अमेरिका बोला नागरिकता कानून भारत का आंतरिक मामला, पाकिस्तान को मिली मायूसी
वाशिंगटन। भारत के नागरिक बिल पर अमेरिका ने कोई सीधी प्रतिक्रिया देने के बजाए कहा है कि यह भारत का आंतरिक मामला है। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने कहा कि इस कानून के चलते उपजे तनाव पर सभी राजनीतिक दलों को मिलकर समाधान खोजना चाहिए। अमेरिका ने कहा है कि वह भारतीय लोकतंत्र का सम्मान करता है।
अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि अमेरिका दुनिया में धार्मिक स्वतंत्रता एवं अल्पसंख्यकों के हितों को लेकर सचेत है। अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि अमेरिका ने केवल भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के हर हिस्से में अल्पसंख्यकों के हक की आवाज उठाता रहा है। पिछले दिनों राज्यों के सचिव ने अपनी द्विपक्षीय बैठकों में अपने भारतीय समकक्षों के साथ मानवाधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दे को उठाया था।
एक शीर्ष अमेरिकी राजनयिक ने कहा है कि नागरिकता और धार्मिक स्वतंत्रता जैसे मुद्दों पर देश (भारत) के अंदर एक मजबूत बहस चल रही है। अमेरिका के इस जवाब से भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान जरूर मायूस हुआ होगा। पाकिस्तान, भारत पर लगातार एक समुदाय के उत्पीड़न पर आरोप लगाता रहा है। अमेरिका का यह बयान ऐसे समय आया है, जब भारत और अमेरिका के बीच 2 + 2 मंत्री स्तरीय बातचीत चल रही है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह एवं विदेश मंत्री जयशंकर इस समय अमेरिका में है।
इसके साथ यह भी अहम है कि मंगलवार को पाकिस्तान के कहने पर चीन ने कश्मीर में अल्पसंख्यक के अधिकारों के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उठाने को लेकर पहल की थी। हालांकि, रूस और ब्रिटेन ने इस प्रस्ताव पर सहमति नहीं दी थी। इसके चलते यह प्रस्ताव अधर में लटक गया। इसके बाद नागरिक कानून पर अमेरिका के इस प्रतिक्रिया से पाकिस्तान जरूर मायूस हुआ होगा।
भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि दरअसल, यह कानून किसी समुदाय की धार्मिक आजादी का हरण नहीं करता वरन यह एक उपाय है, जिसके जरिए कुछ देशों में सताए जा रहे धार्मिक अल्पसंख्यकों की जरूरतों को पूरा करता है। इसके जरिए वह आसानी से देश के नागरिक बन सकते हैं। उसके लिए कानूनी बाधा को समाप्त किया गया है।