये 50 प्रतिशत से ज्यादा था. हथियारों की निर्भरता पर दूसरे नंबर पर फ्रांस है और तीसरे नंबर पर अमेरिका है.
भारत का सच्चा दोस्त कौन ?
भारत ऐसे वक्त में रूस से हथियार खरीदता था, जब अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देश पाकिस्तान को समर्थन करते थे. अमेरिका हथियार देना तो दूर, प्रतिबंध लगाने में सबसे आगे रहता था. एक साथ दो मोर्चों (चीन और पाकिस्तान से) जूझने के चलते, भारत को अपनी रक्षा जरूरतों के लिए रूस पर निर्भर रहना पड़ता था.
ऐसे में ट्रंप की ये दलील की भारत, रूस से हथियार खरीदता है, गले नहीं उतर रहा है. रूस से तेल खरीदने के चलते ही वैश्विक बाजार में आज तेल की कीमतें लगभग स्थिर हैं. अन्यथा पूरी दुनिया को महंगे तेल की मार झेलनी पड़ सकती थी.
ट्रंप की धमकी का असल कारण ये है
दरअसल, ट्रंप इस बात से खफा है कि मंगलवार (29 जुलाई2025) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर और पाकिस्तान से यु्द्धविराम को लेकर संसद में जो बयान दिया था, उसमें साफ तौर से किसी भी वैश्विक नेता के हस्तक्षेप से इनकार किया था. पीएम मोदी ने सीधे तौर से तो ट्रंप का नाम नहीं लिया था, लेकिन इशारों में साफ कर दिया था कि युद्धविराम, पाकिस्तान के मिन्नतें मांगने के लिए चलते किया गया था.
युद्धविराम के बाद से ही ट्रंप ने रट लगा रखी है कि अमेरिका के चलते ही भारत और पाकिस्तान में परमाणु युद्ध टल गया और सीजफायर हो गया, लेकिन भारत साफ कह चुका है कि युद्धविराम में किसी तीसरे देश की कोई भूमिका नहीं थी.