सब ठीक था…अचानक उनके फोन आने बंद हो गए, बाधाओं के बाद भी नहीं टूटा हौसला, मोहब्बत को दिया मुकाम

सब ठीक था…अचानक उनके फोन आने बंद हो गए, बाधाओं के बाद भी नहीं टूटा हौसला, मोहब्बत को दिया मुकाम

कहते हैं प्रेम कहानियां स्वर्ग में बनकर आती हैं, शायद हमारी जोड़ी भी ईश्वर ने तय करके भेजी थी। तभी लाख मुश्किलें आईं, रुकावटें आईं लेकिन कोई अड़चन हमारी मोहब्बत को डिगा नहीं सकी। आज शादी को सात साल हो चुके हैं, जब सोचती हूं तो लगता है जैसे कल की बात है।

रोज की तरह उस दिन भी मैं अपनी क्लास में ग्रामर पढ़ा रही थी, तभी मेरे फुफेरे भाई का फोन आया आज तुझे लड़के वाले देखने आ रहे हैं। मुझे दिखाने का कार्यक्रम तय हो चुका था। मुझे इतना खराब लगा कि स्कूल के कपड़ों में ही रिश्तेदार के यहां जाना पड़ा। लड़के के फूफाजी मुझे स्कूल लेने आए और कार में बैठते ही उन्होंने अपना परिचय दिया।

वह खतौली में अपने घर ले गए। देखने वालों को शामली से आना था उन्हें वक्त लग गया। काफी इंतजार के बाद मेरे घरवाले और मुझे देखने वाले आए। इतने लोगों को देखकर मन घबराया। लेकिन जब लड़के से बात हुई तो सब सहज लगने लगा। उस दस मिनट की मुलाकात ने मेरी जिंदगी बदल दी। उनका सहज स्वभाव, बोलती आंखें और हमेशा मुस्कुराता चेहरा मेरे दिल में उतर गया।

घर आकर इतनी खुश हुई मानों चारों तरफ फिल्मी अंदाज में तितलियां उड़ रही हों। उनके फोन का इंतजार करने लगी। दो दिन बाद इनकी बहन का फोन आया तो मुझे इनका नंबर दिया। पर मैं भारतीय नारी इनके फोन का इंतजार करने लगी। दशहरे पर इनका फोन आया तो बातें शुरू हो गईं।

और अचानक उनके फोन आने बंद हो गए…
सब कुछ अच्छा चल रहा था। अचानक हमारे प्यार को किसी की नजर लग गई। मेरे बारे में किसी ने इनकी बहन से बहुत कुछ बुरा कहा। इनके फोन आने बंद हो गए। पर मैं तो इन्हें खोना नहीं चाहती थी। करवाचौथ का व्रत करके भगवान से प्रार्थना की और निर्णय लिया कि मुझे इन्हें ही अपना जीवनसाथी बनाना है। खैर कुछ दिनों बाद सब कुछ ठीक जानकर इन्होंने मुझे फोन किया। किंतु नियति को कुछ और ही मंजूर था।

शादी का वक्त नजदीक आ रहा था। किसी ने इनको फोन करके धमकी दी और मुझसे शादी न करने के लिए कहा। मेरे तो पैरों तले जमीन ही खिसक गई। मैं सोचती रह गई आखिर कौन है। जो यह नहीं चाहता हम शादी के बंधन में बंधें।

दिन बीतते गए और शादी के चार दिन पहले किसी का दोबारा फोन आया। फिर इन्हें ऐसी ही धमकी दी अगर कोई और लड़का होता तो शायद ये सारी बातें सच मानकर शादी न करता। मैं भी थक चुकी थी, इनको अपना सब कुछ मान चुकी थी।

इतनी सब बातों के बाद भी इन्होंने मेरा साथ दिया और मुझसे शादी करने के लिए डटे रहे। और वो दिन भी आ गया, सुबह से ही मन में डर था अगर धमकी वाली बात सच हो गयी तो मेरी वजह से कितनी जिंदगी बेकार हो जाएंगी। लेकिन भगवान सच का साथ देते हैं। सब कुछ सही सलामती खत्म हो गया। आखिरी फेरा लेते वक्त दिल ने इतना ही कहा जो हमारी आत्मा को संतुष्ट करे वही सच है। मेरा सपना पूरा हुआ।


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