प्रयागराज । अभी कुछ दिन पहले कोरोना संक्रमण के इलाज को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार पर प्रतिकूल टिप्पणी करने के बाद गुरुवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार की जमकर प्रशंसा की है। हाई कोर्ट ने कोरोना संक्रमण के दौरान सरकार की ओर से उठाए गए कदमों पर संतुष्टि जाहिर की है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की इसी बेंच ने कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश सरकार पर प्रतिकूल टिप्पणी करते हुए स्वास्थ्य सेवाओं को राम भरोसे बताया था।ॉ
जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा एवं जस्टिस अजित कुमार की बेंच ने प्रदेश में कोरोना के इलाज के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कोविड प्रबंधन के लिए प्रदेश सरकार की तारीफ की। अदालत ने प्रदेश सरकार के ओर से दी गई रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर लेते हुए हालांकि कोई आदेश पारित नहीं किया और सुनवाई के लिए जून के दूसरे सप्ताह में कोई तारीख तय करने का निर्देश दिया।
उत्तर प्रदेश सरकार ने गुरुवार को कोर्ट को अवगत कराया कि डायग्नोस्टिक सेंटरों में होने वाली जांच का अधिकतम शुल्क निर्धारित कर दिया गया है। जांच केंद्रों पर आरटी-पीसीआर टेस्ट का शुल्क 500-900 तथा एंटीजेन टेस्ट का शुल्क 200 रुपये लिया जाएगा। इसी प्रकार सीटी स्कैन के अलग-अलग स्लाइस (अंशों व भागों) की जांच रिपोर्ट का शुल्क अधिकतम दो हजार से शुरू होकर 2500 रुपये तय किया गया है।
हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से डायग्नोस्टिक जांच दर पर रिपोर्ट मांगी थी। कहा था कि जांच के नाम पर वसूले जा रहे मनमाने शुल्क की अधिकतम सीमा तय कर न्यायालय को बताएं। सरकार ने कोर्ट को बताया कि डायग्नोस्टिक सेंटरों द्वारा सीटी स्कैन के 16 स्लाइस तक 2000 रुपये तय किया गया है। इसके ऊपर 16 से 64 स्लाइस तक 2250 तथा 64 से ऊपर की स्लाइस पर 2500 चार्ज किया जाएगा। ट्रू-नाट प्राइवेट टेस्टिंग का शुल्क 1200 रुपये निर्धारित किया गया है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट द्वारा पारित पिछले आदेश के अनुपालन में बहराइच, बिजनौर, श्रावस्ती, बाराबंकी व जौनपुर में चिकित्सा सुविधाओं को बेहतर करने की रिपोर्ट प्रस्तुत की है, जिस पर कोर्ट ने संतोष प्रकट किया। साथ ही दूसरे पांच जिलों भदोही, गाजीपुर, बलिया, देवरिया व शामली जिलों में भी ऐसी सुविधाएं बढ़ाकर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा व न्यायमूर्ति अजीत कुमार की खंडपीठ ने कोरोना संक्रमण तथा क्वारंटाइन केंद्रों की खराब स्थिति को लेकर स्वत: कायम जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से वैक्सीनेशन सेंटर जाने में असमर्थ दिव्यांगों के वैक्सीनेशन पर भी रिपोर्ट मांगी है। जनहित याचिका पर अगली सुनवाई सात जून को होगी
न्यायमूर्ति की मृत्यु की जांच रिपोर्ट पेश : हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति वीके श्रीवास्तव की कोरोना इलाज में लापरवाही की जांच के लिए गठित कमेटी ने अपनी रिपोर्ट पेश की। सरकार ने रिपोर्ट का अवलोकन करने के लिए कोर्ट से समय की मांग की है। कोर्ट रिपोर्ट पर अगली सुनवाई की तारीख पर विचार करेगी।