यूपी में पंचायत चुनाव से जुड़ी बड़ी खबर, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आरक्षण प्रक्रिया पर लगाई अंतरिम रोक

यूपी में पंचायत चुनाव से जुड़ी बड़ी खबर, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आरक्षण प्रक्रिया पर लगाई अंतरिम रोक

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में जुटी राज्य सरकार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बड़ा झटका दिया है। हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने शुक्रवार को पंचायत चुनाव में आरक्षण की व्यवस्था को अंतिम रूप देने पर अंतरिम रोक लगा दी है। कोर्ट ने आरक्षण व आवंटन कार्रवाई पर रोक लगाने के साथ सोमवार यानी 15 मार्च को राज्य सरकार और चुनाव आयोग से जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी एवं न्यायमूर्ति मनीष माथुर की पीठ ने अजय कुमार की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर पारित किया। कोर्ट के इस आदेश के अनुपालन में अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार ने फिलहाल आरक्षण की अग्रिम प्रक्रिया रोकने का आदेश भी जारी कर दिया है।

हाई कोर्ट में याचिका में कहा गया है कि जिला एवं क्षेत्र पंचायत चुनावों में आरक्षण की रोटेशन व्यवस्था के लिए 1995 को आधार (बेस) वर्ष माना जा रहा है और उसी आधार पर आरक्षण किया जा रहा है। जबकि, राज्य सरकार ने 16 सितंबर 2015 को एक शासनादेश जारी कर बेस वर्ष 2015 कर दिया था और उसी आधार पर पिछले चुनाव में आरक्षण भी किया गया था। कहा गया कि राज्य सरकार को इस वर्ष भी 2015 को बेस वर्ष मानकर आरक्षण को रोटेट करने की प्रक्रिया करना था किंतु सरकार मनमाने तरीके से 1995 को बेस वर्ष मानकर आरक्षण प्रकिया पूरी कर रही है और 17 मार्च 2021 को आरक्षण सूची घोषित करने जा रही है।

याची के अधिवक्ता मो. अल्ताफ मंसूर ने तर्क दिया कि 16 सितंबर 2016 का शासनादेश अभी भी प्रभावी है। ऐसे में वर्तमान चुनाव के लिए आरक्षण के रोटेशन के लिए 2015 को ही बेस वर्ष माना जाना चाहिए। याची ने 11 फरवरी 2021 को जारी उस शासनादेश को चुनौती दी जिसके जरिये वर्तमान में पंचायत चुनाव में आरक्षण प्रकिया पूरी की जा रही है। याचिका पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने अंतरिम आदेश पारित करते हुए पंचायत चुनाव के लिए आरक्षण की प्रकिया को अंतिम रूप देने पर रोक लगा दी और सरकार व चुनाव आयोग से जवाब तलब कर लिया।

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के फैसले के बाद अपर मुख्य सचिव पंचायतीराज मनोज कुमार सिंह ने सभी जिलाधिकारों को पत्र लिखकर निर्देश दिए हैं कि शासन के अगले आदेश तक पंचायत सामान्य निर्वाचन 2021 के लिए आरक्षण व आवंटन की प्रक्रिया को अंतिम रूप न दिया जाए। पंचायत चुनाव में जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत और ग्राम पंचायत के स्थानों और पदों का आरक्षण व आवंटन के लिए 11 फरवरी, 2021 को अधिसूचना जारी की गई, जिसके विरुद्ध हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी।

त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव के लिए सरकार ने आरक्षण नियमावली जारी करते हुए चक्रानुक्रम फार्मूले पर आरक्षित सीटें निश्चित करने का निर्णय लिया था। वो पद जो गत पांच चुनावों में कभी आरक्षण के दायरे में नहीं आए, उनको प्राथमिकता के आधार पर आरक्षित किया जाना था। साथ ही वर्ष 2015 में जो पद जिस वर्ग में आरक्षित था इस बार उस वर्ग में आरक्षित नहीं रहेगा। यानी आरक्षण के चक्रानुक्रम में आगे बढ़ा जाएगा। पंचायतों में आरक्षण आवंटन के बाद आठ मार्च तक आपत्तियां दर्ज कराई गई थीं। आपत्तियां निस्तारण शुक्रवार तक पूरा करने के बाद 13-14 मार्च तक आरक्षण आवंटन की अंतिम सूचियां जिलों में प्रकाशित की जानी थीं। इसके बाद 15 मार्च को निदेशालय में सूचियां एकत्रित करने का कार्यक्रम था, लेकिन हाई कोर्ट के फैसले के बाद इस प्रक्रिया को रोक दिया गया है।

इन पदों पर होना है चुनाव

  • 75 जिला पंचायत अध्यक्ष
  • 826 ब्लाक प्रमुख
  • 58,194 ग्राम प्रधान
  • 3051 जिला पंचायतों के वार्ड सदस्य
  • 75855 ब्लाकों के वार्ड सदस्य
  • 7,31,813 ग्राम पंचायतों के वार्ड सदस्य
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