‘अकबर-जोधा की शादी इतिहास की गलत व्याख्या’, राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े का विवादित बयान

‘अकबर-जोधा की शादी इतिहास की गलत व्याख्या’, राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े का विवादित बयान

नई दिल्ली/उदयपुर: राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने एक कार्यक्रम के दौरान इतिहास लेखन को लेकर बड़ा बयान देते हुए कहा कि अकबर और जोधाबाई की शादी का कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है। उन्होंने दावा किया कि यह अंग्रेजों के प्रभाव में गढ़ी गई कहानी है, जिसे फिल्मों और किताबों में सच की तरह प्रस्तुत किया गया है।

क्या बोले राज्यपाल?

उदयपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में राज्यपाल ने कहा, “इतिहास की पुस्तकों में यह कहा गया है कि अकबर और जोधाबाई की शादी हुई थी, लेकिन यह तथ्यात्मक रूप से गलत है। अकबरनामा जैसे समकालीन ऐतिहासिक ग्रंथों में इसका कोई उल्लेख नहीं है।”

उन्होंने आगे कहा, “राजा भारमल ने अकबर से अपनी दासी की पुत्री का विवाह करवाया था, न कि किसी राजकुमारी का। जोधाबाई के नाम से जो कहानी प्रचलित है, वह अंग्रेजों के प्रभाव में इतिहास में दर्ज की गई गलत व्याख्या है।”

इतिहास लेखन पर अंग्रेजी असर का आरोप

राज्यपाल बागड़े ने यह भी आरोप लगाया कि अंग्रेजों ने भारत के शूरवीरों का इतिहास तोड़ा-मरोड़ा। उन्होंने कहा कि “अंग्रेजों द्वारा लिखा गया इतिहास शुरू में स्वीकार कर लिया गया और फिर कुछ भारतीय इतिहासकारों ने भी वही रुख अपनाया।”

उन्होंने महाराणा प्रताप और शिवाजी महाराज को वीरता और राष्ट्रभक्ति का प्रतीक बताते हुए कहा कि अगर ये दोनों समकालीन होते, तो भारत का इतिहास ही अलग होता।

अकबर-जोधा विवाह पर विवाद

इतिहासकारों में इस विषय को लेकर लंबे समय से मतभेद हैं। कुछ इतिहासकारों के अनुसार:

  • अकबर का विवाह 1562 में आमेर (जयपुर) के राजा भारमल की बेटी से हुआ था, जिन्हें बाद में मरियम-उज-जमानी की उपाधि दी गई।

  • कुछ स्रोतों में उन्हें हरका बाई कहा गया है, लेकिन “जोधा” नाम का कोई स्पष्ट उल्लेख अकबर के समकालीन ऐतिहासिक दस्तावेजों में नहीं मिलता

  • “जोधा” नाम का लोकप्रिय उपयोग बाद की लोककथाओं और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से आया, खासकर फिल्मों और टेलीविजन शोज़ के माध्यम से।

कुछ इतिहासकारों का यह भी मानना है कि जोधा नाम वास्तव में जोधपुर की राजकुमारी मानवती बाई से जुड़ा हो सकता है, जो अकबर के बेटे जहांगीर की पत्नी बनीं।

शिक्षा नीति और संस्कृति पर जोर

हरिभाऊ बागड़े ने कहा कि नई शिक्षा नीति में भारतीय संस्कृति, वीरता और गौरवशाली अतीत को स्थान देने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा, “अब समय है कि हम अपने इतिहास को सही परिप्रेक्ष्य में समझें और नई पीढ़ी को उसका असली स्वरूप बताएं।”


राज्यपाल का यह बयान जहां लोकप्रिय ऐतिहासिक आख्यानों को चुनौती देता है, वहीं यह इतिहास और संस्कृति को लेकर गहराते विमर्श की ओर भी संकेत करता है। हालांकि इस मुद्दे पर इतिहासकारों में आज भी मतभेद हैं, लेकिन यह तय है कि अकबर-जोधा विवाह की कहानी को लेकर बहस एक बार फिर तेज हो गई है।